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संस्कृत की सात लाख पुस्तकें की गई वितरित

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से संस्कृत के प्रचार प्रसार व संव‌र्द्धन

By Edited By: Published: Tue, 24 May 2016 08:33 PM (IST)Updated: Tue, 24 May 2016 08:33 PM (IST)
संस्कृत की सात लाख  पुस्तकें की गई वितरित

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से संस्कृत के प्रचार प्रसार व संव‌र्द्धन के लिए प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों व महाविद्यालयों में वृहद संस्कृत पुस्तकालय की स्थापना के लिए मंगलवार को सात लाख पुस्तकों का वितरण समारोह में किया गया।

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इस अवसर पर मुख्य अतिथि डीएम हरबंश ¨सह चुघ ने कहा कि संस्कृत में लिखे सभी श्लोक व मंत्र कल्याण की बात करते हैं। संस्कृत के भाव, अर्थ को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए भाषा ज्ञान आवश्यक है। इसके लिए संस्कृत की पुस्तकें ही माध्यम हो सकती हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शासन के संस्कृत शिक्षा के अपर सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी ने कहा कि संस्कृत विद्यालय एवं महाविद्यालयों के संवर्धन के लिए सभी शिक्षकों को बेहतर प्रयास करने होंगे। विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड संस्कृत निदेशालय के पूर्व निदेशक डॉ. वाचस्पति मैठाणी ने कहा कि संस्कृत प्रदेश की द्वितीय राजभाषा है। सरकार को इसके लिए विशेष प्रबंध करने चाहिए। डॉ. ओमप्रकाश भट्ट ने कहा भारतीय संस्कृति संस्कृत के बिना अधूरी है। अकादमी के सचिव डॉ. सुरेशचरण बहुगुणा ने बताया के प्रदेश के 92 संस्कृत विद्यालयों व महाविद्यालयों को प्रथमा से आचार्य तक के छात्रों के लिए पुस्तकें दी गई हैं। कोषाध्यक्ष डॉ. तंजीम अली ने सभी के प्रति आभार जताया। कार्यक्रम में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश चंद्र अवस्थी, प्रकाशन अधिकारी किशोरीलाल रतूड़ी, डॉ. कमलापति शास्त्री, डॉ. केशव प्रसाद उपाध्याय, डॉ. निरंजन मिश्र, भगवान झा आदि मौजूद रहे।


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