जिंदगी की संजीवनी को सहारे की आस
समन्वय पाण्डेय, मुरादाबाद पृथ्वी प्रदूषण से कराह रही है और इसके जिम्मेदार हम ही हैं। हम विकास की
समन्वय पाण्डेय, मुरादाबाद
पृथ्वी प्रदूषण से कराह रही है और इसके जिम्मेदार हम ही हैं। हम विकास की राह पर चलते-चलते इतने खुदगर्ज हो गए हैं कि जिंदगी की संजीवनी को ही धरा से अलग कर रहे हैं। हर तरफ कंकरीट के जंगल खड़े किए जा रहे हैं। इसके लिए हरियाली की बलि दी जा रही है। पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ने से ग्लोबल वार्मिग का खतरा मंडरा रहा है। ऑक्सीजन की कमी हो रही है। जबकि एक इंसान एक मिनट में करीब 15 बार ऑक्सीजन अवशोषित करता है। बिगड़ रहे पर्यावरण संतुलन को रोकने के लिए अगर हम अभी नहीं चेते तो आने वाले समय में हर शख्स को ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर चलने की नौबत आ जाएगी। जो सामान्य जिंदगी के लिए बोझिल होने के साथ-साथ बजट भी बिगाड़ेगी।
हालात यह हो गए है कि प्रचीन काल से जो हमारी जिंदगी की संजीवनी है आज उसी को सहारे की जरूरत है। पेड़ हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक शख्स दिनभर में करीब 21 हजार बार सांस लेता है। अगर यही सांस ऑक्सीजन सिलेंडर लगाकर ली जाए तो प्रतिदिन 21 हजार रुपये खर्च होंगे। जो सामान्य वर्ग के किसी व्यक्ति के एक माह के वेतन के बराबर है।
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पेड़ हैं भगवान शंकर
समुद्र मंथन के समय निकले जहर को जिस प्रकार शिवजी ने खुद पी लिया था और लोगों की जान बचाई थी। उसी प्रकार पेड़ भी वातावरण में मौजूद जहर को अवशोषित कर लेता है और उसके बदले हमें प्राणवायु के रूप में ऑक्सीजन देता है। वातावरण में नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, ओजोन जैसी जहरीली गैसें मौजूद हैं। जिनको पेड़ खींच लेता है और शुद्ध व स्वच्छ हवा इंसान के लिए छोड़ता है।
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फोटो::::::सूक्ष्म कण हैं सबसे ज्यादा घातक
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : वातावरण में फैले सूक्ष्म कण सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं। ये कण सांस के साथ शरीर के अंदर चले जाते हैं, जिससे तरह-तरह की बीमारियां हो जाती हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रोजेक्ट के तहत पिछले साल किए गए सर्वे के मुताबिक मुरादाबाद के बुध बाजार में सूक्ष्म कण सामान्य से करीब साढ़े तीन गुना ज्यादा पाए गए। इसका कारण जो निकलकर आया वह चौंकाने वाला था। क्षेत्र में सिर्फ मकान और दुकानें ही हैं। इसके चलते यहां के वातावरण में सबसे ज्यादा सूक्ष्म कण पाए गए। सर्वे में दूसरा क्षेत्र पुलिस ट्रेनिंग सेंटर को लिया गया था। यहां का वातावरण काफी सही मिला। हालांकि यहां भी सूक्ष्म कण सामान्य से करीब दो गुना ज्यादा रहे, लेकिन बुध बाजार के क्षेत्र की तुलना में स्थिति सामान्य रही। इसका मुख्य कारण यहां पर पेड़ों की अधिकता रही। इसी प्रकार अन्य जहरीली गैसों का भी अध्ययन किया गया। जिसमें बुध बाजार में इनकी अधिकता और पीटीसी क्षेत्र में स्थिति सामान्य पाई गई।
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कौन से पेड़-पौधा कितना लाभदायक
तुलसी : इसका पौधा काफी ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन वातावरण को देता है। दिन ही नहीं रात में भी तुलसी ऑक्सीजन छोड़ती है। इसके अलावा नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड और कार्बन डाई ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों को अवशोषित भी करती है तुलसी।
पीपल : इसमें वही सारे गुण होते हैं जो तुलसी में होते हैं। बस अंतर इतना होता है कि यह बड़ा पेड़ होता है जिससे यह अपने आसपास के वातावरण को छाया देते हुए ठंडा भी रखता है।
नीम : यह पेड़ सूर्य से निकली घातक अल्ट्रा वायलेट किरणों के साथ जहरीली गैसों को भी अवशोषित करता है। लेकिन रात में यह भारी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड भी वातावरण को देता है। हालांकि इसकी पत्तियां छाल, कोपलें प्राकृतिक चिकित्सा में काम आती हैं। नीम को आयुर्वेद में सर्वगुण संपन्न पेड़ भी माना गया है। यह कुष्ठरोग, वातरोग, विषदोष, खासी ज्वर, रक्तदोष, खुजली आदि के निदान में सहायक होता है।
पाकड़ : यह आसपास के क्षेत्र को छाया देने के साथ वातावरण में मौजूद सूक्ष्म कणों को खत्म करता है।
सप्तपणिनी : इसको वायु शुद्धक (एयर प्यूरीफायर) के रूप में भी जाना जाता है। यह वातावरण से नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड जैसी तमाम जहरीली गैसों को खींचकर शुद्ध हवा में बदल देता है।
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घर के अंदर लगने वाले पौधे भी फायदेमंद
मनी प्लांट : यह छोटा पौधा बेल के रूप में पूरे घर में फैल सकता है। यह भी वातावरण को उसी प्रकार शुद्ध करता है जिस प्रकार से पीपल, नीम जैसे बड़े पेड़ करते हैं। इसको लगाने से घर के अंदर का वातावरण भी शुद्ध हो जाता है। घर में एक पॉजीटिव एनर्जी बनी रहती है।
बांस : यह वायु को शुद्ध करने के साथ-साथ वातावरण की आद्रता को भी सामान्य बनाए रखने में योगदान देता है। साथ ही घर के अंदर मौजूद प्लास्टिक वेस्ट, धूम्रपान, पेंट वैक्सीन से बनने वाली बेंजीन जैसी घातक गैसों को बांस का पौधा आवशोषित करता है।
कुमुदनी : घर में कुमुदनी लगाने को सबसे ज्यादा उत्तम माना जाता है। क्योंकि यह घर के अंदर लगाए जाने वाले सभी पौधों में से सबसे ज्यादा ऑक्सीजन वातावरण में छोड़ता है। साथ ही सबसे ज्यादा कार्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित भी करता है।
फोटो::::::विशेषज्ञों की बात
एक पेड़ सालभर में करीब 260 पाउंड ऑक्सीजन को वातावरण में छोड़ता है। जो एक दिन के हिसाब से 0.75 पाउंड हुआ। इसके हिसाब से दो पेड़ चार लोगों के एक परिवार के लिए ऑक्सीजन मुहैया कराते हैं। ऐसे में हर परिवार को कम से कम दो पौधे लगाकर उनको जीवन पर्यंत संरक्षित करने का संकल्प लेना होगा।
चारू गंगवार, शोधकर्ता
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पेड़ हमारे आसपास के वातावरण को शुद्ध करने के साथ ठंडा भी रखने में सहायक होते हैं। पेड़ों की छाया के कारण पानी का वाष्पीकरण कम होता है। साथ ही नदी किनारे का कटान भी रुकता है। मौजूदा दौर में आए दिन पहाड़ों पर हो रहे स्खलन का कारण भी पेड़ों का ना होना है। इसलिए आज जरूरत ज्यादा से ज्यादा पौधरोपण करके उनको बड़ा करने की है।
अतुल कुमार, शोधकर्ता
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वातावरण में मौजूद जहरीली गैसों के अलावा सूरज से निकलने वाली घातक अल्ट्रा वायलेट किरणों के कारण त्वचा कैंसर के मामले बढ़ गए हैं। पेड़ इन किरणों के प्रभाव को कम करता है। ऐसे में लोगों को ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की जरूरत है।
अनामिका त्रिपाठी, एसोसिएट प्रोफेसर, ¨हदू कालेज