Ola-Uber की घटेंगी कीमतें, कैब कंपनियां नहीं वसूल पाएंगी मनमाना किराया
लंबे समय से कैब में सफर करने वाले लोगों की ये शिकायत थी कि ओला और ऊबर पीक आवर्स में उनसे मनचाहा किराया वसूलती हैं जिसकी वजह से उन्हें सफर करने में दिक्कत होती है। दरअसल पीक आवर्स में इन कैब्स की डिमांड काफी ज्यादा हो जाती है
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। देश में सफलता पूर्वक चल रही कैब एग्रीगेटर सर्विस ओला (Ola) और उबर (Uber) को लेकर सरकार अब सख्ती बरतने की तैयारी में है। दरअसल पहले पीक आवर्स में ये कंपनियां अपने ग्राहकों से मनचाहा किराया वसूल करती थीं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सरकार ने इन कैब एग्रीगेटर कंपनियों पर पीक आवर्स में किराया बढ़ाने की सीमा तय कर दी है जिससे ये ग्राहकों से मनचाहा किराया ना वसूल सकें। अब ओला और उबर अपने ग्राहकों से बेस फेयर से के डेढ़ गुने से ज्यादा किराया नहीं वसूल पाएंगी। इस फैसले के बाद अब कैब में सफर करना आसान हो जाएगा।
आपको बता दें कि लंबे समय से कैब में सफर करने वाले लोगों की ये शिकायत थी कि ओला और ऊबर पीक आवर्स में उनसे मनचाहा किराया वसूलती हैं जिसकी वजह से उन्हें सफर करने में दिक्कत होती है। दरअसल पीक आवर्स में इन कैब्स की डिमांड काफी ज्यादा हो जाती है, ऐसे में ये कंपनियां अपना किराया काफी ज्यादा बढ़ा देती हैं जो बेस फेयर से कई गुना ज्यादा होता है और मजबूरन ये किराया कैब बुक करने वाले यात्रियों को भरना पड़ता है।
ज्यादातर सुबह 10 बजे से लेकर 12 बजे, शाम को 5 से लेकर 7 बजे और लेट नाइट को इन कैब्स के लिए पीक आवर्स माना जाता है। इस समय ये कंपनियां अपने ग्राहकों से सबसे ज्यादा किराया वसूलती हैं। इस समय टैक्सी की उपलब्धता कम होने की वजह से मजबूरन ही लोगों को ज्यादा किराया देना पड़ता था लेकिन अब रोज कैब से सफर करने वाले यात्रियों को ऐसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को जारी मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2020 (Motor Vehicle Aggregators Guidelines 2020) की बात करें तो इसके अनुसार, ‘एग्रीगेटर कंपनियों को मूल किराए के 50 प्रतिशत तक न्यूनतम किराया और डेढ़ गुने तक अधिकतम किराया वसूलने की मंजूरी दी जाती है।’
ख़ास बात ये है कि सरकार के इस नए फैसले के बाद कैब ड्राइवर्स को काफी फायदा होगा। दरअसल अब प्रत्येक सवारी पर लागू किराए का कम से कम 80 प्रतिशत हिस्सा कैब ड्राइवर को मिलेगा और जो बाकी बचा हुआ हिस्सा है वो कैब एग्रीगेटर कंपनियों के पास जाएगा। नये फैसले की वजह से अब रोजाना कैब में सफर करने वाले यात्रियों की जेब पर पड़ने वाला बोझ कम हो जाएगा।
सरकार की तरफ से ये भी बताया गया है कि जिन राज्यों में शहरी टैक्सी का किराया राज्य सरकार ने निर्धारित नहीं किया है, वहां फेयर रेगुलेशन के लिए बेस प्राइज 25-30 माना जाएगा। कैब एग्रीगेटर से जुड़े अन्य वाहनों के लिए भी किराया इसी से तय किया जाएगा।