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अब भी बना हुआ है रैनसमवेयर का खतरा! पढ़िए बचाव के लिए एक्सपर्ट की राय

इस वायरस और इससे जुडी घटनाओं और सावधानियों के बाजरे में विस्तार में जानने से पहले यह जान लें की ये वायरस आखिर है क्या

By Sakshi PandyaEdited By: Published: Wed, 24 May 2017 11:47 AM (IST)Updated: Wed, 24 May 2017 12:00 PM (IST)
अब भी बना हुआ है रैनसमवेयर का खतरा! पढ़िए बचाव के लिए एक्सपर्ट की राय
अब भी बना हुआ है रैनसमवेयर का खतरा! पढ़िए बचाव के लिए एक्सपर्ट की राय

नई दिल्ली। दो हफ्ते पहले रैनसमवेयर वायरस ने पूरी दुनिया में उथल-पुथल मचा दी थी। इस तरह की किसी हमले की शायद आम लोगों ने तो कल्पना भी नहीं की होगी। इस हमले का शिकार कई देश, संस्थान और यहां तक की अलग-अलग स्टार पर कई लोग भी हुए हैं। क्या अब भी हम इस हमले के शिकंजे में हैं? क्या अब भी हमें इस हमले से बचाव के उपायों पर ध्यान देना चाहिए? यह सभी प्रश्न आज हर संस्था या व्यक्तिगत लोगों के मन में उठ रहे होंगे। इन सभी प्रश्नों के जवाब हम आपको इस पोस्ट में देंगे। दो हफ्ते पहले हुए इस अटैक के पीछे wannacry वायरस को दोषी पाया गया। इस वायरस और इससे जुडी घटनाओं और सावधानियों के बाजरे में विस्तार में जानने से पहले यह जान लें की ये वायरस आखिर है क्या?

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क्या है रेनसमवेयर?

रेनसमवेयर एक तरह का साइबर हमला है। यह वायरस यूजर के कंप्यूटर पर पूरी तरह से कंट्रोल कर पेमेंट की डिमांड करता है। यह वायरस सिर्फ कंप्यूटर ही नहीं बल्कि स्मार्टफोन को भी नुकसान पंहुचा सकता है। यह वायरस बिना आपकी जानकारी के कंप्यूटर या स्मार्टफोन को नुकसान पहुंचाने वाला सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर लेता है, इसके जरिये ये यूजर की जानकारी को एन्क्रिप्ट कर लेता है। इस तरह हैकर के पास यूजर के डाटा पर पूरा-पूरा एक्सेस हो जाता है। फिर हैकर यूजर को उसका डाटा ब्लॉक करने की धमकी दे उससे पैसे ऐंठता है। डाटा के एवज में यूजर से बतौर फीस 0.3 से 1 बिटक्वाइन तक की मांग की जाती है, जिसकी कीमत 400 यूरो से लेकर 1375 यूरो तक होती है। बिटक्वाइन डिजिटल ट्रांसक्शन में इस्तेमाल होने वाली एक तरह की वर्चुअल करेंसी है। ऐसे साइबर अटैक किसी एक व्यक्ति पर न कर के पूरे नेटवर्क पर किया जाता है।

किसी को भी कर सकता है टारगेट:

कई अफवाहों के अनुसार यह वायरस संस्थाओं या बिजनस आदि को टारगेट करता है , लेकिन ऐसा नहीं है। यह वायरस किसी को कभी भी टारगेट कर सकता है। फिलहाल, यह वायरस माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम को टारगेट कर रहा है। इसलिए सुरक्षा के लिहाज से यह भी बेहद ज़रूरी है की कंपनी द्वारा दी जा रही अपडेट्स को समय से अप-टू-डेट रखा जाए।

इतिहास में सबसे बड़ा साइबर अटैक:

ऐसा माना जा रहा है की यह अब तक का सबसे बड़ा साइबर अटैक है। 150 से ज़्यादा राष्ट्र और 2 लाख से ज़्यादा कंप्यूटर इस अटैक की चपेट में आये हैं । साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल की माने तो अब तक जो भी आंकड़ें सामने आये हैं, वह अब भी कम है। समय के साथ इन आंकड़ों में इजाफा आएगा और हमे पता चलेगा की इस वायरस ने बहुत बड़े स्तर पर अपना जाल फैलाया है।

ऐसे साइबर अटैक से आप कैसे बचें?

हालांकि यह एक खतरनाक वायरस है। लेकिन फिर भी कुछ सावधानियां बरत कर आप इससे बच सकते हैं।

डाटा का बैकअप रखें:

रेनसमवेयर वायरस से सबसे ज़्यादा नुक्सान डाटा का होता है। यूजर का पर्सनल डाटा, फोटोज, डाक्यूमेंट्स आदि सभी पर अटैक होता है। इसलिए सबसे पहले आप अपने डाटा का पूरा बैकअप रखें। यह भी ख्याल रखें की यह बैकअप आपने इंटरनेट का इस्तेमाल करके न किया हो। कोशिश करें कि बैकअप किसी हार्ड ड्राइव में रख लें। इससे कितना ही खतरनाक वायरस हो, आपके डाटा का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।

एंटी वायरस है जरुरी:

किसी भी कंप्यूटर या स्मार्टफोन में एंटी वायरस होना बेहद जरुरी है। एंटी वायरस रेनसमवेयर या किसी अन्य खतरनाक वायरस से भी बचने में आपकी मदद करता है। एंटी वायरस आसानी से पहचान लेता है की आपकी डिवाइस में कौन सा वायरस है।

किसी भी एप या लिंक पर न करें क्लिक:

रेनसमवेयर फाइल या डाटा को हैक करने के लिए सबसे पहले डिवाइस में कुछ एप डाउनलोड करता है। ऐसे में कई बार ब्राउज करते वक्त कुछ ऐसे पॉप-अप लिंक सामने आते हैं और हम ज्यादा ध्यान ना देते हुए क्लिक कर देते हैं। ऐसा बिल्कुल भी न करें। कोई भी ऐसा लिंक, एप या कुछ भी जिस पर जरा सा भी संदेह हो, उसपर क्लिक न करें।

हालांकि ऊपर दिए गए तरीकों से आप काफी हद्द तक खुद को सुरक्षित रख सकते हैं, लेकिन विशषज्ञों का मानना है की इस तरह के साइबर हमले आगे बढ़ेंगे ही। इसमें व्यक्तिगत लोगों और संस्थानों को टारगेट किया जाएगा। ऐसे हमलों से बचने के लिए संस्थानों को कीबेरतक से बचने के लिए पुख्ता प्लान की जरुरत है।

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