ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर COVID-19 का ग्रहण, देश की इकोनॉमी पर बुरा असर
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री देश की इकोनॉमी में अहम योगदान देने और सीधे तौर पर 10 लाख लोगों को रोजगार देती है।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री देश की इकोनॉमी में अहम योगदान देने और सीधे तौर पर 10 लाख लोगों को रोजगार देती है। ऐसे में कोरोनावायरस महामारी के चलते ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री जिसकी स्थिति पहले से ही काफी खराब थी और अब इसकी बची-खुची रौनक को भी खत्म कर दिया है। मार्च 2020 में देश में पैसेंजर वाहनों की बिक्री में 51 फीसद की गिरावट देखी गई है।
कोविड-19 की वजह से जिस तरह से लॉकडाउन लगा है उससे हर तरह के वाहनों की बिक्री बंद हो गई है। अगर पीएम नरेंद्र मोदी आज अपने भाषण में पूरे अप्रैल के लिए लॉकडाउन का एलान करते हैं तो यह ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए और भी बुरी खबर होगी। ऐसी स्थिति में बिक्री की रफ्तार के शून्य के आसपास आ जाने का खतरा है।
ऑटोमोबाइल कंपनियों के संगठन सियाम ने सोमवार को मार्च 2020 और वर्ष 2019-20 के आंकड़े जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि पैसेंजर वाहनों की बिक्री 51 फीसद घटकर 1,43,014 यूनिट्स रह गई है। पैसेंजर वाहनों की बिक्री तो 89 फीसद घटकर 1,09,022 रह गई है। टू-व्हीलर्स वाहनों की बिक्री में तकरीबन 40 फीसद की गिरावट देखी गई है। सियाम के अध्यक्ष राजन वढ़ेरा का कहना है कि मार्च में 21 दिनों के लॉकडाउन का एलान किया गया था, समूचे इंडस्ट्री ने इससे चुनौतीपूर्ण समय नहीं देखा है।
लॉकडाउन की वजह से ऑटोमोबाइल सेक्टर में रोजान 2,300 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। वढ़ेरा बताते हैं कि ऑटो सेसक्टर के समक्ष अभी मांग, आपूर्ति और वित्त सभी तरह की दिक्कतें हैं। इन तीनों वर्गों को एक साथ सुधारने के लिए कदम उठाया जाएगा तभी मंदी का यह माहौल खत्म होगा। ऑटो कंपनियों को डर इस बात का है कि अप्रैल की स्थिति मार्च से भी बुरी रह सकती है।
अप्रैल के 13 दिन बीत चुके हैं और इस महीने सभी कंपनियों की फैक्टि्रयां और शो रूम बंद हैं। दैनिक जागरण ने देश की कुछ चुनिंदा कार कंपनियों में बात की और सभी का कहना है कि अगर सीमित स्तर पर उन्होंने उत्पादन शुरू भी कर दिया तो उससे बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए उत्पादन चालू करने में ही कई तरह की दिक्कतें हैं। एक तो उन्हें अपने कुछ सामान आयात करने होते हैं तो कुछ कल-पुर्जे घरेलू कंपनियों से लेने होते हैं। फैक्टि्रयों में तैयार माल को देशभर में भेजना होता है। इस समूचे नेटवर्क को कोरोना से पूरी तरह से सुरक्षित रखने के लए बहुत व्यापक पहल की जरूरत होगी।