बगैर पशु डॉक्टर चल रहे अस्पताल
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए शासन दावा करता है, मगर हकीकत इसके उलट है। जिले
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए शासन दावा करता है, मगर हकीकत इसके उलट है। जिले में ऐसे कई राजकीय पशु चिकित्सालय हैं, जहां लंबे समय से डॉक्टर ही नहीं हैं। पशुपालक मवेशियों के इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं।
पशुओं का समय से सस्ते में इलाज हो सके, इसके लिए ऊधम सिंह नगर में 22 राजकीय पशु चिकित्सालय स्थापित हैं। प्रत्येक अस्पताल में कम से कम एक चिकित्सक होना जरूरी है। जिले में जसपुर में राजकीय पशु चिकित्सालय, करनपुर, काशीपुर में महुआखेड़ागंज, गदरपुर में आदर्श नगर, दिनेशपुर, रुद्रपुर में बरा व शांतिपुरी व सितारगंज में शक्तिफार्म चिकित्सालय में लंबे समय से डॉक्टर नहीं हैं। ऐसी स्थिति में इन अस्पतालों को फार्मासिस्ट चला रहे हैं। पशुपालक जब बीमार पशुओं को लेकर अस्पताल पहुंचते हैं तो उनसे कह दिया जाता है कि यहां पर डॉक्टर नहीं है। सामान्य बीमारियों का फार्मासिस्ट दवा देकर इलाज तो कर रहे हैं, मगर गंभीर बीमारी से हाथ खींच लेते हैं। ऐसे में पशुपालक इलाज कराने को इधर-उधर भटक रहे हैं और निजी पशु चिकित्सक के यहां महंगा इलाज कराने को विवश हैं। हालांकि रिक्त पदों की सूचना शासन को भेजी जा चुकी है, मगर अभी तक हालत जस की तस है। इस समय खुरपका, मुंहपका रोग का सीजन है और दुधारू पशु इन रोगों की गिरफ्त में हैं, जिसका इलाज प्राइवेट में काफी महंगा है। यह अलग बात है कि पशुओं का मुंहपका व खुरपका का टीकाकरण किया जा रहा है। जब समय से इलाज नहीं हो पाएगा तो फिर दूध का उत्पादन कैसे बढ़ेगा। जिले में 48 लाख पशु हैं, जिनमें गोवंशीय 20 लाख, महिवंशीय 10 लाख हैं। इसके अलावा भेड़, बकरी, खच्चर आदि हैं।
वर्जन
राजकीय पशु चिकित्सालयों में रिक्त पदों की सूचना निदेशालय को दी गई है। जल्द इन पदों पर चिकित्सकों की तैनाती की उम्मीद है। अस्पतालों में पशुओं का इलाज किया जा रहा है।
-डा. रवींद्र चंद्रा, सीवीओ, यूएस नगर