ऑटो सेक्टर को PLI सब्सिडी के लिए माननी पड़ सकती हैं सरकार की कड़ी शर्तें
अगर क्वालिफाइंग पैरामीटर्स की बात करें तो इसमें पेरेंट कंपनी लेवल पर मिनिमम एनुअल एक्सपोर्ट 1000 करोड़ होना जरूरी होगा। मल्टीनेशनल कॉर्पोरेशंस को सब्सिडी के लिए 10000 करोड़ का वार्षिक वैश्विक राजस्व दिखाना भी जरूरी किया जा सकता है
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। सरकार ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना के तहत सब्सिडी प्राप्त करने के लिए कठिन एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया शुरू कर सकती है, जिसका मतलब ये हुआ कि अगर कंपनियों को सरकार से सब्सिडी चाहिए तो उन्हें कड़ी शर्तों का पालन करना पड़ेगा अन्यथा वो सब्सिडी पाने के हकदार नहीं होंगे। आपको बता दें कि पीएलआई योजना की शुरुआत लोकल मैन्युफेक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।
अगर क्वालिफाइंग पैरामीटर्स की बात करें तो इसमें पेरेंट कंपनी लेवल पर मिनिमम एनुअल एक्सपोर्ट 1000 करोड़ होना जरूरी होगा। मल्टी नेशनल कॉर्पोरेशंस को सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए अपनी स्थानीय इकाइयों के लिए निर्यात मानदंड के अलावा 10,000 करोड़ रुपये का वार्षिक वैश्विक राजस्व दिखाना होगा
इसके अलावा, निर्यात किए गए वाहनों और घटकों में निर्यात मानदंड को पूरा करने के लिए लगभग 80% स्थानीय स्तर पर स्रोत और सामग्री होनी चाहिए। इस बात की संभावना है कि भारी उद्योगों के मंत्रालय पात्रता मानदंडों को संशोधित कर सकते हैं, जिससे उन्हें अधिक कठोर बना दिया जा सकता है।
मंत्रालय को ऑटोमोटिव क्षेत्र की कंपनियों के लिए पात्रता मानदंड का विवरण तैयार करने का काम सौंपा गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 11 नवंबर को घोषणा की थी कि लोकल मैन्युफेक्चरिंग को बढ़ावा देने और निर्यात बढ़ाने के लिए 10 सेक्टर्स में कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए 2 लाख करोड़ रुपये की उत्पादन-लिंक्ड मैन्युफेक्चरिंग स्कीम शुरू की जाएंगी। वाहन निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं सहित ऑटो सेक्टर को 57,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी का सबसे बड़ा हिस्सा मिलेगा।