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ई-वे बिल्स के लिए है आपको एक सॉफ्टवेयर की दरकार, तो ये जानना आपके लिए है ज़रूरी

एक ई-वे बिल तैयार करने के लिए, आपको ई-वे बिल पोर्टल पर इनवॉइस में सभी जानकारी और ट्रांसपोर्टेशन डिटेल भरनी होंगी।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 20 Mar 2018 07:03 PM (IST)Updated: Thu, 05 Apr 2018 06:53 PM (IST)
ई-वे बिल्स के लिए है आपको एक सॉफ्टवेयर की दरकार, तो ये जानना आपके लिए है ज़रूरी
ई-वे बिल्स के लिए है आपको एक सॉफ्टवेयर की दरकार, तो ये जानना आपके लिए है ज़रूरी

जीएसटी को जुलाई 2017 में लागू कर दिया गया। 'एक राष्ट्र एक कर' के इस सफर में अब देशभर के हाइवे का विशाल नेटवर्क भी शामिल हो गया है जो दिन-रात देशभर में माल की ढुलाई का एक ज़रिया है। ई-वे बिल देशभर में माल की ढुलाई से जुड़े कारोबार के लिए एक संगठित मानदंड तैयार करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। एक ट्रांसपोर्टर के लिए दो राज्यों के बीच या राज्य के भीतर 50 हज़ार से ज़्यादा के माल की ढुलाई के लिए ई-वे बिल साथ रखना ज़रूरी है। ट्रांसपोर्टर को ई-वे बिल या इसका इनवॉइस प्रमाण के तौर पर साथ रखना होगा।

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माल की ढुलाई के आधार पर, उसका E-way Bill एक रजिस्टर्ड व्यापारी या ट्रांसपोर्टर तैयार कर सकता है।

ई-वे कैसे तैयार किया जाए? ये मेरे कारोबार पर किस तरह असर डालता है?

अगर आप एक कारोबारी हैं, तो हो सकता है कि उपरोक्त सवाल आपके दिमाग में भी आ रहा हो।

तकनीक को एक सहायक के तौर पर, ई-वे बिल को हज़ारों कारोबारियों, ट्रांसपोर्टरों, डिस्ट्रिब्यूटरों, उत्पादकों और लॉजिस्टिक मुहैया कराने वालों के लिए देशभर में आसान बनाना चाहिए। साथ ही तकनीक को एक बेहद ही अलग सूचना प्रौद्योगिकी माहौल में काम करना चाहिए। इसे रफ़्तार के साथ बेहद ही लचीले ढंग से काम करना चाहिए, जिससे ये कारोबार में अनपेक्षित उतार चढ़ाव के साथ ढल सके।

आइये देखते हैं ऐसे कुछ अहम प्वॉइंट जो आपको अपने ई-वे बिल सॉफ्टवेयर की परफॉर्मेंस के बारे में ध्यान रखने चाहिए।

एक सफल शुरुआत

एक ई-वे बिल तैयार करने के लिए, आपको ई-वे बिल पोर्टल पर इनवॉइस में सभी जानकारी और ट्रांसपोर्टेशन डिटेल भरनी होंगी। इसे करने का आसान तरीका ये है कि आप इनवॉइस की जानकारी अपने सॉफ्टवेयर में फीड कर लें, पोर्टल पर डेटा अपलोड करें, ट्रांसपोर्टेशन की जानकारी भरें और ई-वे बिल तैयार करें। ई-वे बिल आपको ई-वे बिल नंबर दर्शाएगा। साथ ही, आप दोनों इनवॉइस और ट्रांसपोर्टेशन की जानकारी ई-वे बिल पोर्टल में ई-वे बिल बनाने के लिए डाल सकते हैं। एक कारोबारी के तौर पर, यकीनन आपको अपनी बुककीपिंग के लिए इस इनवॉइस को वापस सॉफ्टवेयर में रिकॉर्ड करना होगा। क्या इसके लिए आपको दोबारा सभी डिटेल भरने होंगे? अगर आपका सॉफ्टवेयर आधुनिक होगा तो आपको इसे दोबारा करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

एक आधुनिक सॉफ्टवेयर इनवॉइस बनाते वक़्त ही इनवॉइस और ट्रांसपोर्टेशन डिटेल डालने में सक्षम होगा और इस प्रक्रिया को आपके लिए आसान बना देगा। आपको सिर्फ़ डेटा को पोर्टल पर अपलोड कर ई-वे बिल तैयार करना है। आप सॉफ्टवेयर और ई-वे बिल पोर्टल को आसानी से ज़रूरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकेंगे।

जीएसटी के अनुरूप

क्या आपके पास इनवॉइस की एक लंबी लिस्ट है? आप कैसे पता करेंगे कि इनमें से कौन से बिल ई-वे बिल के अंतर्गत आएंगे और कौन-से बिल नहीं? आपके सॉफ्टवेयर को आपके लिए ये चुनाव करना चाहिए और जीएसटी के अनुरूप ढलने में आपकी मदद करनी चाहिए। आपका सॉफ्टवेयर इतना आधुनिक होना चाहिए कि आप इसके ज़रिये आसानी से इनवॉइस ट्रेक कर सकें और ऐसे इनवॉइस को पहचान सकें जिनके ई-वे बिल तैयार होने बाकी हैं।

संयुक्त ई-वे बिल तैयार करना

एक ट्रांसपोर्टर की पेचीदगी को आसान बनाने के लिए कमर्शल टैक्स डिपार्टमेंट ने कई ई-वे बिल के लिए एक संयुक्त ई-वे बिल को मंज़ूरी दी है। ऐसा तभी किया जा सकता है जब ट्रांसपोर्टेशन, गाड़ी नंबर, सप्लाई की जगह और राज्य एक ही हों। लेकिन सबसे पहले आपको सभी के लिए एक अलग ई-वे बिल बनाना होगा तभी आप इन सभी का एक संयुक्त ई-वे बिल तैयार कर सकते हैं।

आइये इसे एक उदाहरण की मदद से समझते हैं। एक ई-कॉमर्स ऑपरेटर को एक जगह पर रहने वाले अपने 10 उपभोक्ताओं को माल भेजना है। ट्रांसपोर्टर के लिए ये बेहद ही सुविधाजनक होगा कि वो पूरे माल के लिए एक संयुक्त ई-वे बिल साथ रखे। आपके सॉफ्टवेयर में ये सुविधा होनी चाहिए जिससे आपके लिए चीज़ें आसान हो जाएंगी।

ई-वे बिल बनाने में सुविधा

भारत में कारोबार उतने ही विविध हैं जितने हमारे उप-महाद्वीप। कारोबार में बहुत बार अनपेक्षित स्थितियां आती हैं। अगर आपके सप्लायर का इंटरनेट कनेक्शन काम नहीं कर रहा है, तो ऐसे में आप परचेज़ इनवॉइस और ई-वे बिल तैयार कर पाने में सक्षम हों।

क्योंकि एक अनरजिस्टर्ड डीलर ई-वे बिल तैयार नहीं कर सकता, इसलिए एक अनरजिस्टर्ड डीलर से माल खरीदते वक़्त आपके सॉफ्टवेयर को इसमें आपकी मदद करनी चाहिए।

कुछ डिस्ट्रिब्यूटर्स मांग पर आधारित कारोबार क्षेत्र में काम करते हैं। उन्हें नियमित अंतराल पर इनवॉइस बनाने होते हैं और ऑर्डर मिलते ही माल को विक्रेता तक पहुंचाना होता है। उदाहरण के तौर पर: एक डिस्ट्रिब्यूटर को पूरे दिन में कई रेफ्रिजरेटर डिसपैच करने होते हैं। उसे इतना सक्षम होना चाहिए कि वो ऑर्डर मिलते ही ई-वे बिल तैयार कर सके।

कुछ कारोबारी सिर्फ़ सुबह के वक़्त ही माल डिसपैच करते हैं। उदाहरण के तौर पर: एक एफएमसीजी डिस्ट्रिब्यूटर एक निर्धारित जगह की दुकानों पर एक बार में ही सामान पहुंचाता है। इस मामले में, उसे एक साथ ही कई ई-वे बिल तैयार करने होते हैं।

तकनीक के ज़रिये आपको वो सुविधा मिलनी चाहिए कि आप किसी भी वक़्त ई-वे बिल तैयार कर सकें। ये आपके लिए एक ई-वे बिल, कई ई-वे बिल और संयुक्त ई-वे बिल तैयार करने में मददगार होना चाहिए।

क्रेडिट, डिलिवरी और रिसीप्ट नोट्स के लिए ई-वे बिल

एक कंसाइनमेंट हमेशा ही सेल इनवॉइस पर आधारित नहीं होता। लेन-देन का तरीका और कारोबार के मुताबिक, ये क्रेडिट नोट, डिलिवरी नोट या रिसीप्ट नोट भी हो सकता है। आपका सॉफ्टवेयर इस तरह के कंसाइनमेंट के ई-वे बिल बनाने में भी सक्षम होना चाहिए।

ऐसे में आपको ज़रूरत है कि आप इस तरह के कंसाइनमेंट के ई-वे बिल बनाने में मददगार सॉफ्टवेयर को ही चुनें। अगर आप भी ऐसे ही किसी सॉफ्टवेयर की तलाश में है जो इन सभी ज़रूरतों को पूरा करता है, तो आप चुन सकते हैं Tally.ERP 9.

जब आप Tally.ERP 9 पर इनवॉइस तैयार करते हैं, ये आपको ई-वे बिल तैयार करने के लिए ज़रूरी सभी जानकारी को रिकॉर्ड करने में मददगार साबित होता है। आपको ई-वे बिल तैयार करने के लिए सिर्फ़ अपने डेटा को ई-वे बिल पोर्टल पर अपलोड करना है।

Tally.ERP 9 ई-वे बिल के प्रबंधन को बेहद ही आसान बना देता है। ये आपके वक़्त की बचत के साथ आपकी कामकाजी मेहनत को भी कम करता है। आप ई-वे बिल को ऐड, मोडिफाई, डिलीट, कंसोलिडेट और ट्रैक कर सकते हैं। ट्रांसपोर्ट मोड बदल जाने पर आप मौजूदा ई-वे बिल को अपडेट कर सकते हैं और एक नया ई-वे बिल तैयार कर सकते हैं।

चाहे कुछ भी हो, ई-वे बिल जल्द ही भारतीय कारोबारों का एक अहम हिस्सा बनने वाला है। तो तैयार हो जाइये।

* Some States have made this a mandate, some are yet to. The e-Way Bill is expected to go live for all inter-state movement of goods from April 1, 2018 as announced by the GST Council.


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