दस मिनट का अंतर न होता तो दोहराता पुखरायां हादसा
-मालगाड़ी से पहले गुजरी थी ग्वालियर-छपरा एक्सप्रेस -फिर टूटी पटरी पर फंसेगा पेंच, कानपुर के इर्द-ग
-मालगाड़ी से पहले गुजरी थी ग्वालियर-छपरा एक्सप्रेस
-फिर टूटी पटरी पर फंसेगा पेंच, कानपुर के इर्द-गिर्द ही हो रहे हादसे
जागरण संवाददाता, कानपुर : डेढ़ माह के दौरान रेल हादसों को लेकर कानपुर का आसपास क्षेत्र देशभर में चर्चा में रहा। पुखरायां में 20 नवंबर की सुबह इंदौर-राजेन्द्र नगर एक्सप्रेस हादसे में डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की जानें गई थीं। अभी इसकी सीआरएस जांच चल ही रही थी कि रूरा में 28 दिसंबर को सियालदह-अजमेर पटरी से उतर गई। सौ से ज्यादा घायल हुए। इस पर भी सीआरएस जांच बैठ गई। इतना ही नहीं, कानपुर-फर्रुखाबाद रूट पर रेल पटरी काटे जाने की साजिश ने सबको झकझोर दिया। रेल हादसों को लेकर साजिश की आशंका बलवती हो गई। गुरुवार को शुक्लागंज से आगे मालगाड़ी डिरेल होने ने एक बार फिर सबको चौंका दिया है। गनीमत यह रही कि हादसा दस मिनट पहले होता तो पुखरायां हादसा दोहरा जाता। दस मिनट पहले ही घटनास्थल से हजारों यात्री से भरी ग्वालियर-छपरा एक्सप्रेस गुजरी थी। मालगाड़ी की तरह उसके दस डिब्बे पटरी से साथ छोड़ गए होते तो खौफनाक मंजर दिखाई दे रहा होता।
कानपुर ही हादसों का केंद्र क्यों
एक बार फिर यह चर्चा में है कि आखिर कहीं रेल पटरियों के साथ कोई बड़ी साजिश तो नहीं कर रहा है। देशभर में मौसम का असर है, फिर कानपुर ही रेल हादसे का केंद्र क्यों बन रहा है? टूटी रेल पटरियों से ट्रेनों के गुजरने का सिलसिला चल रहा है। पुखरायां और रूरा के बाद मंधना के पास रेल पटरी को आरी से काटे जाने के प्रयास के बाद इस बात को बल मिल रहा है कि कहीं कोई बड़ी साजिश के फेर में तो नहीं? हालांकि पुखरायां और रूरा रेल हादसे के कारण का पता लगाने को सीआरएस जांच चल रही है। सवाल संजीदा है कि कहीं छपरा एक्सप्रेस डिरेल की साजिश तो नहीं थी।