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अप्रैल से PUC प्रमाणपत्र के बिना नहीं होगा वाहनों का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस

बिना PUC सर्टिफिकेट के आप एक अप्रैल से अपनी गाड़ी का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस भी नहीं करा सकेंगे

By Ankit DubeyEdited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 06:52 PM (IST)Updated: Sat, 24 Nov 2018 12:00 PM (IST)
अप्रैल से PUC प्रमाणपत्र के बिना नहीं होगा वाहनों का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस
अप्रैल से PUC प्रमाणपत्र के बिना नहीं होगा वाहनों का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस

नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। अगले साल अप्रैल से वाहनों का प्रदूषण नियंत्रण (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल) प्रमाणपत्र समय पर बनवाना और रिन्यू करवाना जरूरी होगा। बिना PUC सर्टिफिकेट के आप एक अप्रैल से अपनी गाड़ी का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस भी नहीं करा सकेंगे।

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सरकार ने बीमा कंपनियों की दिक्कत और बढ़ते वाहन प्रदूषण को देखते हुए PUC प्रमाणपत्र के ब्योरे ऑनलाइन करने का निर्णय लिया है। इसके लिए PUC प्रमाणपत्र के ब्योरे सड़क मंत्रालय के वाहन और सारथी पोर्टलों पर एकीकृत किए जा रहे हैं। ज्यादातर राज्यों ने अपने ट्रांसपोर्ट सिस्टम और प्रक्रियाओं को दुरुस्त और ऑनलाइन कर सेंट्रल पोर्टल के साथ जोड़ने की प्रक्रिया तेज कर दी है। पूर्वोत्तर के कुछ राज्य बचे हैं। वे भी 31 मार्च तक सेंट्रल सिस्टम से जुड़ जाएंगे।

साथ रखने को नहीं होगी जरूरत

अगर आपने PUC सर्टिफिकेट ले रखा है तो आपको RC और DL की तरह PUC की कागजी दस्तावेज लेकर चलने की आवश्यकता नहीं होगी। कोई आपसे इन कागजात की मांग करे तो आप उससे मोबाइल के जरिए वाहन और सारथी पोर्टल पर जाकर ब्योरा चेक करने को कह सकते हैं अथवा स्वयं अपने मोबाइल पर उसे दिखा सकते हैं। सड़क मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार IT एक्ट के तहत सभी डिजिटल दस्तावेज और सर्टिफिकेट उसी प्रकार मान्य और वैध हैं जिस प्रकार कागजी सर्टिफिकेट। इसलिए कोई पुलिसकर्मी या RTO कागजी दस्तावेज के लिए बाध्य नहीं कर सकता। अबी दिल्ली आदि महानगरों में तो ट्रैफिक पुलिस PUC सर्टिफिकेट की जांच करती है। परंतु छोटे नगरों और कस्बों में कोई इसकी परवाह नहीं करता। परंतु अप्रैल से कम से कम गाड़ी का बीमा कराने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को छोड़कर पेट्रोल, डीजल और CNG चालित सभी वाहनों के लिए इसकी जरूरत पड़ेगी।

वैसे तो मोटर वाहन नियम 1989 के अनुसार इलेक्ट्रिक वाहनों को छोड़कर बाकी सभी प्रकार के वाहनों के लिए PUC सर्टिफिकेट अनिवार्य है। नए वाहन के साथ एक वर्ष तक वैध PUC मिलता है। उसके बाद हर छह महीने में नया सर्टिफिकेट लेना आवश्यक है, लेकिन व्यवहार में इस कानून का पूरी तरह पालन नहीं होता। फलत: ज्यादातर वाहन चालक हानिकारक उत्सर्जन के साथ अपने वाहनों को सड़कों पर दौड़ाते और वायुमंडल को प्रदूषित करते रहते हैं। इसी प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट ने वाहन बीमा के लिए PUC को अनिवार्य करने को कहा था। 


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