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सुध ही नहीं::::::हजारों की आबादी के लिए सिर्फ चचरी का पुल

प्रखंड मुख्यालय स्थित जदिया थाना क्षेत्र के एनएच 327 ई. जदिया-रानीगंज मुख्य मार्ग पर कोपाड़ी मोड़ के नजदीक शनिवार की रात होमगार्ड जवान से भरी एक निजी बस अनियंत्रित होकर पलट गई। जिसमें लगभग 17 होमगार्ड के जवान घायल हो गए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 12:54 AM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 12:54 AM (IST)
सुध ही नहीं::::::हजारों की आबादी के लिए सिर्फ चचरी का पुल
सुध ही नहीं::::::हजारों की आबादी के लिए सिर्फ चचरी का पुल

-जान जोखिम में डाल चचरी पुल के सहारे आते-जाते लोग

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-पुल नहीं रहने के चलते कई किमी का चक्कर लगा पहुंचते बाजार

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फोटो फाइल नंबर-14एसयूपी-10

संवाद सूत्र, प्रतापगंज(सुपौल): प्रखंड अन्तर्गत चिलौनी उत्तर पंचायत स्थित भालूकूप गांव के समीप भेंगाधार के ऊपर पुल नहीं रहने के कारण दोनों किनारों के लोगों सहित अन्य क्षेत्रों के लोगों को भी घोर कठिनाइयों से जूझना पड़ रहा है। उक्त पंचायत होकर गुजरने वाली भेंगा धार के पूर्वी हिस्से में तीनटोलिया गांव है तो पश्चिमी हिस्से पर हजारों की आबादी वाला गांव भालूकूप। उक्त पंचायत के ही दोनों गांवों के लोगों को आवागमन के लिए टूटी चचरी पुल ही सहारा बना हुआ है। बारहमासी नदी होने की वजह से सालों भर पानी भरा रहता है। नदी की धारा तेज होते ही नदी के उपर लगाये गये चचरी के क्षतिग्रस्त होने की संभावना बनी रहती है। विभागीय जानकारी के बावजूद भेंगा धार के उपर पुल निर्माण कार्य नहीं कराये जाने के कारण लोगों को अपनी जान जोखिम में डाल कर चचरी के सहारे आवागमन करने के लिये विवश होना पड़ रहा है। प्रखंड उप प्रमुख अमोल भारती बताते हैं कि तीनटोलिया स्थित पुरानी दुर्गा मंदिर के बगल से निकलने वाली कच्ची सड़क भालूकूप गांव होते हुए रामविशनपुर जाती है। इस सड़क मार्ग से हजारों की आबादी का आवागमन तीन टोलिया, सुखानगर होते हुए प्रखंड मुख्यालय तक होता है। लेकिन इस सड़क मार्ग की सबसे बड़ी समस्या है तीनटोलिया स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर के पश्चिम ओर भालूकूप टोले के बीच से होकर बहने वाली भेंगा धार के उपर पुल का नहीं होना। तीनटोलिया गांव के लोगों को तो कम लेकिन भालूकूूप के लोगों को हर मामले मे कठिनाइयों से रूबरू होना ही पड़ता है। ऐसे में चिलौनी उत्तर पंचायत का भालूकूप गांव के लोगों को अपने ही पंचायत भवन आन जाने में जान जोखिम में डालना पड़ता है। इतना ही नहीं लोगों को दैनिक सामग्री सहित छोटी-मोटी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कई किलोमीटर का चक्कर लगाते हुए एनएच 57 के रास्ते अपने पंचायत व प्रखंड मुख्यालय तक जाना होता है।


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