सरकार ने दी सफाई, सभी कारों को 2030 तक इलेक्ट्रिक बनाने की योजना नहीं
बाबुल सुप्रियो ने कहा वर्तमान में, भारी उद्योग विभाग द्वारा 2030 तक देश में सभी वाहनों को बिजली से संचालित करने के लिए विचाराधीन कोई योजना नहीं है
नई दिल्ली (पीटीआई)। 2030 तक सभी वाहनों को इलेक्ट्रिक करने के संबंध में सरकार किसी योजना पर विचार नहीं कर रही है। भारी उद्योग राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने लोकसभा में यह जानकारी दी।
बाबुल सुप्रियो ने कहा, "वर्तमान में, भारी उद्योग विभाग द्वारा 2030 तक देश में सभी वाहनों को बिजली से संचालित करने के लिए विचाराधीन कोई योजना नहीं है।"
उनका जवाब इस सवाल के जवाब में था कि क्या सरकार 2030 तक देश में सभी वाहनों को बिजली संचालित करने की योजना बना रही है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि सरकार 100 फीसद इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए रोडमैप बनाने की दिशा में काम कर रही है।
गोयल ने कहा, 'इलेक्टि्रक कारों को हम बहुत बड़े पैमाने पर बढावा देने जा रहे हैं। हम इलेक्ट्रिक कारों को पूरी तरह से आम आदमी की पहुंच में लाना चाहते हैं। यह काम तीन वर्षो के भीतर ही शुरु हो जाएगी। हमारी मंशा है कि वर्ष 2030 तक देश में पेट्रोल व डीजल की एक भी कारों की बिक्री नहीं होनी चाहिए। इसके लिए भारी उद्योग मंत्रालय और नीति आयोग मिल कर रणनीति बना रहे हैं।''
क्या होगा फायदा ?
सरकार की यह मंशा पूरी हो जाती है तो इसका सबसे बड़ा फायदा देश के पर्यावरण को होगा। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटियोरोलोजी के एक अध्ययन के मुताबिक शहरों में पर्यावरण की सबसे बड़ी वजहें पेट्रोल व डीजल चालित वाहन हैं। बिजली से चलने वाली कारों के आने से इस समस्या का स्थाई समाधान हो सकता है और दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पटना, हैदराबाद जैसे भीड़ भाड़ वाले शहरों के जीवन स्तर में काफी सुधार हो सकता है। दूसरा फायदा यह होगा कि देश पर कच्चे तेल के आयात करने का बोझ खत्म होगा। भारत ने वर्ष 2015-16 में 64 अरब डॉलर का कच्चा तेल आयात किया था।
जिसका बड़ा हिस्सा वाहनों में ही इस्तेमाल होता है। इस आयात की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर हमेशा बोझ रहता है और इससे रुपये की कीमत भी डॉलर के मुकाबले कमजोर बनी रहती है। अगर इलेक्टि्रक कारों को लेकर सरकार की मंशा कामयाब हो जाता है तो इस राशि का इस्तेमाल देश के विकास में किया जा सकेगा।
क्या होगा मौजूदा कार कंपनियों का ?
देश की प्रमुख कार कंपनियां पहले से ही इलेक्टि्रक वाहन बाजार में उतरने की तैयारी में है। हालांकि ये कंपनियां अपनी तैयारियों को लेकर काफी गोपनीयता बरत रही हैं। लेकिन अब सरकार ने साफ कर दिया है कि देश में पेट्रोल डीजल कारों का भविष्य सिर्फ 13-14 वर्षो का है। ऐसे में मारुति सुजुकी, हुंडई, टोयाटो, फोर्ड जैसी कंपनियां जो भारत में काफी निवेश कर चुकी हैं उन्हें इलेक्टि्रक वाहनों को लेकर भी अपनी नीति का खुलासा करना होगा। भारत को अभी ऑटोमोबाइल सेक्टर का सबसे आकर्षक बाजारों में से एक माना जाता है।