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देवी का सिद्ध पीठ है, यहां पर मां सती की बाया वक्ष गिरा था

कहा जाता है की यह मंदिर 200 साल पुराना है | इसे 'स्तनपीठ' भी कहा जाता है जिसमे देवी का वाम स्तन कपडे से ढका रह्ता है और धातु से बना मुख के दर्शन भक्तो को कराये जाते है |

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 04:27 PM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 10:14 AM (IST)
देवी का सिद्ध पीठ है, यहां पर मां सती की बाया वक्ष गिरा था
देवी का सिद्ध पीठ है, यहां पर मां सती की बाया वक्ष गिरा था
त्रिपुरा मालिनी, यह पीठ भारत में पंजाब राज्य के जालंधर रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर दूर जालंधर शहर में स्थित हैं। देवी सती की बाई छाती यहाँ गिरी थीं, यहाँ देवी! त्रिपुरा-मालिनी के रूप में और भीषण, भैरव के रूप में विद्यमान हैं। वशिष्ठ, व्यास, मनु, जमदग्नि, परशुराम जैसे विभिन्न महर्षियों ने त्रिपुरा मालिनी रूप में यहाँ आदि शक्ति की पूजा-आराधना की थीं। जालंधर नमक दैत्य भगवान शिव द्वारा मारा गया था, दैत्य के नाम से ही शहर का नाम जालंधर पड़ा। यहाँ स्वच्छ पानी के तालाब के साथ देवी मंदिर बहुत मनमोहक एवं सुन्दर हैं।
  पंजाब के जालंधर में उत्तर की तरफ रेलवे स्टेशन से सिर्फ 1 किमी की दुरी पर माँ भगवती का यह शक्तिपीठ स्थापित है |  यह मंदिर भी माँ सती के 51 शक्तिपीठो में से के है | कहा जाता है की माँ सती का इस जगह बाया वक्ष ( स्तन ) गिरा था और इस शक्तिपीठ की मान्यता हो गयी थी | यहाँ की शक्ति 'त्रिपुरमालिनी' तथा भैरव 'भीषण' हैं। हजारो भक्त माँ की कृपा पाने दर्शन हेतु दुर दुर से यहा आते है | इस मंदिर में शिवा की भीसन मानकर पूजा की जाती है | मंदिर का शिखर सोने से बनाया गया है | समय समय पर मंदिर परिसर में माँ के जगरात्रे और नवरात्रो में बड़ी धूम धाम से मेला भरता है | मंदिर बहूत सारी मन मोहक झांकिया भी त्यौहारो पर लगाता है जिसे देखने भक्तो की अपार भीड दुर दराज से आती है |
कहा जाता है की यह मंदिर 200 साल पुराना है | इसे 'स्तनपीठ' भी कहा जाता है जिसमे देवी का वाम स्तन कपडे से ढका रह्ता है और धातु से बना मुख के दर्शन भक्तो को कराये जाते है | यह मंदिर तालाब के मध्य स्तिथ है जहा जाने के लिए 12 फ़ीट चोड़ी जगह है | मुख्य भगवती के मंदिर में तीन मूरत है | माँ भगवती के साथ माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती विराजमान है | भक्त इस मंदिर में इन देवियो की मूरत के परिकर्मा देते है | पूरा मंदिर परिसर लग भग 400 मीटर में फैला हुआ है | मंदिर परिसर में भक्तो के आराम करने की सुविधा भी है |
मंदिर की समय तालिका :
ज्यादातर मंदिर सुबह 4:00 बजे खुलकर रात्री 11:00 बजे तक बंद होता है | 
भस्म आरती : 4:00 – 6:00 am 
नैवद्य आरती :7:30 - 8:15 am 
महा भोग आरती : 10:30 – 11:15 am 
संध्या आरती : 6:30 – 7:15 pm 
शयन आरती : 10:30 pm 

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