यहां ग्रामीणों के बुलंद हौसलों से पहाड़ चढ़ गया पानी
पौड़ी जिले के यमकेश्वर प्रखंड के जुलेड़ी गांव में एक युवक देवदूत बनकर सामने आया और पानी की समस्या के समाधान का बीड़ा उठाया। इस प्रयास में ग्रामीण भी जुड़े और पानी पहाड़ चढ़ गया।
ऋषिकेश, [हरीश तिवारी]: पौड़ी जिले के यमकेश्वर प्रखंड में एक दशक पूर्व जुलेड़ी पंपिंग योजना बनी। इससे 12 गांवों को जोड़ा गया, मगर योजना धरातल पर नहीं उतरी। जुलेड़ी गांव से पलायन का कारण भी पानी रहा है। गांव से 35 परिवार पलायन कर चुके हैं और शेष 45 परिवारों की 350 आबादी के सामने पानी का संकट मुंह बाये खड़ा था। ऐसे में देवदूत बनकर सामने आए गांव के 35 वर्षीय युवक अनिल ग्वाड़ी।
दिल्ली में टैक्सटाइल डिजानिंग का काम करने वाले अनिल बीते वर्ष जब गांव आए तो रिश्ते की बुआ 75 वर्षीय सोणी देवी की व्यथा सुनकर गांव में पानी पहुंचाने का संकल्प लेकर ही वापस लौटे। जुलेड़ी से 20 किमी दूर बिजनी गांव के हरि कपरुवान से जब अनिल ने गांव की पीड़ा बयां की तो हरि भी इस काम में उनके सारथी बन गए।
अनिल प्रखंड की सामाजिक संस्था दगड़्या के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने संस्था के सदस्यों सहित गांव वालों से अपनी मंशा जाहिर की। गांव का जल स्रोत नाव गधेरा करीब 600 मीटर नीचे है, जो आपदा में दब गया था। इसे पुनर्जीवित कर पानी को चढ़ाई चढ़ाने के लिए गांव के युवा और बुजुर्ग भी साथ खड़े हो गए।
13 अप्रैल को सभी ने योजना पर काम शुरू किया और करीब दस दिन के श्रमदान से स्रोत को पुनर्जीवित कर दिया। इसके चारों तरफ हौज बनाकर उसके पानी को प्लास्टिक के पांच टैंकों में जमा किया गया। टैंक में तीन हॉर्स पावर की मोटर लगाई गई।
पाइप लाइन गांव तक लाकर चार स्टैंड पोस्ट बनाए गए। जब पहला ट्रायल हुआ तो 200 मीटर चढ़ाई में पानी की गति धीमी हो गई। सो दो हॉर्स पावर की एक मोटर ओर लगाई गई।
फिर क्या था, हौसलों को पंख लगे और 15 मई को गांव में पानी पहुंच गया। पानी की पहली धारा बुआ सोणी देवी के हाथों से जब प्रवाहित हुई तो उनकी बूढ़ी आंखों में अपार वात्सल्य और साधुवाद छलक रहा था।
अनिल कहते हैं कि हरि भाई, गांव वालों और दगड़या परिवार के सहयोग से हम गांव में पानी लाने में सफल रहे। अभी सुबह-शाम दो-दो घंटा चार स्टैंड पोस्ट से पानी मिल रहा है। जल्द हर घर में स्टैंड पोस्ट लगाएंगे। पानी बचा तो अन्य गांवों की जरूरत भी पूरी करेंगे।
बिना इमदाद सपना हुआ साकार
गांव में पानी लाने के लिए अनिल और हरि ने तीन लाख रुपये अपनी जेब से दिए और शेष सहयोग ग्रामीणों और दगड़्या परिवार के सदस्यों ने किया। अनिल और हरि भाई के अटल इरादे देख पूर्व सूबेदार मदनगोपाल भटकोटी, ओम ग्वाड़ी, सीपी ग्वाड़ी, राजेंद्र भटकोटी, प्रवीण ग्वाड़ी, पंकज, हरीश ग्वाड़ी, आनंद, दिनेश, जगदीश, गोविंद ग्वाड़ी आदि ग्रामीण भी उनसे जुड़ते चले गए।
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