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घर 'साफ' तो बाहर गंदा क्यों

कन्नौज, जागरण संवाददाता : मिठाई वाली गली के सामने से होली मोहल्ला होकर निकले तो कूड़े के ढेर देख बाइक

By Edited By: Published: Fri, 03 Apr 2015 05:21 PM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2015 05:21 PM (IST)
घर 'साफ' तो बाहर गंदा क्यों

कन्नौज, जागरण संवाददाता : मिठाई वाली गली के सामने से होली मोहल्ला होकर निकले तो कूड़े के ढेर देख बाइक सवार युवकों ने नाक पर हाथ लगाया और नगर पालिका प्रशासन को कोसना शुरू कर दिया। शायद इन लोगों को नहीं मालूम कि इसके लिए जितना नगर पालिका जिम्मेदार है, उससे कहीं अधिक जिम्मेदार इस मोहल्ले के लोग हैं। जो घरों को तो साफ रखते हैं, लेकिन अपने बाहर की सड़क पर गंदगी के ढेर लगाते हैं। लोग यह नहीं सोचते कि घर 'साफ' तो बाहर गंदगी क्यों।

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छह माह पहले 02 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत-स्वस्थ्य भारत की आधार शिला रखते हुए स्वच्छता अभियान चलाया था। जब यह अभियान चला तो जिले में भी कई स्थानों पर लोग जोर-शोर से इस अभियान में शरीक हुए थे। तब लगा था कि शायद अब शहर की तकदीर और तस्वीर बदल जाएगी, लेकिन छह माह बीत गए, जिले की बात दूर मुख्यालय पर ही कुछ बदलाव नहीं हुआ। पहले की तरह ही गली-मोहल्लों में कूड़े और गंदगी के ढेर लगे हैं। मकरंदनगर से लाखन तिराहा रोड पर निकले तो मुन्नी पैलेस गेस्ट हाउस के पास सड़क पर ही कूड़े के अंबार लगे हैं। इसी रोड पर जगह-जगह कूड़े के ढेर ऐसे लगे, जैसे काफी दिनों से यहां पर कोई सफाई नाम का शब्द ही लोग नहीं जानते हों।

चाहरदीवारी में कैद सरकारी सफाई

गंदगी फैलाने में सरकारी दफ्तर भी पीछे नहीं है। 132 केवीए बिजली घर मकरंदनगर के अंदर तो काफी सफाई व्यवस्था है। यहां पर नियमित सफाई भी होती है, लेकिन परिसर से निकली गंदगी गेट के बाहर सड़क पर जमा कर दी जाती है। इसी तरह से विनोद दीक्षित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी है। अस्पताल के अंदर तो सफाई दिखाई दी, लेकिन परिसर में बाहर जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हैं। यही हाल टेलीफोन एक्सचेंज, पशु चिकित्सालय और सदर कोतवाली है। विकास भवन में अधिकारियों के कमरे तो साफ हैं, लेकिन परिसर गंदगी से भरा पड़ा है। तीसरी मंजिल पर तो ऐसा लगता है कि वर्षो से सफाई नहीं हुई।

घर की गंदगी सड़क पर डाली

मोहल्ला होली, नखासा और ठकुराना में जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे थे। शायद छुंट्टी के दिन नगर पालिका का सफाई अभियान भी बंद रहता हो। यदि ऐसा है तो लोगों को भी सोचना चाहिए कि सफाई कर्मी नहीं आएंगे तो गंदगी के ढेर बाहर न लगाएं। एक दिन अपना घर ही गंदा रहने दें। यहां पर एक महिला घर से निकली गंदगी नाली में बहा रही थी। मोहल्ले से कूड़ेदान तो गायब थे तो जगह-जगह सड़क पर कूड़े से भरी पालीथिन बंधी पड़ी थीं।

टूटे कूड़ेदान, बिखरा कचरा

सरायमीरा से कन्नौज मार्ग पर कूड़ेदान तो जरूर रखे मिले, लेकिन यह काफी जर्जर हो गए थे। जगह-जगह से टूटे होने के कारण इनमें भरा कूड़ा आसपास बिखरा था। काफी दिनों से इनके खाली न होने के कारण कूड़े से लबालब भरे कूड़ेदान ही गंदगी फैला रहे थे। लोग यह सब देखते और मुंह फेरकर व्यवस्था को कोसते हुए निकल जाते हैं, लेकिन यह किसी ने नहीं सोचा कि सफाई के प्रति अपनी मानसिकता बदलें तो समाज की तस्वीर बदल सकती है।

मुख्यालय पर थी ज्यादा अपेक्षा

यूं तो पिछले दो अक्टूबर को जिले भर में जगह-जगह स्वच्छता अभियान चला था, लेकिन यह सिर्फ खानापूरी ही साबित हुआ। जिले के अन्य कस्बों में यह अभियान फेल हुआ, लेकिन जिला मुख्यालय पर इस अभियान के सफल होने की ज्यादा उम्मीदें थी। क्योंकि जिला मुख्यालय पर इस अभियान के सूत्रधार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चाहने वालों की संख्या कुछ ज्यादा ही दिखाई देती है। इसके बावजूद जिला मुख्यालय में यह अभियान फेल होना दुखद है।


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