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आज से बंद हो जाएगी 104 साल पुरानी सेवा

नवीन सिंह देउपा/ देवेंद्र चंद देवा, टनकपुर : गुरुवार यानी कि 16 जून को टनकपुर तक चलने वाली रेलवे की

By Edited By: Published: Wed, 15 Jun 2016 05:10 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jun 2016 05:10 PM (IST)
आज से बंद हो जाएगी 104 साल पुरानी सेवा

नवीन सिंह देउपा/ देवेंद्र चंद देवा, टनकपुर : गुरुवार यानी कि 16 जून को टनकपुर तक चलने वाली रेलवे की 104 साल पुरानी सेवा ठप हो जाएगी। अब टनकपुर के लोगों को रेलवे की छोटी लाइन पर चलने वाली गाड़ी नजर नहीं आएगी। लगभग एक साल बाद टनकपुर से देश के महानगरों के साथ ही विभिन्न शहरों के लिए एक्सप्रेस ट्रेनें सरपट दौड़ेंगी। इसी के साथ चम्पावत व पिथौरागढ़ जिले के लोगों की दिक्कतें भी कम हो जाएंगी।

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वर्ष-1900 के शुरुआती वर्षो में पहाड़ का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले टनकपुर को रेलवे लाइन से जोड़ने की कवायद शुरू हो गई थी। चूंकि पहाड़ में भरपूर वन संपदा थी। अंग्रेजों को रेलवे विस्तार के लिए स्लीपरों के साथ ही उन्हें इमारती लकड़ी की भी जरूरत थी। उसे पूरा करने के लिए उन्होंने टनकपुर तक रेल पटरी बिछाने का निर्णय लिया था। वर्ष 1912 में रेलवे लाइन बिछाने का काम पूरा हो गया। पहाड़ों से शारदा नदी, जिसे पहाड़ में काली के नाम से जाना जाता है, लकड़ी बह कर बूम तक आसानी से पहुंच जाती थी। अंग्रेजों ने रेलवे लाइन बूम तक बिछाई थी। बुजुर्ग बताते हैं कि चकरपुर में लकड़ी का स्टॉक सेंटर हुआ करता था। वर्ष 1912 में टनकपुर तक रेलवे की सेवा शुरू हो गई थी। शुरुआत में यहा तक केवल मालगाड़िया चला करती थीं। मालगाड़ियों का मुख्य कार्य लकड़ी ढोना था। धीरे धीरे में यात्री सेवा भी शुरू हुई, लेकिन ऐसी ट्रेनों की संख्या न के बराबर थी। आजादी के बाद मालवाहक गाड़ियों की संख्या कम हो गई थी। क्योंकि उसके बाद जंगलों का कटान कम होने लगा। 1970 के दशक में सरकार की नजर शारदा पत्थर पर पड़ी। उसके बाद से अब तक रेलवे लाइन विस्तार व अन्य कार्य के लिए शारदा का पत्थर ढोने का काम रेलवे लगातार करती रही है। पत्थरों की ढुलाई आसानी से हो जाए, इसके लिए वर्मा लाइन के पीछे तक रेलवे लाइन बिछाई गई। इसके साथ ही ट्रेनों का बूम तक संचालन भी बंद हो गया। पिछले करीब 35 सालों से पहाड़ के लोगों के साथ साथ मैदानी क्षेत्रों से मा पूर्णागिरि आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ट्रेनें सस्ता व सुलभ साधन बनी हुई थीं। क्षेत्रीय लोगों की माग व जरूरत को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने टनकपुर तक बड़ी लाइन बिछाने का निर्णय लिया था। पहले ये कार्य 15 मई से होना था, लेकिन पूर्णागिरि मेला 15 जून तक चलना था। इसलिए मामले को एक महीना टाल दिया गया। बड़ी लाइन का काम शुरू करने के लिए 16 मई से पीलीभीत-टनकपुर के बीच रेल सेवा बंद हो जाएगी। इसी के साथ छोटी लाइन की ट्रेन भी इतिहास बन जाएगी।

रोजाना सफर करते थे ढाई हजार लोग

टनकपुर। टनकपुर रेलवे स्टेशन के प्रबंधक केडी कापड़ी ने बताया कि टनकपुर व पीलीभीत के बीच रोजाना चार गाड़िया अप-डाउन करती थीं। इनमें रोजाना एक हजार यात्री सफर करते थे। पूर्णागिरि मेले के दौरान रोजाना कम से कम पाच हजार यात्री सफर करते थे। पूर्णागिरि मेला व अन्य दिनों के यात्रियों की संख्या के हिसाब से प्रतिदिन का औसत ढाई हजार लोग रोजाना सफर करते थे।

परितर्वन का कार्य शुरू करने के लिए गुरुवार से टनकपुर-पीलीभीत के बीच रेल सेवा बंद हो जाएगी। इसी के साथ 104 साल पुरानी सेवा बंद हो जाएगी। टनकपुर रेलवे स्टेशन का रिजर्वेशन काउंटर खुला रहेगा। लोग देशभर में यात्रा करने के लिए यहा से बुकिंग कर सकते हैं। यहा का अधिकांश स्टाफ अन्य स्टेशनों से संबंद्ध कर दिया जाएगा।

- केडी कापड़ी, प्रबंधक, रेलवे स्टेशन, टनकपुर।

स्टेशन का भी होगा कायाकल्प

टनकपुर : आमान परिवर्तन के साथ ही टनकपुर रेलवे स्टेशन का आमान परिवर्तन हो जाएगा। फिलहाल टनकपुर स्टेशन में केवल एक ही प्लेटफार्म है। पीलीभीत से आने वाली गाड़ी ही वापस चली जाती है। ऐसी गाड़ियों की संख्या चार है। आमान परिवर्तन के साथ ही टनकपुर स्टेशन में चार प्लेटफार्म बनेंगे। साथ ही ट्रेनों की धुलाई के लिए अलग से प्लेटफार्म भी बनेगा। पूरे स्टेशन को नया रूप दिया जाएगा।


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