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त्योहारी सीजन में कारों की बिक्री सपाट, टू-व्हीलर्स की सेल्स फास्ट ट्रैक पर: सियाम

सियाम द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर महीने में पैसेंजर कारों की बिक्री में 0.38 फीसद की बढ़त के साथ 185,400 यूनिट्स की बिक्री हुई है

By Ankit DubeyEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 07:21 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 09:53 AM (IST)
त्योहारी सीजन में कारों की बिक्री सपाट, टू-व्हीलर्स की सेल्स फास्ट ट्रैक पर: सियाम
त्योहारी सीजन में कारों की बिक्री सपाट, टू-व्हीलर्स की सेल्स फास्ट ट्रैक पर: सियाम

नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। घरेलू बाजार में पैसेंजर कारों की बिक्री में अक्टूबर महीने में सपाट रही है, जिसमें ईंधन और कमोडिटी कीमतों में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ खराब मानसून की वजह से लगातार चार महीने तक गिरने के बाद मामूली बढ़ोतरी हुई है।

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सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर महीने में पैसेंजर कारों की बिक्री में 0.38 फीसद की बढ़त के साथ 185,400 यूनिट्स की बिक्री हुई है। इससे बीते वर्ष समान अवधि में यह आंकड़ा 184,706 यूनिट्स का था।

कुल मिलाकर कमर्शियल वाहनों की बिक्री की बात करें तो लाइट, मीडियम और हैवी वाहनों ने 24.82 फीसद की बढ़त के साथ 87,147 यूनिट्स की बिक्री की है। इससे बीते वर्ष समान अवधि में यह आंकड़ा 69,816 यूनिट्स का था।

देश का दूसरा सबसे बड़ा सेगमेंट टू-व्हीलर्स की बिक्री में 17.23 फीसद की बढ़त के साथ 2,053,497 यूनिट्स की बिक्री हुई है। इससे बीते वर्ष समान अवधि में यह आंकड़ा 1,751,608 यूनिट्स का था।

हालांकि, पैसेंजर कारों के निर्यात में 13.40 फीसद की गिरावट देखने को मिली है। कंपनी ने इस साल अक्टूबर महीने में 40,098 यूनिट्स का निर्यात किया है, जबकि अक्टूबर 2017 में यह आंकड़ा 46,300 यूनिट्स का था। कुल निर्यात में 22.61 फीसद की बढ़ोतरी हुई है और प्रोडक्शन में 20.65 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग की दूसरी तिमाही समीक्षा में, सियाम ने कहा कि आने वाले तिमाहियों में इस्पात, तांबा, प्राकृतिक रबड़ और एल्यूमीनियम जैसी वस्तुओं को मजबूत रहने की उम्मीद है। इसलिए, कीमतें स्थिर होने के बाद बिक्री में सुधार होने की संभावना है।

सियाम ने यह भी कहा कि ऑटो बिक्री गुजरात, बिहार और झारखंड जैसे प्रमुख राज्यों में प्रभावित हुई है, जो इस साल कुल ऑटो उद्योग के 10-15% की कमी मानी गई है।

सियाम के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में भारी वृद्धि के चलते ऑटो उद्योग को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है जिसके परिणामस्वरूप उच्च ईंधन की कीमतें और बीमा मूल्य में वृद्धि की लागत में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, मीडियम और हैवी कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में भारी छूट मार्जिन पर दबाव डाल रही है। 


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