#NayaBharat: लॉकडाउन के बाद पेट्रोल-डीजल के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल में आएगी ज्यादा डिमांड - सोहिंदर गिल
NayaBharat सीरीज के इस एसिपोड हमारे साथ Hero Electric के ग्लोबल बिजनेस सीईओ और सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के डायरेक्टर जनरल सोहिंदर गिल जुड़े हैं।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। दैनिक जागरण डिजिटल की नई सीरीज #NayaBharat में आपका स्वागत है। सीरीज के आज के एसिपोड हमारे साथ हीरो इलेक्ट्रिक के ग्लोबल बिजनेस सीईओ और सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के डायरेक्टर जनरल, सोहिंदर गिल जुड़े हैं। Jagran Hightech के एडिटर सिद्धार्था शर्मा ने सोहिंदर गिल से कोविड-19 के बाद के नए भारत, उससे जुड़ी चुनौतियों और इंडस्ट्री जगत के अन्य मुद्दों को लेकर बातचीत की। तो आइए इस बातचीत को विस्तार से जानते हैं-
सिद्धार्था शर्मा - कोविड-19 की वजह से इलेक्ट्रिक व्हीकल के ग्लोबल बिजनेस पर कितना असर पड़ा, साथ ही हीरो इलेक्ट्रिक के बिजनेस पर क्या असर देख रहे हैं?
सोहिंदर गिल - लॉकडाउन के 8 से 10 हफ्तों में भारत शायद बहुत ज्यादा नहीं बदला है। लेकिन लोगों के दिमाग में कुछ आइडिया जरूर पैदा हुए हैं, जो हमें नए भारत की तरफ ले जाएंगे। अगर हीरो इलेक्ट्रिक की बात करें, तो हम लोग धीरे-धीरे नार्मल होने की तरफ बढ़ रहे हैं। क्योंकि पिछले डेढ़ से दो माह से सारे शटर डाउन थे, तो इसका असर प्रोडक्शन पर भी पड़ा। लेकिन इस दौर में सबसे ज्यादा मुसीबत डीलर्स को हुई हैं। इसलिए हमने डीलर्स के लिए एक ऑनलाइन पहल शुरू की थी। जिसका काफी अच्छा रिस्पांस मिला। पिछले एक माह में गाड़ी खरीदने को लेकर करीब 17 हजार पूछताछ (Enquiry) आ चुकी है। इससे एक पॉजिटिव लहर आई है। इस डिमाड की वजह वर्चुअल प्लेटफॉर्म भी है। लॉकडाउन का असर हमारे वातावरण पर भी नजर आ रहा है। जिसे देखकर काफी अच्छा लगता है। दुनिया में सबसे प्रदूषित शहरों में से टॉप 14 सिटी भारत से हैं। ऐसे में कोरोना महामारी के दौर में हमने महसूस किया कि शायद प्रकृति को मौका दें, तो वो दोबारा से बाउंस बैक कर लेती है।
सिद्धार्था शर्मा - कोविड-19 की वजह से बिजनेस मॉडल में कैसे बदलाव होंगे? ईवी मैन्युफैक्चरिंग में अब तक सेट पैटर्न चल रहा था कि हम ऐसे ही गाड़ी बेचेंगे और कस्टमर वैसे ही इसे एक्सेप्ट कर लेगा, लेकिन क्या लॉकडाउन के बाद हम बिजनेस मॉडल में बदलाव होते देखेंगे?
सोहिंदर गिल - एक बड़ा परिवर्तन आ रहा है। खासकर डिजिटल वर्चुअल प्लेटफॉर्म को लेकर। आजकल कस्टमर में एक दुविधा है कि अगर वो बाहर निकले, तो क्या खुद को सुरक्षित रख पाएगा? इस सारी स्थिति में प्रोडक्ट की होम डिलीवरी की अहमियत बढ़ी है। आज के लोअर एंड मिडिल इनकम ग्रुप के लोग कमर्शियल के मुकाबले पर्सनल व्हीकल से ट्रैवल करना पसंद करते हैं। इससे इलेक्ट्रिक व्हीकल की डिमांड बढ़ेगी। इलेक्ट्रिक कार या इलेक्ट्रिक बाइक की डिमांड की वजह है होम टू होम। मतलब कस्टमर को लाइन में लगकर पेट्रोल या डीजल नहीं लेना होता है। करेंसी नोट का एक्सचेंज करने से बचते हैं। साथ ही इसमें सर्विस की कम जरूरत पड़ती है। ग्राहक बताते हैं कि अगर हम पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूज करते हैं, तो रोजाना 50 से 100 रुपये खर्च आता था। लेकिन अगर हम 50 से 60 हजार रुपये में सिंगल बैटरी वाला एंट्री लेवल व्हीकल लें, तो उसमें 10 से 12 रुपये में बिना भीड़भाड़ में जाए बगैर 60 से 70 km तक सफर कर पाएंगे। ऐसे में ग्राहक सोचता है कि मैं रोजाना 70 से 80 रुपए का पेट्रोल-डीजल वाला वाहन खरीदूं या फिर 10 से 12 रुपए में बैटरी चार्ज कर लूं। इस सारी कैलकुलेशन में ग्राहक के लिए इलेक्ट्रिक वाहन ज्यादा किफायती है।
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सिद्धार्था शर्मा - कई सारी MSME और SME ऑटो मैन्युफैक्चर्स के साथ काम करती हैं। मुझे विश्वास है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चर्स के साथ भी MSME और SME फर्म काम करती होंगी, पीएम ने SME और MSME के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया है। इसे लेकर क्या कहेंगे?
सोहिंदर गिल - इंडस्ट्री के मौजूदा हालात में MSME और SME का नुकसान में होना वाजिब है। लेकिन इलेक्ट्रिक व्हीकल और उससे जुड़े MSME और SME के लिए ढ़ेर सारे मौके नजर आते हैं। इस सेक्टर में एक आशा जरूर दिखती है। लेकिन पेट्रोल-डीजल चालित वाहन में आने वाले दिनों में डिमांड में बढ़ोतरी न होने की संभावना है। ऐसा कहा जा रहा है कि आने वाले वर्षों में पेट्रोल-डीजल वाले वाहन में 40 फीसदी की गिरावट होगी। वहीं दूसरी तरफ इलेक्ट्रिक व्हीकल के डिमांड में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। अगर लॉकडाउन खुलता है, तो इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री 8 माह के कारोबार में ही पिछले एक साल के बराबर का कारोबार हासिल कर लेगी। ऑटो पार्ट्स निर्माता कई MSME फर्म इलेक्ट्रिक व्हीकल में कन्वर्ट कर रही हैं। इन फर्म का हम स्वागत करते हैं, लेकिन इलेक्ट्रिक व्हीकल में कन्वर्ट करने वाली फर्म के लिए निवेश एक मुद्दा रहेगा। फिर भी मेरे लिहाज से इलेक्ट्रिक व्हीकल की तरफ शिफ्ट होने के लिए पीएम मोदी के राहत पैकेज में काफी कुछ है। अभी तक लोकलाइजेशन को लेकर दिक्कत आ रही थी, लेकिन शायद पीएम मोदी का पैकेज इसमें मुख्य स्रोत का काम करेगा।
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सिद्धार्था शर्मा - आप नए भारत को कैसे देखते हैं और आपके मुताबिक नया भारत कैसा होगा। इसे लेकर आप क्या कहेंगे?
सोहिंदर गिल - इस वक्त देश का वातावरण काफी शुद्ध है। इसे देखकर लगता है कि एक छोटे से अदृश्य वायरस कैसी हचलत पैदा कर सकता है। आगे भी ऐसी दिक्कते आ सकती हैं। ऐसे में देखिए और सोचिए कि हमें अपनी जिंदगी को कैसे सुरक्षित रखना है। ऐसे में अपने वातारण, इकोसिस्टम के लिए जो बन पड़े, उसे करें। मुझे लगता है कि कोविड रिकवरी के साथ ग्रीन रिकवरी हो जाएं, तो वो एक बड़ा मुद्दा होगा। भारत को ग्रीन रिकवरी की सख्त जरूरत है। भारत के 14 शहरों को दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित माना जाता है। कहा जाता है कि भारत प्रदूषण में चीन से भी आगे निकल रहा है। ऐसे में कोविड-19 रिकवरी के साथ ग्रीन रिकवरी भी मेरे लिए अहम होगी और यह संभव भी नजर आता है। अगर कस्टमर, पॉलिसी मेकर और इंड्स्ट्री जुड़ जाएं। पॉलिसी मेकर इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर काफी सख्त और चुस्त दुरुस्त हैं। इसमें अगर कंज्यूमर का माइंडसेट जुड़ जाएं, तो हम ग्रीन रिकवरी को हासिल कर लेंगे। मेरे हिसाब से नए भारत का मतलब है कि स्वच्छ भारत और हरित भारत।