मिलकर कदम बढ़ाएं, अपने शहर को स्मार्ट सिटी बनवाएं
शहर में डेढ़ लाख मकान, 1.18 लाख शौचालय -खुले में शौच करने वाले भी टॉयलेट बनवा लें तो बने बात अ
शहर में डेढ़ लाख मकान, 1.18 लाख शौचालय
-खुले में शौच करने वाले भी टॉयलेट बनवा लें तो बने बात
अलीगढ़: स्मार्ट सिटी का मतलब सिर्फ बहुमंजिला इमारतें कतई नहीं हैं। बेहतर नागरिक सुविधाओं और आधुनिक संचार माध्यमों से लैस होना उससे कहीं ज्यादा जरूरी है। स्मार्ट सिटी बनने की पहली शर्त है, घरों में शौचालय हो। खुले में शौच बंद हो। अपना शहर इस मायने में पीछे नहीं है। नगर निगम के सर्वे के अनुसार शहर की कुल आबादी में करीब 80 फीसद घरों में शौचालय है। बचे 20 फीसद ही वंचित हैं। ये कोई बड़ा फासला नहीं है। 'स्वच्छ भारत' अभियान में संचालित शौचालय निर्माण की योजनाएं इस खाई को आसानी से पाट सकती हैं। बस, जरूरत है तो सरकारी तंत्र की दृढ़ इच्छा शक्ति और हमारे-आपके सहयोग की।
स्वच्छ भारत अभियान की ओर बढ़ते कदम
नगर निगम ने एडमिनिस्ट्रेशन स्टॉफ कॉलेज ऑफ इंडिया हैदराबाद (एएससीआइ) ने 2010 में सिटी सेनिटेशन प्लान तैयार कराया था। इस प्लान में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। शौचालय को लेकर जो हमारी सोच थी, हकीकत में वैसा नहीं है। कंपनी ने शहर की 8,27,000 संख्या के आधार पर 1,50,000 घरों का सर्वे किया था। इनमें से 118690 घरों में शौचालय है, जो 79 फीसद है। शहर में 31 हजार 310 ऐसे घर हैं, जहां शौचालय नहीं हैं। ये इलाके शहर की मलिन बस्तियां हैं। सर्वे का यह आंकड़ा स्वच्छ भारत अभियान के लिए मजबूत कड़ी माना जा रहा है। क्योंकि बड़े शहरों में यह स्थिति और भी खराब है। अलीगढ़ नगर निगम इस मामले में कई शहरों से बाजी मार सकता है। जरूरत है, तो बस नगर निगम व प्रशासन को मिलकर काम करने की।
स्लम आबादी
शहर में स्लम आबादी की बात करें तो यह संख्या 3,67,134 है। जो 66,455 मकान में रहते हैं। शौचालय की स्थिति यहां भी ठीक है। कुल आबादी में 52.8 फीसद घरों में शौचालय हैं। इनमें से दो फीसद के यहां सीवरेज कनेक्शन भी है। 5.8 फीसद लोग कम्यूनिटी टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं। स्लम में 47 फीसद लोग खुले में शौच करते हैं।
जागरूकता बढ़ने से हुआ सुधार
हम अभी तक 2010 के सर्वे के आधार पर बात कर रहे थे। 2011 की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी 872575 आंकी गई है। पिछले तीन-चार सालों में लोगों में काफी जागरूकता आई है। मोबाइल के इस दौर में रहन-सहन, खाने-पीने के अलावा शौक-मौज में तेजी से बदलाव हुआ है। भौतिक सत्यापन में पाया कि शहर के कई इलाके नौरंगाबाद, बैकुंठनगर, समनापाड़ा, कंपनीबाग, नुमाइश ग्राउंड के आसपास सड़क किनारे लोग सुबह-शाम शौच को बैठ जाते थे, अब यह स्थिति नहीं है। इन इलाकों में जर्जर मकान और झोपड़ियां थीं, अब पक्के और अच्छे मकान बन गए हैं। एक अनुमान के अनुसार अब दस फीसद लोग ही खुले में शौच के लिए जा रहे हैं। यदि मिल-जुलकर थोड़े और प्रयास हों तो स्थिति और बेहतर हो सकती है।
पब्लिक की राय
शहर में अगर 80 फीसद शौचालय हैं, तो मैं 8 नंबर दूंगी। शहर के अंदर तो स्थिति ठीक है, जरूरत है तो शहर के बाहरी इलाकों में सुधार करने की।
- डॉ. संध्या माहेश्वरी
मैं सात नंबर दूंगा। शहर से सटे ग्रामीण इलाकों के कारण शौचालय की संख्या कम है। शहर में बेघर रहने वाले लोग भी इस श्रेणी में आते हैं। इनके लिए प्लान बनाने की जरूरत है।
- प्रो. आफताब आलम
शहर के बाहरी इलाकों में शौचालय की स्थिति ठीक नहीं हैं। ये लोग ही खुले में शौच को जाते हैं। शहर में स्थिति बेहतर है। मेरी ओर से 8 नंबर।
- डॉ. नफीस अंसारी
बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके यहां शौचालय हैं। ये लोग टहलने निकलते हैं और बैठ जाते हैं सड़क किनारे। हमें सोच बदलनी होगी। मैं 7 अंक ही दूंगी।
- डॉ. आशा राठी
जमाने के साथ लोग बदल रहे हैं। अब तो गांव में भी शौचालय बन रहे हैं। शहर में टहलने जाने वाले अधिकांश लोग ऐसे हैं, जिन्हें आदत पड़ गई है खुले में जाने की। मैं तो 9.50 अंक दूंगा।
- चंद्र शेखर शर्मा
शहर के कई इलाकों में इतने छोटे-छोटे मकान हैं, जहां शौचालय बनाए ही नहीं जा सकते हैं। इसके लिए नगर निगम को कॉमन शौचालय बनाने चाहिए। मैं शहर को 8 अंक दूंगा।
- अशोक अंजुम
शहर के विकास में सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। जहां शौचालय नहीं हैं, वहां अभियान चलाया जाना चाहिए, ताकि इस अंतर को खत्म किया जा सके। मैं 7 अंक से अधिक नहीं दूंगा ।
-अश्वनी शर्मा
मेरी तरफ से 8 अंक। यह अच्छी जानकारी है कि 80 फीसद घरों में शौचालय हैं। शहर के बाहरी इलाकों में ही सुधार की जरूरत है, नई कालोनी में तो बिना शौचालय के घर बन ही नहीं सकते।
- डॉ. अंजू गुप्ता
शहर में नागरिक सुविधाएं बेहतर होंगी तो वो किसी स्मार्ट सिटी से कम नहीं होगा। कभी शौचालय न होना बड़ी समस्या थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हैं। जहां नहीं हैं, वहा शौचालय बनाए जाने चाहिए। मेरी तरफ से शहर को 8 अंक।
- डॉ. अब्दुल वारिश
अलीगढ़ को स्मार्ट सिटी में शामिल करने की बहुत संभावनाएं हैं, हमारे पास विश्व प्रसिद्ध एएमयू है। नागरिक सुविधाओं को बढ़ाने की जरूरत हैं। मैं 8 अंक दूंगा।
- डॉ. एसके सिंघल
स्मार्ट सिटी :: एक नजर में
2011 की जनगणना
शहर की संख्या : 872575
पुरुष : 463123
महिला : 409452
शिक्षित जनसंख्या : 533969
पुरुष : 303886
महिला : 230083
बच्चे (0-6) : 113658
लड़की : 60620
लड़का : 53038
साक्षरता दर : 70.36
महिला : 75.50
महिला : 64.55
लिंग अनुपात : 884
बच्चों का लिंग अनुपात : 875
कल के अंक में पढ़ें
हाई लाइटर
स्मार्ट सिटी अभियान के अगले चरण में गुरुवार को नागरिक सुविधाओं से संबंधित शिकायतों के निवारण और लंबित मामलों पर बात करेंगे।
देश में 100 स्मार्ट सिटी बनने हैं। कौन शहर इसमें शामिल होगा, अभी तय नहीं। स्मार्ट सिटी बनाने के लिए भारत सरकार ने प्रदेश सरकार से तमाम जानकारियां मांगी हैं। तय मानकों पर जो शहर खरा उतरेगा, वही प्रदेश के 13 स्मार्ट सिटी बनने की दौड़ में शामिल होगा। क्या अपना शहर स्मार्ट सिटी नहीं बन सकता? आखिर वो कौन से मानक हैं, जिन पर अपने शहर को खरा उतरना है। 'दैनिक जागरण' आज से इसी विषय पर अभियान शुरू करने जा रहा है। प्रदेश सरकार भी अलीगढ़ नगर निगम से 15 बिंदुओं पर सूचना मांग चुकी है। आज के अंक में पहले मानक को समाहित करते हुए 'स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर के कितने घरों में शौचालय की सुविधा है' पर बात करेंगे।