इलेक्ट्रिक कारें भारत में कर सकती हैं पेट्रोल-डीजल से ज्यादा प्रदूषण: मर्सिडीज
मर्सिडीज इंडिया के सीईओ रोनाल्ड फोल्गर ने इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर कहा कि पेट्रोल-डीजल कारों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहन ज्यादा प्रदूषण फैलाएंगे
नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। भारत सरकार साल 2030 से पेट्रोल और डीजल वाहनों को खत्म कर सभी वाहनों को पूरी तरह इलेक्ट्रिक करने की कोशिश में है। वहीं, मर्सिडीज इंडिया के सीईओ रोनाल्ड फोल्गर ने इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया है। कंपनी के सीईओ ने कहा कि पेट्रोल-डीजल कारों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहन ज्यादा प्रदूषण फैलाएंगे। उन्होंने कहा, यह जरूरी नहीं है कि इलेक्ट्रिक कारों के आने से प्रदूषण कम हो जाएगा।
रोलान्ड फोल्गर का कहना है कि भारत में 50 फीसदी बिजली कोयले से बनाई जाती है। कोयले से बिजली बनाने से काफी प्रदूषण होता है। भारत में जब तक वैकल्पिक माध्यम से बिजली पैदा नहीं की जाती तब तक जरूरी नहीं है कि इलेक्ट्रिक कारों के आने से प्रदूषण में कमी आ जाएगी।
भारत में इस वक्त इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रचलन ज्यादा नहीं है, लेकिन दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की मार से सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे सकती है। इलेक्ट्रिक वाहनों पर होने वाले खर्च के बारे में पूछे जाने पर टाटा पावर दिल्ली के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर प्रबीर सिन्हा ने कहा, एक गाड़ी को चार्ज करने में 6 से 8 यूनिट बिजली खर्च होगी। इसके जरिए लगभग 100 किलोमीटर तक की यात्रा की जा सकती है। इस लिहाज से आपको 100 किलोमीटर चलने के लिए लगभग 42 रुपये खर्च करने होंगे।
आपको बता दें अगले तीन से चार वर्षों के भीतर हर सरकारी वाहन पेट्रोल और डीजल से चलने के बजाए बिजली से चलेंगे। इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र की ऊर्जा दक्षता सेवा लि. (EESL) 10,000 इलेक्ट्रिक कार खरीद रही है। प्रबीर सिन्हा ने बताया कि दिल्ली में हमने रोहिणी, दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर, पीतमपुरा, शालीमार बाग और मॉडल टाउन में चार्जिंग केंद्र लगाए हैं। पर अभी गाड़ियों की संख्या बहुत अधिक नहीं है। इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या ज्यादा होने पर हम चार्जिंग केंद्रो की संख्या और बढ़ा देंगे। हालांकि, संख्या बढ़ने पर हम चार्जिंग केंद्रों की संख्या बढ़ाएंगे। टाटा पावर की अगले 5 वर्षों में 1,000 चार्जिंग केंद्र लगाने की योजना है।