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सिकुड़ता जा रहा है पुराने तालाबों का दायरा

बहराइच : तहसील कैसरगंज में सरोवर, तालाब व पोखरों की दशा दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है। शहर से लेकर गां

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Jun 2017 12:12 AM (IST)Updated: Sun, 25 Jun 2017 12:12 AM (IST)
सिकुड़ता जा रहा है पुराने तालाबों का दायरा
सिकुड़ता जा रहा है पुराने तालाबों का दायरा

बहराइच : तहसील कैसरगंज में सरोवर, तालाब व पोखरों की दशा दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है। शहर से लेकर गांव तक के तालाब अतिक्रमण का दंश झेल रहे हैं। कुछ तालाब दम तोड़ चुके हैं तो कुछ का अस्तित्व खतरे में है। तालाब को बचाने के लिए लोग कितना जागरूक हैं यह खबर के साथ प्रकाशित तालाब की तस्वीर को देखकर आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं।

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भू-जल स्त्रोत के साधन तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। इन्हें संवारने व मूल स्वरूप में लाने की कवायद सिर्फ कागजों में ही रह गई है। प्रशासनिक जिम्मेदार भी तालाबों की दशा सुधारने का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन धरातल पर कहीं नजर नहीं आ रहा है। तालाबों की हालत बिगड़ती जा रही है। कैसरगंज ब्लॉक के रेवली तालाब को ही लें। इस तालाब के चारों ओर अतिक्रमण है। दबंग लोगों ने कब्जा कर घर बना लिया है। बचे तालाब के लोग कूड़ा- करकट से पाट रहे हैं। इससे तालाब का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। रेवली ही नहीं चिलवा, कहरई, बदरौली के तालाबों की हालत बेहद खराब है।

जल देव की उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं

कोनारी के कृष्ण कुमार शुक्ला का कहना है कि गांव के तालाबों का अस्तित्व संकट में है, लेकिन जिम्मेदार फिक्रमंद नहीं हैं। तालाबों पर अवैध कब्जे बढ़ते जा रहे है। इस पर अंकुश लगना चाहिए। प्रगतिशील किसान रघुराज प्रसाद वर्मा का कहना है कि तालाब, पोखर आदि जल संचयन के सशक्त माध्यम है। इसे संजोकर रखने की जिम्मेदारी सबकी है। अवस्थीपुरवा के डॉ. पंकज शुक्ला कहते हैं कि पहले तालाबों को देवता तुल्य माना जाता था, लेकिन अब लोग तालाबों को पाटकर उस पर घर बना कर जल देवता की उपेक्षा कर रहे हैं। शिक्षक प्रदीप श्रीवास्तव कहते हैं कि जल नहीं तो कल नहीं। हम सभी को तालाबों के संरक्षण के लिए आगे आना होगा। शिवानंद ¨सह कहते हैं कि तालाब गांव की शान होते हैं। इसके संरक्षण के लिए हम सबको संकल्प लेना होगा।


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