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मानसिक रोगी की पत्नी से दुष्कर्म का प्रयास

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का तमगा पा चुके आगरा के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में एक अटेंडेंट ने मानसिक रोगी की पत्नी से दुष्कर्म का प्रयास किया। यहां के फैमिली वार्ड में भर्ती मरीज की पत्नी के के साथ आधी रात को संस्थान के अटेंडेंट ने दुष्कर्म की कोशिश की।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2015 11:00 AM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2015 01:03 PM (IST)
मानसिक रोगी की पत्नी से दुष्कर्म का प्रयास

लखनऊ। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का तमगा पा चुके आगरा के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में एक अटेंडेंट ने मानसिक रोगी की पत्नी से दुष्कर्म का प्रयास किया। यहां के फैमिली वार्ड में भर्ती मरीज की पत्नी के के साथ आधी रात को संस्थान के अटेंडेंट ने दुष्कर्म की कोशिश की। मामला खुलने पर उस अटेंडेंट को सिर्फ पीटकर मामला रफा-दफा कर दिया गया।

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मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में करीब एक हफ्ते पहले मानसिक रूप से बीमार युवक (30 वर्ष) को भर्ती किया गया। तीमारदारी में उसकी पत्नी उसके साथ वार्ड में रह रही थी। परसों रात करीब एक साल पुराना संस्थान का अटेंडेंट रात लगभग 12 बजे वार्ड में घुसा। उसने मरीज की पत्नी के साथ उसने अश्लील हरकतें शुरू कर दी। उसकी हवस बढ़ती जा रही थी, तभी उसकी नींद खुल गई। उसके शोर मचाने पर संस्थान का अटेंडेंट भाग निकला। पीडि़ता आरोपी के लिए सजा की मांग कर रही थी। उसका कहना था कि अगर उसे जगने में जरा भी देर हो जाती तो मुंह दिखाने लायक न रहती।

अनट्रेंड होते हैं अटेंडेंट

यहां कार्यरत संस्थान के अटेंडेंटों को काम का कोई अनुभव नहीं होता। एजेंसी गांव-देहात के लड़कों को यहां काम पर लगवा देती है। न तो इनके चरित्र का सत्यापन कराया जाता है और न ही संस्थान को इनके बारे में कोई विशेष जानकारी होती है।

कोड वर्ड रखे जाते हैं मरीजों के नाम

संस्थान में ऐसी घटना पहली बार नहीं हुई है। फब्तियां कसना और गंभीर छेड़छाड़ के मामले पहले भी कई बार उठे हैं लेकिन हर बार दबा दिए जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि मरीजों की देखरेख में लगे संस्थान के अटेंडेंट महिला मरीज और तीमारदारों के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल करते हैं। मौका मिलते ही उनके साथ छेडख़ानी करने लगते हैं।

सजा सिर्फ पिटाई तथा डांट

अटेंडेंट की करतूत कल सुबह खुल गई। अधीक्षक ने आरोपी को अपने चेम्बर में बुलाया और पीटकर भगा दिया। इसके बाद दोपहर को फिर उसे पीडि़ता के सामने ले जाकर पिटवाकर पीडि़त परिवार को संतुष्ट करने की कोशिश की गई। इस संबंध में जब संस्थान के अधीक्षक से बात करने की कोशिश की गई तो उनके मोबाइल पर कॉल रिसीव नहीं हुई।

मरीजों के चीखने पर करते हैं पिटाई

मरीजों को बेहतर चिकित्सा और पारिवारिक माहौल देना तो दूर की बात, यहां उनकी पिटाई होती है। वार्ड में भर्ती मरीजों के तीमारदारों ने बताया उनके मरीज को संस्थान के अटेंडेंट मारते हैं। मरीज अपने होशोहवास में न होने के कारण वह चीखता-चिल्लाता है। जो जितना चीखता है उसे उतना ही ज्यादा पीटा जाता है।


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