बदरंग हो चली रेलवे स्टेशनों की तस्वीर
केराकत (जौनपुर): यात्री सुविधाओं को लेकर रेलवे महकमा गंभीर है। समय-समय पर उच्चाधिकारी निरीक्षण करने
केराकत (जौनपुर): यात्री सुविधाओं को लेकर रेलवे महकमा गंभीर है। समय-समय पर उच्चाधिकारी निरीक्षण करने आते हैं और प्रस्ताव व निर्देश देकर चले जाते हैं, ¨कतु हकीकत इससे इतर दिखाई पड़ती है। औड़िहार-जौनपुर मार्ग के 5 रेलवे स्टेशनों की सूरत संवरने की बजाए बदरंग होती जा रही है। इन स्टेशनों पर व्याप्त अव्यवस्था ही पहचान बनती जा रही है। स्ट्रीट लाइट खराब होने से अंधेरा छाया रहता है। हैंडपंप खराब होने से यात्री पानी के लिए भटकते हैं। इतना ही नहीं प्लेटफार्म पर गंदगी ही दिखाई पड़ती है। आश्चर्य तो तब होता है जब निरीक्षण करने आने वाले जिमेदारों की नजर इधर नहीं पड़ती है। जिसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ता है।
पहचान खोता यादवेंद्र नगर
यह रेलवे स्टेशन अपनी पहचान खोता हुआ न•ार आ रहा है। जौनपुर के राजा यादवेंद्र दत्त दुबे के नाम पर बना यादवेंद्र नगर स्टेशन की हालत बद से बदतर है। इस स्टेशन पर लगे इंडिया मार्का दो हैंडपंप में अरसे से बिगड़े पड़े हैं। वहीं एक दर्जन लगी स्ट्रीट लाइटें खराब हो चली है। यहां यात्रियों के बैठने हेतु बेंच पर लगी दो छ्तरियों में से एक को अवांछनीय तत्व उखाड़ ले गए। स्टेशन पर एक मात्र बना शौचालय गंदगी में डूबा हुआ है, जहां लघु शंका अथवा दीर्घशंका का निवारण करने को कौन कहे जानवर भी निवारण करने से कतराते है।
बदरंग है मुफ्तीगंज स्टेशन
मुफ्तीगंज स्टेशन की सूरत दिनों दिन संवरने की बजाय बदरंग होती जा रही है। प्लेटफार्म पर लगी 20 स्ट्रीट लाइटें खराब हो चुकी हैं। रेलवे ओवरब्रिज की सभी लाइटें खराब हैं। जिसके चलते यात्रियों को अंधेरे का समना करना पड़ता है। जिसका फायदा उठाकर उचक्के व मनचले अपनी बेजा हरकतों में सफल हो जाया करते हैं। इस स्टेशन पर लगी बेंचों पर चार छतरियों में एक को अवांछनीय तत्व उखाड़ कर गायब कर दिए हैं जबकि शेष तीन छतरियां टूट चुकी हैं। वहीं स्टेशन पर लगी छ: हैंडपंपों में तीन बिगड़े पड़े है।
दुर्दशाग्रस्त केराकत स्टेशन
तहसील मुख्यालय का स्टेशन इस समय अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहा रहा है। स्टेशन दर्जा से हाल्ट स्टेशन बन चुके इस स्टेशन पर समस्याओं का अंबार है। यहां लगी सभी स्ट्रीट लाइटें बिगड़ी हुई है। एक मात्र हैंडपंप ही इस समय यात्रियों की कितनी प्यास बुझा पाता होगा, इसे आसानी से समझा जा सकता है। हैरत तो यह होती है कि स्टेशन के पश्चिम तरफ परिसर पर कुछ ग्रामीण महिलाएं उपली पाथते हुए न•ार आ जाती है। एक मात्र शौचालय उपयोग करने योग्य नहीं रह गया है। दो छतरियों में एक टूटकर समाप्त हो गई है।
नाम का गंगौली स्टेशन
मुफ्तीगंज-केराकत के मध्य स्थित गंगौली स्टेशन सिर्फ नाम का स्टेशन है। यहां यात्रियों को कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। स्टेशन पर लगी हैंडपंप बिगड़ चुकी है। यात्रियों को बैठने के लिए बने सीमेंटेड शेड टूट चुका है। वहीं स्टेशन पर एक भी स्ट्रीट लाईट नहीं लगी है।
गंदगी से घिरा डोभी स्टेशन
डोभी स्टेशन पर लगी 28 स्ट्रीट लाइटों से 23 खराब हो चुकी है। जबकि 6 हैंडपंपों में एक बिना मुंडी व हत्थे का है, बाकी सभी पांच हैंडपंपों से पानी के जगह बालू निकलता है। तीन छतरी में एक टूटी-फूटी अवस्था में है। ओवरब्रिज पर कोई लाइट नहीं जलती तथा शौचालय में ताला लगा रहता है। स्टेशन पर घास-फूस का साम्राज्य छाया हुआ है।
रेल कर्मचारियों का आशियाना बना खंडहर
यादवेंद्र नगर व मुफ्तीगंज स्टेशन के कर्मचारियों को रहने के लिये बाबा आदम के जमाने का बना सरकारी आवास खंडहर मे तब्दील हो चुका है। जिसमें रहने से रेल कर्मी घबराते है।