खस्ता हाल सड़कों से औसत स्पीड में पिछड़ा भारत, जानें अन्य देशों का हाल
वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम ने रोड इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में भारत को 55वें स्थान पर रखा है। पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था की कमी, वाहनों के लिए अलग-अलग लेन की उपलब्धता ना होना सड़कों पर भीड़भाड़ बढ़ा रहा है
नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। भारत जैसे बड़े देश में रोड इंफ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी में महत्वूपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन इसमें सुधार की अभी भी बहुत जरुरत है। देश के शहरों में वाहनों की औसत रफ्तार काफी कम है। विकसित देशों में जहां एक ट्रक प्रतिदिन 700-800 किलोमीटर की दूरी तय करता है, वहीं भारत में यह दूरी 250-300 किलोमीटर तक रह जाती है। दिल्ली में तो वाहनों की औसत स्पीड 26 किलोमीटर प्रति घंटा है।
वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम ने रोड इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में भारत को 55वें स्थान पर रखा है। पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था की कमी, वाहनों के लिए अलग-अलग लेन की उपलब्धता ना होना सड़कों पर भीड़भाड़ बढ़ा रहा है। एप बेस्ड टैक्सियों के लिए पार्किंग ना होने की वजह से ये गाड़ियां भी सड़कों के किनारों पर भीड़ बढ़ा रही हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट के मामले में भी भारत कई देशों से बहुत पीछे है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए बसें सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला माध्यम है। भारत में प्रति हजार लोगों के पीछे 1.7 बसें हैं जो कि थाईलैंड (प्रति 1000 लोगों पर 8.6 बसें), साउथ अफ्रीका (प्रति हजार लोगों पर 6.7 बसें) और अमेरिका (प्रति हजार लोगों पर 2.7 बसें) से काफी कम है।
देश के अधिकतर शहरों में बसों के लिए बनाए गए बीआरटी (बस रैपिड ट्रांसपोर्ट) कॉरिडोर सफल नहीं हुए। वहीं, मेट्रो और मोनोरेल जैसे ट्रांसपोर्ट मीडियम बढ़ रहे हैं लेकिन इनमें सफर करने वाले लोगों की संख्या दुनिया के दूसरे शहरों के मुकाबले कम है। दिल्ली में प्रति किलोमीटर 10,879 यात्री इनमें यात्रा करते हैं जबकि शंघाई में यह नंबर 14,593 है। इसके अलावा दिल्ली को छोड़कर बाकी शहरों में मेट्रो का बड़ा नेटवर्क भी नहीं है।
इन सबके चलते शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। आंकड़ों के हिसाब से समझे तो दिल्ली में प्रति किलोमीटर 176 वाहन (रजिस्ट्रेशन डाटा के आधार पर) हैं। यहां AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 457 (खतरनाक) स्तर पर पहुंच गया है, जबकि लंदन में प्रति किलोमीटर 220 वाहन है और वहां AQI 58 (सामान्य) स्तर पर है। सड़कों पर धूल, निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल और शहरों से गुजरने वाले ट्रक शहरों की हवा खराब करने में सबसे आगे हैं।
शहरों मे भीड़भाड़, सड़कों पर जाम और वायु प्रदूषण से बचने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार, ट्रैफिक नियमों को कड़ा बनाना, सड़कों पर फुटपाथ बनाने जैसे कई कदम तत्काल उठाए जाने की जरूरत है।