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बीएचईएल में हैजार्ड वेस्ट निस्तारण में घपला, सीबीआइ जांच

भेल में हैजार्ड वेस्ट के निस्तारण में करीब 60 लाख रुपये का गड़बड़झाला सामने आया है। सीबीआइ ने कंपनी के तीन अधिकारियों समेत चार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 01:09 PM (IST)Updated: Wed, 24 May 2017 04:00 AM (IST)
बीएचईएल में हैजार्ड वेस्ट निस्तारण में घपला, सीबीआइ जांच
बीएचईएल में हैजार्ड वेस्ट निस्तारण में घपला, सीबीआइ जांच

हरिद्वार, [जेएनएन]: भारत हैवी इलेक्ट्रीकल्स लिमिटेड (भेल) में हैजार्ड वेस्ट (खतरनाक श्रेणी का मलबा) के निस्तारण में करीब 60 लाख रुपये का गड़बड़झाला सामने आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने इस सिलसिले में कंपनी के तीन अधिकारियों समेत चार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। इनमें एक अधिकारी इसी साल जनवरी में सेवानिवृत्त हो चुका है। हालांकि भेल के प्रवक्ता ने सीबीआइ की किसी कार्रवाई से अनभिज्ञता जताई।

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सूत्रों के अनुसार सीबीआइ को इसी साल सात अप्रैल को भेल में हैजार्ड वेस्ट का नियमों के विपरीत निस्तारण करने की शिकायत मिली थी। प्रारंभिक जांच में शिकायत सही पाए जाने पर सीबीआइ ने कंपनी के तीन अधिकारियों आरयू प्रसाद महाप्रबंधक (वक्र्स इंजीनियरिंग एंड सर्विस) (पांच महीने पहले अवकाश प्राप्त), वीके सक्सेना उप महाप्रबंधक (प्रमुख सेफ्टी) और अभय सिंह प्रबंधक (सेफ्टी) के साथ ही एक निजी कंपनी से जुड़े विरेंदर शर्मा के खिलाफ पिछले दिनों मुकदमा दर्ज किया।

आरोप है कि उक्त अधिकारियों ने वर्ष 2014-15 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पंजीकृत न होने के बावजूद भारत रेडियो एंड इलेक्ट्रिक वक्र्स नामक कंपनी के माध्यम से हैजार्ड वेस्ट का निस्तारण कराया। नियमत: इसका निस्तारण बोर्ड में पंजीकृत उस कंपनी से कराया जाना था, जो मलबे का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने में सक्षम हो। 

चूंकि यह मलबा सेहत के लिए बेहद खतरनाक होता है, इसलिए भेल प्रबंधन ने सुरक्षा के लिहाज से यह व्यवस्था की हुई है। लेकिन, आरोपी अधिकारियों ने इसके उलट प्रक्रिया अपनाई। मलबे की मात्रा को लेकर भी अधिकारियों ने दस्तावेजों में हेरफेर करने का आरोप है। सोमवार को सीबीआइ एसपी देहरादून सुजीत कुमार ने भेल के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने की पुष्टि की। 

सीबीआइ टीम ने इस सिलसिले में पिछले सप्ताह आरोपी अधिकारियों के कार्यालयों और आवासों पर कार्रवाई करते हुए जरूरी दस्तावेज कब्जे में लिए। जांच पूरी होने के बाद यह पता चल पाएगा कि आरोपियों ने कुल कितने का घोटाला किया।

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