Budget Expectations 2022: आगामी बजट से इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को हैं काफी उम्मीदें, जानें कंपनियों के राय
Budget Expectations 2022 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त बजट पेश होने वाला है। जिसको लेकर इलेक्ट्रिक उद्योग काफी उत्साहित है। उद्योग को भरोसा है कि इस साल आने वाले बजट में कई बड़े ऐलान हो सकते हैं जिससे इलेक्ट्रिक इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Budget Expectations 2022: केंद्रीय वित्त बजट 2022-23 1 फरवरी को पेश होने वाला है। हर सेक्टर की तरह इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर को आगामी बजट से काफी उम्मीदे हैं, जिसमें लोकल मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देना, टैक्स में छूट,चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विस्तार, फंडिंग ऑप्शन्स आदि शामिल हैं। ऐसे में आज आपको बताने जा रहे हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री की आने वाले बजट से क्या उम्मीदे हैं।
लोकल मैन्यूफैक्चरिंग को मिले बढ़ावा
Zypp इलेक्ट्रिक के सह-संस्थापक और सीईओ आकाश गुप्ता ने कहा कि भारत में इस समय ईवी का दौर है। इस साल 2022 में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और एडवांस ईवी मॉडल के तेजी से विकास के बाद और बढ़ावा मिलेगा। हमें उम्मीद है कि इस साल आने वाले बजट में सरकार लोकल इलेक्ट्रिक व्हीकल के मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कई घोषणा कर सकती हैं, जिससे लोकल ईवी निर्माण को प्रोत्साहन मिल सके।
टैक्स में छूट
ग्रेटा इलेक्ट्रिक स्कूटर के फाउंडर राज मेहता का मानना है कि 2070 तक शून्य उत्सर्जन को सुनिश्चित करने के सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने में ईवी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मेहता को उम्मीद है कि आगामी बजट में ईवी सेक्टर को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा। ऐसे में ईवी सेक्टर पर कर में छूट, सब्सिडी आदि की घोषणा की उम्मीद है। इसके अलावा ऑटो कम्पोनेन्ट निर्माताओं को भी प्रोत्साहन देना होगा, ताकि ईवी सेक्टर में कम्पोनेन्ट्स और पार्ट्स की उपलब्धता आसान बनाई जा सके। साथ ही उत्पादन में लगने वाले समय और लागत को कम कर ईवी अडॉप्शन को बढ़ाया जा सके।
एक्सपोनेंट एनर्जी के सह-संस्थापक और सीईओ अरुण विनायक का मानना है कि सरकार ने अब तक भारत में ईवी इकोसिस्टम का समर्थन करने का एक शानदार काम किया है। हालांकि, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिसपर सरकार आने वाले बजट पर बड़ा फैसला ले सकती है जैसे- टैक्स में छूट ..इस समय ईवी पर 5 फीसद टैक्स लगता है, वहीं सिर्फ बैटरी पर 18 फीसद का टैक्स लगता है। सरकार ने ली-आयन के लोकल प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना की शुरुआत की है, लेकिन अभी इसे सही तरह से तैयार होने में कम से कम 3 से 5 साल लगेंगे। इसके अलावा अगर ली-आयन सेल पर आयात शुल्क में छूट मिले तो, ईवी स्टार्टअप्स कंपनियों और उपभोक्ता मांग को बढ़ावा देने के लिए बहुत लाभ होगा।
जगह- जगह बने चार्जिंग स्टेशन
ट्रौव मोटर के संस्थापक और सी-ई-ओ अरुण सनी के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग बुनियादी ढांचे पर ज्यादा जोर देना चाहिए, जैसे कि हर एक 3 किलोमीटर की रेंज पर चार्जिंग स्टेशन होना और हाईवे पर हर 20 किलोमीटर के अंदर चार्जिंग स्टेशन स्थापित होना है। इन चार्जिंग प्वाइंट पर बैटरी स्वाइपिंग की भी सुविधा होनी चाहिए।
समान नीति की जरुरत
HOP इलेक्ट्रिक मोबिलिटी सी-ई-ओ और संस्थापक केतन मेहता का कहना है कि कई साल पहले भारत सरकार (GOI) ने हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहन (FAME II) के फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग जैसी नीतियों और विनियमों की घोषणा की थी, जो मार्च 2022 में समाप्त होने वाला था, लेकिन सरकार ने इलेक्ट्रिक इंडस्ट्री को प्रोत्साहित करने के लिए इसे 2024 तक बढ़ा दिया गया है। हालांकि, अभी भी इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए एक समान नीति की आवश्यकता है। ताकि ग्रीन ट्रांसपोर्ट पर ध्यान केंद्रित करने वाले व्यवसायों के लिए अपने पदचिह्न का विस्तार करना आसान हो जाए।
फंडिंग विकल्पों की जरुरत
रेवफिन सर्विसेज के संस्थापक और सी-ई-ओ को लगता है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री में उच्च लागत और वित्तपोषण विकल्पों की कमी एक चिंता का विषय है। उनका कहना है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल की डिमांड पहले की तुलना में बढ़ती जा रही है। वहीं सरकार इस सेक्टर को अपना पूर्ण समर्थन दे रही है, जिससे इंडस्ट्री को ग्रोथ भी देखने को मिली है। लेकिन अभी फंडिंग ऑप्शन की कमी सबसे बड़ा चैलेंज बनकर खड़ा है।