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हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के लिए वाहन मालिकों में मची खलबली, अब नहीं कर सकेंगे बुकिंग, जानें क्या है कारण

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के इस्तेमाल से धोखाधड़ी पर काफी ​हद तक लगाम लगेगी। जानकारी के लिए बता दें हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट वाहन से लिंक होती हैं। यानी अगर आपका वाहन चोरी हो जाता है तो वाहन को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है।

By Sajan ChauhanEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 06:46 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 09:38 AM (IST)
हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के लिए वाहन मालिकों में मची खलबली, अब नहीं कर सकेंगे बुकिंग, जानें क्या है कारण
High Securtiy Number Plate प्रतिकात्मक तस्वीर. (फोटो साभार: जागरण)

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। High Security Number Plate Bookings: दिल्ली में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट को अनिवार्य करने के बाद से कई तरह की परेशानी सामने आ रही हैं। इसी क्रम में अब दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के निर्माताओं और डीलरों को नंबर प्लेट के लिए कोई बुकिंग ना लेने के निर्देश दिए हैं। गहलोत ने कहा कि, "अभी HSRP और स्टिकर लगवाने की प्रक्रिया काफी मुश्किल है, जब तक यह आसान नहीं होती, तब तक कोई बुकिंग नहीं ली जाएगी।"  

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बता दें, दिल्ली में जब से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट को अनिवार्य किया गया है, तब से ही इसे लेकर अलग-अलग तरह की शिकायत आ रही है। जिसे दूर करने के लिए बुकिंग को बंद कर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार ओईएम निर्माताओं और डीलरों को इसके लिए एक सिस्टम लागू करने का आदेश दिया गया है। 

गहलोत ने पीटीआई हवाले से कहा कि, "हमारा उद्देश्य सार्वजनिक सुविधा है। इस बात को गलत फैलाया गया है कि हम तुरंत एचएसआरपी नियम को लागू कर रहे हैं, और इसके चलते वाहन मालिकों में खलबली मच गई।" उन्होंने आगे कहा कि, "सरकार वाहन मालिकों को HSRP नियमों को लागू करने से पहले HSRP और रंग-कोडित स्टिकर लगाने के लिए पर्याप्त समय देगी।" 

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट पर हुई बैठक में परिवहन विभाग, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के वरिष्ठ अधिकारियों, सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) और एचएसआरपी निर्माताओं ने भाग लिया। बताते चलें कि, मोटर वाहन अधिनियम और केंद्रीय मोटर वाहन नियमों के अनुसार, सभी वाहनों के लिए HSRP और रंग-कोडित स्टिकर अनिवार्य हैं। वहीं कुछ रिपोर्टों के अनुसार, 1 अप्रैल, 2019 से पहले पंजीकृत राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 30 लाख वाहनों में इनका इस्तेमाल नहीं किया जाता है। 


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