‘मेक इन इंडिया’ से बदल रहा भारत
फ्रेंच कार कंपनी रेनॉ ने 2015 में क्विड का उत्पादन भारत में शुरू किया था। इसका 98 फीसद हिस्सा भारत में ही तैयार किया गया है। यह 'मेक इन इंडिया' कैंपेन की बड़ी सफलताओं में से एक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वाकांक्षी अभियान 'मेक इन इंडिया' को शुरू हुए लगभग दो साल से ज्यादा समय हो गया है। ‘मेक इन इंडिया’ भारत सरकार द्वारा देशी और विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में ही वस्तुओं के निर्माण पर जोर देने के लिए बनाया गया है। इसका उद्घाटन पीएम मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को किया था। इसकी शुरुआत रक्षा, खाद्य प्रसंस्करण समेत 25 क्षेत्रों में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। यह अभियान लगातार आगे बढ़ता जा रहा है।
पिछले लगभग दो सालों में कई देशी-विदेशी कंपनियों ने ‘मेक इन इंडिया’ में दिलचस्पी दिखाई। इससे देश के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में तो इजाफा हुआ ही, रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। जॉब प्लेसमेंट फर्मों का अनुमान है कि मैन्युफैक्चरिंग, इंजिनियरिंग और इनसे जुड़े सेक्टर्स में इनवेस्टमेंट बढ़ने से 2022 तक करीब 10 करोड़ नई नौकरियां बनेंगी। मेक इन इंडिया अभियान में स्किल डेवेलपमेंट पर काफी जोर दिया जा रहा है। 100 स्मार्ट सिटी बनाने की योजना से भी नौकरियों की संख्या बढ़ने का अनुमान है।
बीते दो साल में मिले ये प्रस्ताव
-फ्रेंच कार कंपनी रेनॉ ने 2015 में क्विड का उत्पादन भारत में शुरू किया था। इसका 98 फीसद हिस्सा भारत में ही तैयार किया गया है। अभी कंपनी क्विड को श्रीलंका, नेपाल और मॉरीशस में निर्यात कर रही है। यह 'मेक इन इंडिया' कैंपेन की बड़ी सफलताओं में से एक है।
-'मेक इन इंडिया' कैंपेन के तहत कंपनियों को मिले रहे अनुकूल महौल की वजह से एप्पल कंपनी अपने आईफोन भारत में बनाना चाहती है। कंपनी ने बेंगलुरु में एक स्मार्टफोन निर्माण यूनिट स्थापित करने का फैसला लिया है।
-देश की दूसरी सबसे बड़ी हैंडसेट कंपनी माइक्रोमैक्स अगले पांच साल में विनिर्माण और नई उत्पादन लाइनों पर 2,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कंपनी के सह-संस्थापक राजेश अग्रवाल का कहना है कि वे देश में बैटरी और चार्जर जैसी एक्सेसरीज के विनिर्माण की योजना बना रहे हैं।
-इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली दक्षिण कोरिया की कंपनी एलजी ने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत कुछ समय पहले स्थानीय रूप से विनिर्मित दो स्मार्टफोन पेश किए थे। कंपनी ने देश में 10 लाख स्मार्टफोन के विनिर्माण का लक्ष्य रखा है। कंपनी जीडीएन इंटरप्राइजेज के साथ मिलकर अपने नोएडा कारखाने में फोन का विनिर्माण करेगी।
-इसके अलावा एलएच उड्डयन, लेनेवो, स्पाजइस समूह, हिताची और क्वा लकॉम जैसी दर्जनों कंपनियां ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम का हिस्साै बनने के लिए उत्साहहित नजर आई हैं।
‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के बाद से भारत में व्या पार करने के माहौल में काफी परिवर्तन देखने को मिला है, जो व्यारपारियों को काफी लाभ पहुंचा रहा है। इससे विदेशी उद्यमियों को भी भारत में काफी संभावनाएं नजर आ रही हैं। साल 2016 में यह भी देखने को मिला कि ‘मेक इन इंडिया’ से देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आ रहा है। टिंग एजेंसी मूडीज़ के मुताबिक, साल 2016 में भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का इनफ्लो सबसे ज्यादा रहा है। इसके लिए उसने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'मेक इन इंडिया' पहल को श्रेय दिया है। पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह जानकारी दी कि पिछले ढाई साल में देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रवाह 130 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। पिछले दो वित्त वर्षों में एफडीआई का प्रवाह इससे पिछले दो वित्त वर्षों से 66 प्रतिशत अधिक रहा है। पिछले साल एफडीआई का प्रवाह अब तक का सर्वाधिक रहा है।