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ऑटो सेक्टर में लाखों नौकरियों पर तलवार

ऑटोमोबाइल सेक्टर में चल रही मंदी का खतरा इस उद्योग के लाखों कामगारों की तरफ बढ़ रहा है

By Ankit DubeyEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 09:50 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 09:50 AM (IST)
ऑटो सेक्टर में लाखों नौकरियों पर तलवार
ऑटो सेक्टर में लाखों नौकरियों पर तलवार

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। ऑटोमोबाइल सेक्टर में चल रही मंदी का खतरा इस उद्योग के लाखों कामगारों की तरफ बढ़ रहा है। ऑटोमोटिव कंपनोनेंट मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन (ACMA) का मानना है कि मंदी जारी रही तो 10 लाख नौकरियां इसकी चपेट में आ सकती हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए एसोसिएशन ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर को पूरे ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए 18 फीसद पर लाने की सिफारिश की है।

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पिछले 10 महीने से ऑटो उद्योग की बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है, जिससे कंपोनेंट उद्योग भी प्रभावित हो रहा है। एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राम वेंकटरमानी ने उद्योग के सालाना प्रदर्शन पर आयोजित एक प्रेसवार्ता में कहा, ‘कंपोनेंट उद्योग की रफ्तार ऑटो कंपनियों की वृद्धि दर पर ही निर्भर करती है। वाहनों के उत्पादन में करीब 15-20 फीसद की कमी ने संकट खड़ा कर दिया है। यह स्थिति आगे बनी रही तो उद्योग में छंटनी की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।’ वेंकटरमानी ने कहा कि कुछ कंपनियों में तो छंटनी की शुरुआत भी हो चुकी है। वेंकटरमानी ने कहा कि मांग में कमी, बीएस-4 से बीएस-6 में तब्दील करने पर हुए निवेश, इलेक्टिक व्हीकल पर स्पष्ट रोडमैप का अभाव ने भविष्य में आने वाले निवेश पर रोक लगा दी है। उनका कहना था कि उद्योग को तत्काल सरकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता है। फिलहाल सरकार को समूचे ऑटो सेक्टर में जीएसटी की एकसमान 18 फीसद की दर को लागू कर देना चाहिए। एसोसिएशन के मुताबिक करीब 70 फीसद ऑटो कंपोनेंट 18 फीसद जीएसटी दर के दायरे में आते हैं। जबकि शेष 30 फीसद उत्पादों पर 28 फीसद दर लागू होती है। लेकिन इन पर 15 फीसद तक का सेस भी लगता है।

एसोसिएशन के महानिदेशक विनी मेहता ने कहा कि नीति आयोग की तरफ से ऑटो उद्योग को इलेक्टिक व्हीकल में तब्दील करने के आक्रामक अभियान ने ऑटो उद्योग में हलचल मचा दी है। जबकि उद्योग ने फेम-2 स्कीम को तय करने में भारी उद्योग मंत्रलय के साथ हुई मंत्रणा में पूरा योगदान किया है। मेहता ने कहा कि सरकार को इलेक्टिक व्हीकल की दिशा में बढ़ने के लिए एक स्थिर रोडमैप बनाने पर विचार करना चाहिए। गौरतलब है कि नीति आयोग ने साल 2023 तक तिपहिया वाहन उद्योग और 2025 तक दोपहिया वाहन उद्योग को इलेक्टिक व्हीकल में बदलने का प्रस्ताव किया है।

छटनी की वजह:

कंपोनेंट उद्योग में 70 फीसद कर्मचारी ठेका व्यवस्था में काम करते हैं। इसलिए जब भी मांग में कमी आती है और ऑटो कंपनियां उत्पादन कम करती हैं तो कंपोनेंट उद्योग में भी कर्मचारियों की संख्या में कमी आती है। विभिन्न प्रकार के वाहन बनाने वाली ऑटो कंपनियों को कलपुर्जे और अन्य उपकरणों की आपूर्ति करने वाले कंपोनेंट उद्योग में करीब 50 लाख लोग काम करते हैं।

ऐसा रहा है प्रदर्शन:

वित्त वर्ष 2018-19 में ऑटो कंपोनेंट उद्योग में वृद्धि की दर 14.5 फीसद रही। जबकि उससे पिछले वित्त वर्ष में उद्योग की बिक्री में 17.1 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई थी। 2018-19 की दूसरी छमाही से उद्योग के प्रदर्शन में गिरावट आनी शुरू हुई।

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