Move to Jagran APP

महावीर जयन्ती पर जानें, क्यों हमें उनका अनुसरण करना चाहिए

महावीर जयन्ती का पर्व महावीर स्वामी के जन्म दिन चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। यह जैनों का सबसे प्रमुख पर्व है। भगवान महावीर स्वामी, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे जिनका जीवन ही उनका संदेश है। उनके सत्य, अहिंसा, के उपदेश एक खुली किताब की भांति है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2015 12:32 PM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2015 12:52 PM (IST)
महावीर जयन्ती पर जानें, क्यों हमें उनका अनुसरण करना चाहिए

महावीर जयन्ती का पर्व महावीर स्वामी के जन्म दिन चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। यह जैनों का सबसे प्रमुख पर्व है। भगवान महावीर स्वामी, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे जिनका जीवन ही उनका संदेश है। उनके सत्य, अहिंसा, के उपदेश एक खुली किताब की भांति है।

loksabha election banner

महावीर ने एक राजपरिवार में जन्म लिया था। उनके परिवार में ऐश्वर्य, धन-संपदा की कोई कमी नहीं थी, किंतु युवावस्था में कदम रखते ही उन्होंने संसार की माया-मोह, सुख-ऐश्वर्य और राज्य को छोड़कर, सारी सुविधाओं का त्याग कर वे नंगे पैर पैदल यात्रा करते रहे।

मानव समाज को अन्धकार से प्रकाश की ओर लाने वाले महापुरुष भगवान महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व बिहार में लिच्छिवी वंश के महाराज श्री सिद्धार्थ और माता त्रिशिला देवी के यहां हुआ था। जिस कारण इस दिन जैन श्रद्धालु इस पावन दिवस को महावीर जयन्ती के रूप में परंपरागत तरीके से हर्षोल्लास और श्रद्धाभक्ति पूर्वक मनाते हैं। बचपन में भगवान महावीर का नाम वर्धमान था। जैन धर्मियों का मानना है कि वर्धमान ने कठोर तप द्वारा अपनी समस्त इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर जिन अर्थात विजेता कहलाए। उनका यह कठिन तप पराक्रम के सामान माना गया, जिस कारण उनको महावीर कहा गया और उनके अनुयायी जैन कहलाए।

महावीर स्वामी ने संसार में बढ़ती हिंसक सोच, अमानवीयता को शांत करने के लिए अहिंसा के उपदेश प्रसारित किए।

महावीर जयंती के अवसर पर जैन धर्मावलंबी प्रात: काल प्रभातफेरी निकालते हैं। उसके बाद भव्य जुलूस के साथ पालकी यात्रा निकालने के तत्पश्चात स्वर्ण एवं रजत कलशों से महावीर स्वामी का अभिषेक किया जाता है तथा शिखरों पर ध्वजा चढ़ाई जाती है। जैन समाज द्वारा दिन भर अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करके महावीर का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाते हैं।

उनके सिद्धांत बताते हैं कि वर्तमान के व्यवहार को किस प्रकार से रखा जाए ताकि जीवन में शांति, मरण में समाधि, परलोक में सद्गति तथा परम्पर से परमगति पाई जा सके। मानवीय गुणों की उपेक्षा के इस समय में महावीर के कल्याण का दिन हमसे अपने जातीय भेद भुलाकर सत्य से साक्षात का संदेश देता है। भगवान महावीर ने अहिंसा की जितनी सूक्ष्म व्याख्या की है वैसी अन्यत्र दुर्लभ है। उन्होंने मानव को मानव के प्रति ही प्रेम और मित्रता से रहने का संदेश नहीं दिया अपितु मिट्टी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति से लेकर कीड़े-मकोड़े, पशु-पक्षी आदि के प्रति भी मित्रता और अहिंसक विचार के साथ रहने का उपदेश दिया है। उनकी इस शिक्षा में पर्यावरण के साथ बने रहने की सीख भी है।

तीर्थंकर भगवान महावीर को 5 नामों से जाना जाता है जिन्हें क्रमश: वर्धमान, सन्मति, वीर, अतिवीर और महावीर कहते हैं। भगवान महावीर का मूल सिद्धान्त है, अहिंसा परमोधर्म एवं जिओ और जीने दो। महावीर स्वामी पापों का त्याग यानी हिंसा, झूठ, चोरी, कुशिल और परिग्रह से दूर रहने की सलाह देते हैं। वह क्रोध, मान, मायाचारी और लोभ से दूर रहने की शिक्षा दी है। दया का भाव रखो।

भगवान महावीर ने ही बताया वनस्पति, भूमि, जल, अग्नि और वायु में भी जीव है, प्राण है अत: इनका भी अनादर हिंसा है। यदि भगवान महावीर के सिद्धांतों का पालन करें तो शहर, प्रदेश, देश ही नहीं बल्कि विश्व में सुख शांति स्थापित हो सकती है।

जानिए भगवान महावीर के अमृत वचन

यदि संसार के दु:खों, रोगों, जन्म-मृत्यु, भूख-प्यास आदि से बचना चाहते हों तो अपनी आत्मा को पहचान लो। दूसरों के साथ वह व्यवहार कभी मत करो जो स्वयं को अच्छा ना लगे। जो वस्त्र या श्रृंगार देखने वाले के हृदय को विचलित कर दे, ऐसे वस्त्र श्रृंगार सभ्य लोगों के नहीं हैं। सभ्यता जैनियों की पहचान है।

किसी भी प्राणी को मार कर बनाए प्रसाधन के उपयोग से भी उतना ही पाप लगता है जितना किसी जीव को मारने में। जैसे हम स्वयं जीना चाहते हैं वैसे ही संसार के सभी प्राणी जीना चाहते हैं, इसलिये खुद जीओ और औरों को जीने दो।

दूसरों के दुर्गुणों को ना देखकर उसके सद्गुणों को ग्रहण करने वाला ही सज्जन है। कमजोरों की सेवा करना मनुष्य का कर्तव्य है।

पढ़े: जयंती विशेष : बिहार के कुंडग्राम में जन्मे थे भगवान महावीर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.