संस्कृति बचाने को मानसी ने मोदी को संस्कृत में लिखी पाती
शामली: संसार की समस्त प्राचीनतम भाषाओं में संस्कृत का सर्वोच्च स्थान है। भारतीय संस्कृति से रूबरू कर
शामली: संसार की समस्त प्राचीनतम भाषाओं में संस्कृत का सर्वोच्च स्थान है। भारतीय संस्कृति से रूबरू कराने वाली यह भाषा विलुप्त होने की ओर है, लेकिन इसे बचाने को शामली की बिटिया मानसी ने मुहिम छेड़ी है। मानसी ने संस्कृत भाषा को देशभर में अनिवार्य करने, सरकारी व निजी संस्थानों में संस्कृत भाषा में कामकाज शुरू करने के लिए मुहिम छेड़ी है। दर्जनों युवाओं को संस्कृत भाषा की ओर प्रेरित करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संस्कृत भाषा में चिट्ठी लिखकर संस्कृत पढ़ाओ, संस्कृति बचाओ अभियान छेड़ने की मांग की है।
शामली शहर के कांबोज कालोनी निवासी मानसी चौधरी को बचपन से ही संस्कृत भाषा में रुचि रही है। पुलिस विभाग में कार्यरत सुधीर चौधरी की बिटिया मानसी ने मुजफ्फरनगर के एसडी डिग्री कालेज से एमए संस्कृत व बीएड की शिक्षा हासिल की। मानसी ने संस्कृत भाषा से युवाओं की कम दिलचस्पी और अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव से भाषा पर संकट मंडराता देखा तो संस्कृत और भारतीय संस्कृति की खातिर मुहिम छेड़ दी। मानसी ने युवाओं को निशुल्क को¨चग देना शुरू किया। शुरू में तो संस्कृत के प्रति लोगों की उदासीनता से मानसी को निराशा हाथ लगी, लेकिन उसने हार नहीं मानी। मानसी संस्कृत के महत्व से युवा वर्ग को रूबरू कराती रहती। युवाओं को संस्कृत और अपनी गौरवशाली संस्कृति से परिचय के लिए भाषा ज्ञान अनिवार्य होने की सीख देती है। वह युवाओं को बताती है कि संस्कृत का महत्व विदेशी जान चुके हैं। अंग्रेज हमारे देश में आकर संस्कृत भाषा को सीख रहे है, लेकिन हम अंग्रेजी के पीछे भाग रहे हैं। इससे बचो और संस्कृत अपनाओ। मानसी से संस्कृत सीखकर रेशू, शिखा, रूपा, नेहा, अनुज, ऋषभ आदि युवा उनके साथ मुहिम का हिस्सा बने हैं। मानसी कहती है कि पिता सुधीर व माता शशि देवी उसकी मुहिम में हर तरह से साथ और आशीर्वाद दे रहे है। उनके बिना मुकाम संभव नहीं है।
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संस्कृत पढ़ाओ, संस्कृति बचाओ
मानसी ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संस्कृत भाषा में पत्र लिखकर संस्कृत बढ़ाओ, संस्कृति बचाओ अभियान शुरू करने की मांग की है। मानसी ने प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी को चिट्ठी में लिखा है कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है। यह हमारे पूर्वजों की भाषा है, परंतु वर्तमान समय में इसका पिछड़ापन हमारे सामने एक जटिल समस्या है। मानसी ने पीएम से संस्कृत पर विशेष ध्यान देने की मांग की है।
संस्कृत की शिक्षा से वंचित जिले के छात्र
जिले के किसी भी डिग्री कालेज में एमए संस्कृत नहीं है। छात्र-छात्राओं को बागपत, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर जिलों का रूख करना पड़ता है। सुविधा न होने पर छात्र-छात्राएं बीए के बाद संस्कृत विषय छोड़कर दूसरा चयन कर लेते हैं। हालांकि जिद के धुनी मानसी सरीखे छात्र-छात्राएं दूसरे जिलों में भी पहुंचकर शिक्षा ग्रहण करते हैं।