दहेज उत्पीड़न कानून में संशोधन की मांग
संवाद सहयोगी, फगवाड़ा : अंतराष्ट्रीय पुरुष दिवस पर बधाई देते हुए वर्ल्ड हयूमन राइट प्रोटेक्शन कौंसिल
संवाद सहयोगी, फगवाड़ा : अंतराष्ट्रीय पुरुष दिवस पर बधाई देते हुए वर्ल्ड हयूमन राइट प्रोटेक्शन कौंसिल के महासचिव सुरिंदर मित्तल ने कहा कि आज का दिन पुरुषों के साथ की जा रही समाजिक एवं लिंग आधारित न्यायिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने का है। उन्होंने कहा कि बहुत दुख की बात है कि महिला दिवस तो हम मनाते है, लेकिन पुरुष दिवस की याद किसी नहीं आती। समाज में पुरुषों का भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। मित्तल ने कहा भारत सरकार की ओर से बनाए गए दहेज उत्पीड़न जैसे कानून का कुछ तथाकथित महिलाएं खुलकर दुरुपयोग कर रही है और पुरुषों पर हो रहे अत्याचार की आवाज सुनने वाला कोई नहीं। कुछ स्वार्थी महिलाएं उनकी सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून का नाजायज लाभ उठाकर पुरुषों को अपना शिकार बना रही है। ऐसी महिलाएं की एक झूठी शिकायत पर पुरुष का पूरे का पूरा परिवार जेल में भेज दिया जाता है। उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत से ज्यादा ऐसे केस बाद में झूठे साबित होने पर पुरुष परिवार के लोग बरी हो जाते है, लेकिन बहुत झूठी शिकायत करने वाली औरत के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई सख्त कानून नहीं है। मित्तल ने बताया कि एक सर्वे के मुताबिक भारत में रोजाना 242 पुरुष एवं 129 महिलाएं आत्महत्या करते हैं, जिससे साबित होता है कि मरने वालों में पुरुषों की संख्या कहीं ज्यादा है। सर्वोच्च न्यायलय ने भी बहुत बार दहेज कानून को लेकर टिप्पणी की है कि आज इसका दुरुप्रयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है। उन्होंने इस कानून में संशोधन करने की मांग उठाई।