Volkswagen Polo TSI Review: तेजतर्रार होने के साथ चलाने में कितनी मजेदार?
2020 के लिए एक ओर हुंडई का 1.0 लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन और दूसरा फॉक्सवैगन का 1.0 लीटर TSI इंजन पॉपुलर हो रहे हैं। ये इंजन छोटी गाड़ियों में स्पोर्ट्स कार जैसी जान डाल देते हैं। ऐसे में हम आपके लिए Volkswagen Polo का रिव्यू लेकर आए हैं।
नई दिल्ली, अंकित दुबे। भारतीय बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमतों के बीच ज्यादा अंतर नहीं रहा है, तो ऐसे में कई कार निर्माता कंपनियां हैचबैक सेगमेंट में छोटे टर्बो पेट्रोल इंजन भी शामिल कर रही हैं। साल 2020 के लिए एक ओर जहां हुंडई का 1.0 लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन और दूसरा फॉक्सवैगन का 1.0 लीटर TSI इंजन काफी पॉपुलर हो रहे हैं। ये दोनों इंजन छोटी गाड़ियों में स्पोर्ट्स कार जैसी जान डाल देते हैं। खैर, दोनों इंजन वाली गाड़ियों का मुकाबला जागरण में हम आपके लिए जल्द लेकर आएंगे, लेकिन इससे पहले हम आपके लिए Volkswagen Polo का विस्तार से रिव्यू कर रहे हैं। इस रिव्यू के अंत में आपको तीन ऐसी बातें पता चलेंगी जो इस गाड़ी को दमदार बनाती हैं और 3 ऐसी बातें जो इसे सेगमेंट में पीछे धकेलती हैं।
एक्सटीरियर
Polo में पिछले साल ही डिजाइन का अपडेट मिला था और अब तक ये समान डिजाइन के साथ ही है। यानी साधारण और साफ डिजाइन देखने को मिलता है, नया GTI टाइप ग्राफिक आपको इसमें मिल जाता है छोटा और इंटीग्रेटेड रूफ स्पॉयलर भी इसमें दिया है। फ्रंट और रियर बंपर Polo GTI जैसा ही लगता है, ताकि गाड़ी की स्पोर्टीनेस बरकरार रहे। पोलो हमेशा से ऐसा डिजाइन रहा है जो इस मॉडल को सेगमेंट में अलग खड़ा करता है। हालांकि, इसमें आपको डेटाइम रनिंग लाइट्स नहीं मिलती, जो कि सेगमेंट की बाकी गाड़ियों में मिलती हैं। खैर, मुझे लगता है कि कंपनी जल्द ही इसका नया जनरेशन अवतार भारत में लॉन्च करेगी, जो कि कंपनी के लिए जरूरी भी है।
इंटीरियर
पोलो के इंटीरियर में आते ही आपको एक बेसिक केबिन मिलता है और इसकी बनावट काफी अच्छी और मजबूत भी है। ऑल-ब्लैक कलर स्कीम मुझे हमेशा से ही पसंद है और पोलो में भी आपको ऑल-ब्लैक इंटीरियर मिलता है। लेदर चढ़ा हुआ स्टीयरिंग व्हील भी पकड़ने में प्यारा लगता है और ये D-कट के साथ स्पोर्टी रूप देता है। कार में 6.5 इंच का टचस्क्रीन इन्फोटेनमेंट सिस्टम दिया है जो एप्पल कारप्ले और एंड्रॉयड ऑटो के साथ आता है और इसमें आपको रियर पार्किंग कैमरा नहीं मिलता, जो कि मुझे लगता है काफी जरूरी हो गया है। सेफ्टी के लिहाज से ये जरूरी भी है और पार्किंग कैमरा ना होने के चलते रात के समय में गाड़ी पार्क करने में थोड़ी दिक्कत भी होती है। कुल मिलाकर जैसे कि केबिन में मैटेरियल्स की क्वालिटी सेगमेंट में सबसे बेस्ट है। ठीक वैसे ही पिछली सीटों पर मिलने वाला नी-रूम सेगमेंट में सबसे खराब है।
इंजन और परफॉर्मेंस
जब Polo को फेसलिफ्ट वर्जन मिला था, तब इसमें कई बड़े अपडेट्स किए गए थे और बड़ा बदलाव इसके इंजन में किया गया। यह 999 cc वाला 3-सिलेंडर इंजन है, जो करीब 109 hp की पावर और 175 Nm का टॉर्क जनेरेट करता है और इसका टॉर्क सिर्फ 1,750 rpm पर शुरू हो जाता और ये 4,000 rpm तक काफी खुशी से रेव्स लेता है। यही समान इंजन आपको पोलो में ही नहीं बल्कि फॉक्सवैगन की वेंटो और स्कोडा रैपिड में भी मिलता है और समान स्टेट ऑफ ट्यून के साथ यानी पावर और टॉर्क के आंकड़े भी आपको समान मिलते हैं। खैर, हमारी टेस्ट कार 6-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ है। हालांकि, इसका जो GT वेरिएंट है वो 6-स्पीड टॉर्क कन्वर्टर ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन के साथ आता है और उसमें कंपनी ने अब DSG (डुअल क्लच गियरबॉक्स) को हटा दिया है। पोलो में ये 1.0 TSI इंजन एक अवार्ड-विनिंग इंजन है। चलाने के दौरान रिफाइनमेंट की कोई कमी महसूस नहीं होती और निचले रेव्स पर भी टर्बो लैग के काफी अच्छे संकेत मिलते हैं। लेकिन आफ जैसे ही इसे ट्रैफिक में चलाते हैं तो ये आपके मजे को खराब कर देती है और जैसे ही आप 2,500 rpm से परे जाते हैं तो इंजन आपको ट्रिपल डिजिट की रफ्तार पकड़ने में कतई देरी नहीं करता।
6-स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स भले ही DSG जैसा अनुभव ना दे, लेकिन इसमें आपको पावर की कोई कमी महसूस नहीं होती है और गियर्स की पावर डिलीवरी भी काफी स्मूथ है। इंजन से एक्सेलेरेशन पैडल पर पहुंचा हुआ वाइब्रेशन भी आपको साफ देखने को मिल जाता है। कॉर्नरिंग के दौरान पोलो आपका आत्मविश्वास गिरने नहीं देता और स्टीयरिंग की बात करें तो इसका रिस्पांस भी थोड़ा ठीक-ठाक मिलता है, लेकिन गाड़ी के साथ बैठे पैसेंजर के वजन को निचोड़ लेता तो और ज्यादा बेहतर होता। फॉक्सवैगन का दावा है कि पोलो मे मिलने वाला पेट्रोल इंजन मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ 18.24 kmpl का माइलेज देता है, लेकिन माइलेज से क्या जो लोग पोलो खरीदते हैं, उन्हें मुझे नहीं लगता माइलेज से कुछ फर्क पड़ता होगा।
हमें पोलो में एक चीज और बेहतर लगी जो कि इसकी स्थिर राइड क्वालिटी है। ये एक शानदार राइड देती है और उबड़-खाबड़ सड़क और गढ्ढों को काफी आरामदायक अवस्था में पार कर लेती है। ब्रेक्स भी बेहतर लगते हैं और Goodyear के टायर्स सड़कों पर बेहतर ग्रिप देते हैं खासकर जब आप हाई-स्पीड में कॉर्नरिंग कर रहे होते हैं। साथ ही इसमें मिलने वाला अल्ट्रा स्टिफ चैसिस इस गाड़ी के साथ आपका आत्मविश्वास बनाए रखता है, जो कि आपको दूसरी हैचबैक से नहीं मिलता।
हमारा फैसला
तो अब बात करते हैं इस गाड़ी को खरीदा जाए या नहीं, लेकिन इससे पहले वो तीन बाते आपके लिए जरूरी हैं जो हमें पसंद आई।
1. फन-टू ड्राइव
2. मजबूत बिल्ड क्वालिटी
3. ओल्ड-स्कूल चार्म
तीन बातें जो हमें ना पसंद आई
1. पुराना डिजाइन
2. मॉडर्न फीचर्स की भारी कमी
3. रियर सीटों पर आराम
भारतीय बाजार में फॉक्सवैगन पोलो 1.0 TSI की कीमत 8.08 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) है, जो कि GT 1.0 TSI 9.67 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) तक जाती है और इसका कड़ा मुकाबला Hyundai की नई i20 से माना जा रहा है।