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अधिवक्ता-पुलिस में नोकझोंकः शब्बीरपुर हिंसा की सीबीआइ जांच हो

एडवोकेटस वेलफेयर एसोसिएशन ने एडीजी से मिलकर सहारनपुर के शब्बीरपुर मामले में दर्ज मुकदमों की सीबीआइ जांच कराने की मांग की।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 24 Jun 2017 08:43 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jun 2017 08:59 PM (IST)
अधिवक्ता-पुलिस में नोकझोंकः शब्बीरपुर हिंसा की सीबीआइ जांच हो
अधिवक्ता-पुलिस में नोकझोंकः शब्बीरपुर हिंसा की सीबीआइ जांच हो

लखनऊ (जेएनएन)। सहारनपुर के गांव शब्बीरपुर में जातीय हिंसा में एससी/एसटी एडवोकेटस वेलफेयर एसोसिएशन ने एडीजी से मिलकर दर्ज मुकदमों की सीबीआइ या सीबीसीआइडी जांच कराने की मांग की। आरोप लगाया कि पुलिस सवर्णो के दबाव में दलितों पर अत्याचार कर रही है। उन्होंने बेकसूर दलितों की जेल से रिहाई की मांग की। इससे पहले सहारनपुर जाने की जिद पर अड़े अधिवक्ताओं को गाजियाबाद और मुरादनगर में पुलिस द्वारा रोकने पर जमकर हंगामा हुआ।

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बाद में इस शर्त पर कि वे सहारनपुर की बजाय मेरठ में एडीजी से ही मिल सकते हैं, जाने दिया गया। मेरठ पहुंचे पदाधिकारियों ने एडीजी आनंद कुमार से मुलाकात में कहा कि सवर्णो के इशारे पर पुलिस दलितों का उत्पीडऩ कर रही है। गाजियाबाद से बस में भरकर आए सैकड़ों अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस बल दलितों पर दबाव में एकतरफा कार्रवाई कर रहा है। एडीजी आनंद कुमार ने बताया कि वह सीबीआइ और सीबीसीआइडी दोनों ही विंग को जांच के लिए लिखेंगे। जांच स्थानांतरण की कार्रवाई शासन स्तर पर की जाएगी। 

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अधिवक्ता पुलिस से कहासुनी 

गाजियाबाद में हापुड़ रोड पर इससे पहले रोकने पर अधिवक्ताओं की पुलिस से जमकर कहासुनी और फिर हंगामा हुआ। ढाई घंटे कहासुनी के बाद 27 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को जाने की अनुमति दी गयी। शब्बीरपुर जाने के लिए गाजियाबाद के वकील कलक्ट्रेट के बाहर शनिवार सुबह सात बजे एकत्र हुए। एएसपी मनीष मिश्रा के नेतृत्व में कविनगर पुलिस ने जाने से रोका तो जमकर नोकझोंक हुई। बाद में चार गाडिय़ों में पुलिस के जवान भी इनके साथ गए। मुरादनगर गंगनहर पर भारी पुलिस बल ने फिर वकीलों के प्रतिनिधिमंडल को रोक दिया। यहां भी देर तक कहासुनी हुई।  इसके बाद सहारनपुर न जाकर मेरठ में ही एडीजी आनंद कुमार ङ्क्षसह को ज्ञापन देकर आने की शर्त पर प्रतिनिधिमंडल को जाने दिया गया। पुलिस अफसर वकीलों के साथ मेरठ तक गए। एसोसिएशन के अध्यक्ष रविकरण गौतम ने बताया कि शब्बीरपुर कांड में निर्दोष लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। 

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तंंवर के ऑडियो ने मचाई हलचल

सहारनपुर जातीय हिंसा के बाद लगभग सामान्य हो चुके माहौल और दलितों-ठाकुरों में आपसी सहमति से समझौता कर कई मुकदमों में शपथ पत्र देने के बावजूद निगाहें संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतपाल तंवर ने आपत्तिजनक बयान से लबरेज ऑडियो जारी कर हलचल मचा दी है। सतपाल तंवर ने 18 मिनट 9 सेकेंड की विवादित ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर पोस्ट की। तंवर ने इसमें शब्बीरपुर ङ्क्षहसा को लेकर पूर्व एसएसपी सुभाष चंद दुबे पर प्रहार किया। कहा कि ङ्क्षहसा का मास्टरमाइंड गांव का प्रधान शिवकुमार नहीं, शेर ङ्क्षसह राणा है। पुलिस दो दिन में शेर सिंह राणा को गिरफ्तार नहीं करती है तो उसका अंजाम भुगतना होगा। उन्होंने भीम आर्मी चीफ रावण को अपना भाई बताते हुए कंधे से कंधा मिलाकर बहुजन समाज की लड़ाने लडऩे का भी दावा किया। उधर, शेर सिंह राणा का कहना है कि वह सतपाल तंवर को नहीं जानते।  5 मई को वह शिमलाना मेंं थे और मंच से ही शांति की अपील कर रहे थे। बाद में वह मृतक सुमित को देखने अस्पताल जरूर गए। इस ऑडियो पर भीम आर्मी ने कहा कि अब कोई बयानबाजी नहीं की जाएगी।


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