रेनो-निसान का सिंगल कंपनी में विलय 2020 तक टला, निकलना चाहती है फॉक्सवैगन से आगे
फ्रांस की कार निर्माता कंपनी रेनो और जापानी कार निर्माता कंपनी निसान के बीच होने वाली साझेदारी 2020 तक टल गई है
नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। फ्रांस की कार निर्माता कंपनी रेनो और जापानी कार निर्माता कंपनी निसान के बीच होने वाली साझेदारी 2020 तक टल गई है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि दोनों कंपनियां गठबंधन के ऑनरशिप स्ट्रक्चर की समीक्षा कर रहे हैं। कार निर्माता रेनो-निसान-मित्सुबिशी गठबंधन को मजबूत करने के तरीकों की जांच कर रहे हैं।
इस साल मार्च महीने में रेनो-निसान के चेयरमैन कार्लोस घोश ने घोषणा की थी कि दोनों कंपनियां अपनी टेक्नोलॉजी, रिसोर्स, मैन-पावर और नए एनर्जी व्हीकल्स, ऑटोनमस ड्राइविंग और कार-शेयरिंग सर्विस पर हो रहे रिसर्च को साझा करेंगी। दोनों ही कंपनियां पहले से ही टेक्नोलॉजी और प्लेटफॉर्म को साझा कर रही हैं। इसके साथ ही घोस ने 2022 तक 10 मिलियन यूरो को दोगुना करने के लिए अपनी साझेदारी का खुलासा किया था। हालांकि, ये सभी प्रारंभिक चर्चा का हिस्सा थे और इससे अभी तक कुछ भी ठोस नहीं हुआ है।
इसके अलावा घोश ने खुलासा किया कि ऑटोनॉमस वाहनों पर सामान्य धारणा बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन यह उन्हें अवसरों की तलाश करने से नहीं रोक पाएंगी।
दोनों कंपनियों की साझेदारी के अलावा, कंपनियां 2022 तक ऑटोनॉमस फीचर के साथ 15 मॉडल्स डेवेलप करने की योजना बना रही हैं, जिसमें एक फुली सेल्फ-ड्राइविंग व्हीकल भी शामिल है। वहीं, इलेक्ट्रिक कारों में रेनो 2022 तक 8 इलेक्ट्रिक बैटरी व्हीकल्स की योजना बनाए हुए है।
बता दें, जापानी और फ्रांसीसी कार निर्माता कंपनी ने गठबंधन 1999 में किया और फिर मित्सुबिशी 2016 में शामिल हुई थी। इन तीनों कंपनियों ने गठबंधन दुनिया की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी बनने के लिए किया और फॉक्सवैगन ग्रुप से आगे निकलना चाहती थीं। मौदूजा स्थिति में रेनो 43 फीसद निसान का मालिक है और निसान 15 फीसद रेनो का मालिक है।