Move to Jagran APP

भारत को एड होक आर्बिट्रेशन से इंस्टीट्यूशनल आर्बिट्रेशन की ओर रूख करना चाहिए

सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश ने 12वें सालाना इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सम्मेलन के दौरान कहा भारत को एड होक आर्बिट्रेशन से इंस्टीट्यूशनल आर्बिट्रेशन की ओर रूख करना चाहिए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 07:34 PM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 07:34 PM (IST)
भारत को एड होक आर्बिट्रेशन से इंस्टीट्यूशनल आर्बिट्रेशन की ओर रूख करना चाहिए
भारत को एड होक आर्बिट्रेशन से इंस्टीट्यूशनल आर्बिट्रेशन की ओर रूख करना चाहिए

नई दिल्‍ली। सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश ने नानी पालखीवाला आर्बिट्रेशन सेंटर द्वारा आयोजित 12वें सालाना इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सम्मेलन के दौरान कहा, भारत को एड होक आर्बिट्रेशन से इंस्टीट्यूशनल आर्बिट्रेशन की ओर रूख करना चाहिए। सभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने आर्बिट्रल प्रक्रिया में अवि‍लंब की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि न्यायिक समीक्षा को विस्तारित किए बिना भीतरी अपील के अधिकार को सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने अपने भाषण में 1996 अधिनियम पर चर्चा की तथा अवार्ड्स, इसके दायरे, यह कितना महंगा है और आगे की ओर मार्ग के संदर्भ में प्रावधानों पर विचार-विमर्श किया।

loksabha election banner

‘‘आर्बिट्रेशन उतना ही अच्छा है जितना कि आर्बिट्रेशन का संचालन करने वाला आर्बिट्रेटर। ऐसे प्रशिक्षित आर्बिट्रेटर की नियुक्ति की जानी चाहिए जो न्यायिक समीक्षा के दायरे को विस्तारित करने के बजाए अखंडता के साथ विषय की जानकारी रखता हो।’’ उन्होंने कहा।

मिस लेघ- एन मलकैची क्यूसी, फाउन्टेन कोर्ट चैम्बर्स, लंदन ने निष्पक्षता के पहलु को आर्बिट्रेशन का मूल सिद्धान्त बताया और कहा, ‘‘यह सिस्टम की महत्वपूर्ण आवश्यकता है जो स्वैच्छिक एवं स्वायत्त है कि वे ऐसे आर्बिट्रेटर के साथ पूरी तरह से सहज हों, जो विवाद को हल करेगा।’’ उन्होंने अपने भाषण के दौरान विभिन्न संदर्भों में आर्बिट्रेटर की नियुक्ति की बात की, जो विषयगत मामलों की अतिव्याप्ति से संबंधित हों, आर्बिट्रेटर नियुक्ति में आने वाली चुनौतियों और पहले संदर्भ में उनके सामने आने वाले जोखिमों पर चर्चा की।

वरिष्ठ अधिवक्ता एवं एनपीएसी डायरेक्टर अरविंद पी. दातर ने विदेशी वकीलेां और विदेशी आर्बिट्रेटर्स की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 25 सालों से मैं इस विषय में सुन रहा हूं कि हमें क्यों एड होक आर्बिट्रेशन नहीं रखना चाहिए और मुझे लगता है कि समय आ गया है हम इन्स्टीट्यूशनल आर्बिट्रेशन की ओर रूख करें, कम से कम पीएसयू के लिए यह जरूरी है। इससे पहले कि हम इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन की ओर बढ़ें, हमें डोमेस्टिक आर्बिट्रेशन को सशक्त बनाना होगा।’’

सम्मेलन का आयोजन शैंगरी ला के ईरोज होटल में हुआ, जिसने अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ताओं को भारत में आर्बिट्रेशन के समक्ष आने वाली मुख्य चुनौतियों पर चर्चा करने का मौका प्रदान किया। एक दिवसीय कार्यक्रम में इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्रों का आयोजन किया गया। साथ ही आर्बिट्रेशन पेशेवरों को नेटवर्किंग के व्यापक अवसर मिले।

सम्मेलन में तकरीबन 250 एडवोकेट्स, सीईओ, अकादमिकज्ञों, वित्तीय मध्यस्थों, छात्रों ने सक्रियता से हिस्सा लिया और कई समकालीन विषयों पर चर्चा की। सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले कुछ प्रख्यात प्रवक्ताओं में शामिल थे श्री आदित्य स्वरूप, काउन्सल नई दिल्ली, श्री एस महानिंगम, पूर्व सीएफओ, टीसीएस लिमिटेड और डायरेक्टर एनपीएसी, सीनियर एडवोकेट श्री एन एल राजेश, श्री स्टीवन लिम, बैरिस्टे 39 एसेक्स चैम्बर्स, लंदन और मिस गीतू सिंह, साझेदार प्राइसवाटर हाउस कॉपर्स प्रा लिमिटेड, भारत।

सम्मेलन में पांच पैनल चर्चाएं हुईं, जिसमें आर्बिट्रेशन से जुड़े विभिन्न पहलुओं, भारत में एड होक आर्बिट्रेशन और इंस्टीट्यूशनल आर्बिट्रेशन की नियुक्ति हाल ही में कानूनी परिवेश में हुए विकास कार्यों और उभरते रूझानों पर चर्चा की।

(Branded Story) 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.