रेल बजट में खाली रही इटावा की झोली
इटावा, निज प्रतिनिधि : राज्य में सत्ता की धुरी बने इटावा को इस बार रेल बजट में निराशा हाथ लगी है। उम्मीद थी कि सियासत के नये समीकरणों को पढ़ते हुए केंद्र सरकार वर्षों से लंबित इटावा की रेल परियोजनाओं को हरी झंडी दिखा देगी लेकिन रेल मंत्री के पिटारे से एक बार फिर इटावा के हिस्से में कुछ नहीं नही निकला। यहां के रेल यात्रियों की जो मांगे थीं उस पर रेल मंत्रालय ने कोई खास ध्यान नहीं दिया।
5 रेलगाड़ियों को एक लंबे समय से रोके जाने की मांग यहां के रेल यात्रियों द्वारा की जा रही थी उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अहमदाबाद जाने के लिये ओखा-गोहाटी एक्सप्रेस, पुरी एक्सप्रेस, मथुरा जाने के लिये मथुरा-इलाहाबाद एक्सप्रेस, कानपुर शताब्दी एक्सप्रेस व अजमेर शरीफ जाने के लिये जियारत एक्सप्रेस को रोके जाने की मांग थी। परंतु एक भी ट्रेन का ठहराव नहीं किया गया। इसके साथ-साथ रेलवे स्टेशन पर जनसुविधाओं में भी कोई बजट नहीं दिया गया। रेलवे स्टेशन परिसर के कोरिडोर के सौंदर्यीकरण की मांग एक लंबे अर्से से की जा रही है। परंतु इस पर कोई बजट नहीं दिया गया। प्लेटफार्म नंबर एक से 5 तक माल भाड़ा व विकलांग यात्रियों को जाने के लिये अंडरब्रिज की मांग लंबे समय से की जा रही है इस पर भी कोई स्वीकृति नहीं दी गयी है। जनपद में तीन रेल परियोजनाएं चल रही हैं जो एक लंबे अर्से से निर्माणाधीन हैं। इन परियोजनाओं में गुना-इटावा रेल परियोजना पर करीब 90 प्रतिशत, मैनपुरी-इटावा पर करीब 70 प्रतिशत व आगरा-इटावा वाया बाह परियोजना पर करीब 60 प्रतिशत कार्य हो चुका है। इनके लिए भी बजट में कोई धन का प्रावधान सामने नहीं आया है। कुल मिलाकर रेल बजट में इटावा की झोली खाली ही रही।
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