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बिजनौर में रखी गई थी बीएचयू की 'नींव'

गिरिराज ¨सह, बिजनौर: मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजे गए काशी ¨हदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना

By Edited By: Published: Mon, 30 Mar 2015 10:57 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 10:57 PM (IST)
बिजनौर में रखी गई थी बीएचयू की 'नींव'

गिरिराज ¨सह, बिजनौर:

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मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजे गए काशी ¨हदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना मदन मोहन मालवीय के गौरव का श्रृंगार है महात्मा विदुर की पवित्र धरती। जिस विवि में शिक्षा हासिल कर देशी और विदेशी युवा गर्व महसूस करते हैं, उसकी नींव में बिजनौर की धरती के लाल का शिल्प समाया हुआ है। जनपद की धर्मनगरी निवासी राजा ज्वाला प्रसाद ने बीएचयू की बिल्डिंग का नक्शा बनाया और उनकी देखरेख में ही इसका निर्माण परवान चढ़ा। इन्होंने चंदा एकत्र करने में महामना की काफी सहायता की।

महामना मदन मोहन मालवीय ने जब काशी ¨हदू विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया, तो देशभर के लोग उनके साथ आ खड़े हुए। जनपद के ग्राम धर्मनगरी में जन्मे राजा ज्वाला प्रसाद महामना के काफी करीबी थे। महामना अक्सर राजा ज्वाला प्रसाद के साथ बिजनौर आते थे। काशी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए जब सहयोग राशि जुटाने को महामना ने रेल यात्राएं शुरू कीं, तो उनका मेरठ, मुजफ्फरनगर और बिजनौर समेत आसपास के कई जनपदों में आना हुआ। राजा ज्वाला प्रसाद ने उनका काफी सहयोग किया। ज्वाला प्रसाद की पौत्रवधू एवं सदर विधायक रुचि वीरा बताती हैं कि राजा ज्वाला प्रसाद आइआइटी से इंजीनियर थे। वह उन दिनों उत्तर प्रदेश ¨सचाई विभाग में मुख्य अभियंता के पद पर कार्यरत थे। महामना ने सन 1915 में प्रतिनियुक्ति पर उन्हें बनारस बुलवा लिया था। राजा ज्वाला प्रसाद ने ही काशी ¨हदू विश्व विद्यालय की बिल्डिंग का नक्शा तैयार किया और उन्हीं की देखरेख में विश्वविद्यालय की इमारत तैयार हुई। ¨सचाई विभाग से सेवानिवृत होने के बाद 1930 में राजा ज्वाला प्रसाद को काशी ¨हदू विश्वविद्यालय का वाइस चांसलर बनाया गया। रुचि वीरा बताती हैं कि लगभग पांच साल तक राजा साहब ने वाइस चांसलर के रूप में विश्वविद्यालय को अपनी सेवाएं दी थीं।

राजा ज्वाला प्रसाद का संक्षिप्त परिचय

राजा ज्वाला प्रसाद का जन्म 22 नवंबर 1872 को बिजनौर के ग्राम धर्मनगरी में हुआ। उन्होंने तत्कालीन रुड़की कालेज से सन 1900 में इंजीनिय¨रग की। इसके बाद ¨सचाई विभाग उत्तर प्रदेश में मुख्य अभियंता का पदभार संभाला। अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें सम्मान देते हुए राजा की उपाधि प्रदान की। 1930 में सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद वह काशी ¨हदू विश्व विद्यालय के वाइस चांसलर बने। 16 सितंबर 1944 को राजा साहब का देहांत हो गया। राजा साहब और उनकी अगली पीढ़ी ने शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है। उनके पुत्र कुंवर सत्यवीर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। वीरा परिवार ने राजा ज्वाला प्रसाद के नाम से भी इंटर कालेज की स्थापना की। बिजनौर समेत आसपास के जनपदों में भी वीरा परिवार कई बड़ी शिक्षण संस्थाओं का संचालन कर रहा है। सपा नेता कुंवर उदयन वीरा उनके पौत्र तथा सदर विधायक रुचि वीरा उनकी पौत्र वधू हैं।


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