विलुप्त हो रही संस्कृत भाषा पर विदेशी योगगुरु ने जताई ¨चता
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी: कौसानी विद्यापीठ के योगगुरु स्वामी आशुतोष महाराज ने प्रदेश में विलुप्त हो
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी: कौसानी विद्यापीठ के योगगुरु स्वामी आशुतोष महाराज ने प्रदेश में विलुप्त हो रही संस्कृत भाषा पर ¨चता जताई। उन्होंने कहा कि भारत में संस्कृत भाषा को द्वितीय राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त है। केंद्र और प्रदेश में द्वितीय राजभाषा ही सरकार की उपेक्षा का दंश झेल रही है। संस्कृत भाषा को प्रोत्साहन देने के लिए उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार से इसे बचाने की अपील की है। और इसके लिए उन्होंने केंद्र और प्रदेश में संचालित होने वाले संस्कृत महाविद्यालयों की दुर्दशा को सुधारने की बात कही।
रविवार को काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के हनुमान मंदिर में पुरातन छात्र परिषद श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय की एक बैठक आयोजित की गई। वैदिक योग गुरु आशुतोष महाराज की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में पुरातन छात्रों ने संस्कृत भाषा और शिक्षा पर ¨चता जताते हुए विचार विमर्श किया। महाविद्यालय व्यवस्थापक हरि प्रसाद शास्त्री ने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय के अंदर भी राजनीति का बोलबाला चल रहा है। जिसके कारण संस्कृत को पहचान नहीं मिल पा रही है। उन्होंने कहा ज्ञान ही वेद है, इसके अतिरिक्त विश्व में कोई भी ज्ञान नहीं है, ऋषि, मुनियों ने जो पूरे भारत वर्ष को दिया है, वह संस्कृति नष्ट हो रही है। प्रदेश सरकार संस्कृत जगत की उपेक्षा कर रही है। उन्होंने बताया कि संस्कृत भाषा को बचाने के लिए प्रदेश सरकार को इसका प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है। जो विद्यालय संस्कृत का प्रचार-प्रसार करे वे विद्यालय संस्कृत विद्यालय हो।
मौके पर डॉ. देवेंद्र दत्त पैन्यूली, डॉ. राधेश्याम खंडूड़ी, परमानंद नौटियाल, नागेंद्र दत्त रतूड़ी, शिवप्रसाद भट्ट, अर¨वद प्रसाद गैरोला, नरेश प्रसाद भट्ट, गिरीश भट्ट, स्वामी राघवानंद, कैलाशचंद जुयाल, गणपति, पूर्णानंद भट्ट, कृष्णाचंद खंडूड़ी, मुरारीलाल भट्ट, कमलेश्वर प्रसाद खंडूड़ी, महेश पनैरु आदि उपस्थित थे।