महाश्रवण जी की शिष्या डा. पीयूष प्रभा से 40 बच्चों ने ली दीक्षा
- चतुर्मास के अवसर पर महाश्रमण जी के शिष्य तेरापंथ भवन में साधना का दे रही है प्रवचन। संवाद
- चतुर्मास के अवसर पर महाश्रमण जी के शिष्य तेरापंथ भवन में साधना का दे रही है प्रवचन।
संवाद सूत्र, फारबिसगंज (अररिया): तेरापंथ युवक परिषद द्वारा रविवार को तेरापंथ सभा भवन में आचार्य श्री महाश्रमण जी की शिष्या डाक्टर साध्वी पीयूष प्रभा के सानिध्य में मंत्र दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों को मंत्र दीक्षा संस्कारों की दीक्षा देते हुए बताया गया की मंत्र दीक्षा के अंतर्गत बच्चों को 21 बार नमस्कार महामंत्र गिनकर अपने दिन की शुभतम और सुंदरतम शुरुआत करनी होती है। गुरुदेव की महती कृपा से साध्वी डा. पीयूष प्रभा ने लगभग 40 बच्चों को मंत्र दीक्षा प्रदान की और संस्कारी और धार्मिक नागरिक बनाने की प्रेरणा देते हुए कहा की नैतिकता, नशा मुक्ति, अच्छा और सच्चा जीवन सभी बच्चे जीएं तो देश ही नहीं अपितु विश्व का भला हो सकता है। साध्वी ने सेव का उदाहरण देते हुए बच्चों को बुरी संगत से बचने को कहा तथा गालियों, अपशब्दों के प्रयोग से बचने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण के साथ तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री हेमंत गोलछा ने किया। सभाध्यक्ष निर्मल मरोठी ने कहानी के माध्यम से प्रेरणा दी की माता एवं पिता को अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देने चाहिए, गलत काम पर उन्हें रोकना चाहिए, नहीं तो आगे चलकर वह बच्चे अपना जीवन अच्छे ढंग से नहीं जी पाते, साथ ही राष्ट्र के लिए घातक सिद्ध होते हैं। साध्वी श्री भावना श्री जी ने कहा कि बच्चे कच्चे घड़े के समान होते हैं, उनमें अगर अच्छे संस्कारों के बीज बोए जाएं तो वह बच्चे अपने अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। तत्पश्चात विधिवत सभी बच्चों को साध्वी श्री डा. प्रभा ने मंत्र दीक्षा प्रदान की और नमस्कार महामंत्र का पाठ कराया। मंत्र दीक्षा के पावन अवसर पर साध्वी के उद्बोधन से सभी को एक अच्छी नागरिकता की अच्छी खुराक मिली। तेरापंथ धर्म संघ देशहित और मानवीय आचार संहिता के नियमों का पूर्णत: पालन करता है। तेरापंथ धर्म संघ के आचार्य देश हित को ध्यान में रखकर अपना हर कार्य करते हैं तथा साधु साधवियों को करने की प्रेरणा देते हैं। ऐसे साधु और साध्वी जहां पर भी होते हैं, उससे समाज का ही नहीं पूरे राष्ट्र का भला होता है। मंत्र दीक्षा कार्यक्रम अब तेरापंथ समाज में ना होकर हर समाज में हो तो संस्कारों का उपक्रम और भी मजबूत हो सकता है। कार्यक्रम का संचालन नीलम बोथरा ने किया। कार्यक्रम में समाज के गणमान्य लोग मौजूद थे।