रामप्रसाद बिस्मिल व अशफाकउल्ला को दी गई श्रद्धांजलि
अररिया। देश के दो महान सपूत राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां की शहादत दिवस पर गुरुवा
अररिया। देश के दो महान सपूत राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां की शहादत दिवस पर गुरुवार को द्विजदेनी क्लब, फारबिसगंज के तत्वावधान में प्रोफेसर कालोनी स्थित पीडब्लूडी के प्रांगण में एक कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बाल साहित्यकार हेमंत यादव शशि तथा संचालन राहुल कुमार और अब्दुल मोमिन ने संयुक्त रुप से किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में विभूति द्वय की तस्वीर पर उपस्थित स्कूली बच्चों तथा अतिथियों ने श्रद्धासुमन अर्पित किया। फिर वक्ताओं ने इन महान विभूतियों के बारे में बताया। सभाध्यक्ष हेमंत यादव शशि ने पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के बारे में बताया कि बिस्मिल भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि उच्च कोटि के कवि, शायर और साहित्यकार भी थे। उनकी एक शायरी आज भी लोगों की जुबान पर रहती है, सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु ए कातिल में है। बिस्मिल उनका उपनाम था। ब्रिटिश साम्राज्य को दहला देने वाले काकोरी कांड को बिस्मिल और अशफाक ने ही अंजाम दिया था। इसीलिए अंग्रेजों ने उन्हें 19 दिसम्बर 1927 को फांसी पर चढ़ा दिया था। विनोद कुमार तिवारी और हर्ष नारायण दास ने अशफाक उल्ला के बारे में बताया कि वे भी शेरों शायरी में रुचि में रखते थे। देशभक्ति की जज्बे से भरा उनके कई शेर आज भी युवा दिलों में जोश भरने को काफी है। बिस्मिल से इनकी मित्रता बचपन से ही थी। इस मौके पर राम लाल उच्च विद्यालय, हरिपुर के छात्र छात्राओं ने भी कार्यक्रम में शामिल हो कर देश भक्ति के गीत सुनाए। कार्यक्रम में सुरेन्द्र प्रसाद मंडल, अरविन्द ठाकुर, अमरेंद्र सिंह, दिपांकर गुप्ता, लाडली सिंह, हर्षिता कुमारी, सुहानी कुमारी सहित विभिन्न स्कूलों के कई बच्चे उपस्थित थे। कार्यक्रम के बाद सभी बच्चों को संस्था की तरफ से उपहार प्रदान किया गया।