..तो इस बेडरोल से नहीं होगी एलर्जी
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : रेल यात्रियों के लिए राहत की खबर है। उन्हें बेडरोल (कंबल, चादर, गिलाफ
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : रेल यात्रियों के लिए राहत की खबर है। उन्हें बेडरोल (कंबल, चादर, गिलाफ और तौलिया आदि) की साफ-सफाई को लेकर कोच अटेंडेंट से किच-किच नहीं करनी पड़ेगी। अब उन्हें चमकता हुआ खुशबूदार बेडरोल मिलेगा। गोरखपुर स्थित मैकेनाइज्ड लाउंड्री से किटाणुमुक्त बेडरोल मिलने लगा है। जिसके प्रयोग से यात्री को किसी प्रकार की एलर्जी भी नहीं होगी।
जनसपंर्क अधिकारी एसपी मिश्र मंगलवार को कार्य प्रणाली को जानने और समझने के लिए मीडियाकर्मियों के साथ मैकेनाइज्ड लाउंड्री का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने आधुनिक मशीनों से हो रही कपड़ों की धुलाई को नजदीक से देखा। उन्होंने बताया कि रनिंग रूम के बाद लाउंड्री को भी आइएसओ 14001:2004 प्रमाण प्राप्त हो गया है। यह भारतीय रेलवे का पहला और एकमात्र लाउंड्री बन गया है। वरिष्ठ कोचिंग डिपो अधिकारी वीके तिवारी ने बताया कि कैरेज एंड वैगन विभाग के अभियंताओं ने देशी तकनीक से सैनिटाइजेशन मशीन तैयार कर लिया है। मशीन से कंबलों आदि की धुलाई शुरू हो गई है। इंचार्ज इंजीनियर आरपी श्रीवास्तव के अनुसार लाउंड्री से रोजाना 3622 पैकेट बेडरोल निकलता है। गोरखपुर के अलावा मंडुआडीह, लखनऊ और काठगोदाम में मैकेनाइज्ड लाउंड्री स्थापित है।
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10 मिनट में किटाणुमुक्त
हो जाते हैं बेडरोल
वजनदार (लगभग 2 किलो) होने के चलते कंबलों की धुलाई महीने में सिर्फ एकबार होती है। ऐसे में कंबल जल्दी गंदे हो जाते हैं। यात्रियों की शिकायत भी रहती है। कंबलों को हमेशा साफ और कीटाणुमुक्त रखने के लिए सैनिटाइजेशन मशीन उपयोगी साबित हो रही है। 15 दिन में ही कंबल साफ हो जाएंगे। मशीन महज 10 मिनट में कंबल को कीटाणुमुक्त कर देती है।
यह भी जानें,
- मैकेनाइज्ड लाउंड्री से रोजाना 3622 पैकेट बेडरोल निकलता है।
- बेडरोल की धुलाई मिनरल वाटर (साफ्ट वाटर) में होती है।
- पानी में उच्च श्रेणी के 5 तरह के केमिकल मिलाए जाते हैं।
- धुलाई के लिए रोजाना एक हजार लीटर डीजल प्रयोग करना पड़ता है।