प्रयाग अर्धकुंभ 2019 में अपनी धमाकेदार उपस्थिति की तैयारी में किन्नर अखाड़ा
उज्जैन कुम्भ के बाद अब 2019 में होने वाले प्रयाग अर्धकुम्भ में भी किन्नर अखाड़ा अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगा। इसके लिये किन्नर अखाड़े ने अभी से कवायद शुरू कर दी है।
उज्जैन कुंभ में आकर किया था हैरान
उज्जैन कुंभ में किन्नर अखाड़ा के सामने आने के बाद संतों की मंडली में हलचल मच गई थी। इससे पहले किसी न किन्नर अखाड़े के बारे में नहीं सुना था। हालांकि यह किन्नर अखाड़ा साल 2019 में होने वाले प्रयाग अर्धकुंभ में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कवायद में जुट गया है। किन्नर अखाड़े को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से भले ही मान्यता न मिली हो। लेकिन किन्नर समाज यहां पर अपनी पहचान बनाने की पुरजोर कोशिश में जुटा है।
अब अर्धकुंभ की है तैयारी
किन्नर अखाड़े की संस्थापक सदस्य महंत पवित्रा खुद किन्नर हैं और सभी क्षेत्रों में अपनी पहचान बना चुके किन्नर समाज को अब यह धर्म के क्षेत्र में स्थापित करने के लिये संघर्ष कर रही हैं। उज्जैन कुम्भ में शाही स्नान और पेशवाई कर चुका किन्नर अखाड़ा अब प्रयाग कुम्भ के लिए कमिश्नर इलाहाबाद से मिला है। पवित्रा कहती हैं अब समाज में किन्नर को अलग नजरिए से नहीं देखना चाहिए। किन्नर शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक स्तर पर मजबूत हैं। यहां तक कि वह बॉर्डर पर दुश्मनों से भी लोहा ले सकती हैं। जो इतनी सक्षम हैं वह धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ा क्यों नहीं बना सकतीं।
किन्नर संत हो सकते हैं अखाड़ा नहीं
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी इस किन्नर अखाड़ को सिरे से नकारते हैं। नरेंद्र गिरी कहते हैं कि आदिकाल में शंकराचार्य ने देश और सनातन धर्म की रक्षा के लिए चार पीठों की स्थापना की थी। उनके सहयोग के लिये कुल 13 अखाड़े बने थे। किन्नर संत तो हो सकते हैं लेकिन अखाड़ा नहीं बना सकते हैं।