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धर्मनगरी में तैयार होगी संस्कृत की पाठ्य सामग्री

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : प्रभु श्रीराम सहित ऋषि मुनियों की तपोस्थली चित्रकूट में संस्कृत विद्यालय

By Edited By: Published: Wed, 11 Jan 2017 07:30 PM (IST)Updated: Wed, 11 Jan 2017 07:30 PM (IST)
धर्मनगरी में तैयार होगी संस्कृत की पाठ्य सामग्री

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : प्रभु श्रीराम सहित ऋषि मुनियों की तपोस्थली चित्रकूट में संस्कृत विद्यालयों के लिए पाठ्य सामग्री जुटाने को देश के कोने-कोने से आए विद्वतजन तीन दिन मंथन करेंगे। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की ओर से आयोजित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन विकलांग विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद्मविभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने किया।

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विकलाग विश्वविद्यालय में उच्च प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों की पाठय सामग्री निर्माण हेतु आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए विकलांग विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जगद्गुरू स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि संस्कृत भाषा संस्कारों के निर्माण की भाषा है। वर्तमान समय में संस्कारों के अभाव में समाज दूषित होता जा रहा है। इस परिस्थिति में संस्कृत भाषा ही है जो समाज को संस्कार प्रदान कर सकती है। सभी संस्कृत शिक्षाविदों को इस भाषा के प्रति अपनी श्रद्वा एवं रूचि रखने की आवश्यकता है। शुद्ध संस्कृत शब्दों का उच्चारण करना चाहिए। एनसीईआरटी के प्रो. केसी मिश्र ने कहा कि संस्कृत शिक्षकों के लिए पाठ्य सामग्री का निर्माण सरल एवं सुगम होना चाहिए। जिससे आसानी से अध्ययन एवं अध्यापन किया जा सके। प्रश्नों का निर्माण ठीक ढ़ंग से किया जाय आज इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है। संस्कृत शिक्षक सुसंस्कारित छात्र तैयार कर सकते हैं।

विकलांग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश चन्द्र दुबे ने कहा कि अध्यापक के लिए बीएड ट्रेनिंग आवश्यक है जिससे कि शिक्षक गुणों, आदर्शो, कर्तव्यों का पालन कर सके। शिक्षक में दो गुणों का होना नितात आवश्यक है। पहला सम्प्रेषण क्षमता, दूसरा शिक्षक की योग्यता माना जाता है। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. गिरिजा प्रसाद दुबे, वित्त अधिकारी आरपी मिश्र व सूर्य प्रकाश मिश्र आदि मौजूद रहें।

यह विद्वतजन करेंगे मंथन

आयोजित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रो. बीपी भारद्वाज (एनसीईआरटी), डा. डम्बरूधर पति प्राध्यापक राष्ट्रीय संस्थान भोपाल, डा. संगीता शर्मा सह आचार्या एनसीईआरटी, प्रो. कामता प्रसाद त्रिपाठी संस्कृत विभागाध्यक्ष विकलाग विश्वविद्यालय, डा. अरूण कुमार शुक्ल व डा. प्रमिला मिश्रा अपने विचार रखेंगे।


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