फिट होकर ही मैदान पर वापसी करूंगा
कैंसर से उबरने के बाद स्वदेश लौटे चैंपियन क्रिकेटर युवराज सिंह ने बुधवार को कहा कि उन्हें अहसास है कि देशवासी उन्हें जल्दी से मैदान पर देखना चाहते हैं और वह वापसी जरूर करेंगे लेकिन अभी नहीं कह सकते कि ऐसा कब होगा। साथ ही उन्होंने अपनी मां शबनम को अपना सबसे बड़ा प्रेरणास्रोत बताया।
नई दिल्ली। कैंसर से उबरने के बाद स्वदेश लौटे चैंपियन क्रिकेटर युवराज सिंह ने बुधवार को कहा कि उन्हें अहसास है कि देशवासी उन्हें जल्दी से मैदान पर देखना चाहते हैं और वह वापसी जरूर करेंगे लेकिन अभी नहीं कह सकते कि ऐसा कब होगा। साथ ही उन्होंने अपनी मां शबनम को अपना सबसे बड़ा प्रेरणास्रोत बताया।
अमेरिका में कीमोथेरेपी के तीन चरण और लंदन में कुछ दिन रिहैबिलिटेशन के बाद लौटे युवराज ने अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ईश्वर का शुक्र है कि मेरी जिंदगी लौट आई है। मैं जानता हूं कि सभी देशवासियों को मैदान पर मेरी वापसी का बेताबी से इंतजार हैं। सभी चाहते हैं कि मैं खेलूं। मैं वापसी करूंगा लेकिन हड़बड़ी नहीं मचाना चाहता। मैं शत-प्रतिशत फिट होकर ही लौटूंगा। पिछले साल विश्व कप में मैन आफ द टूर्नामेंट रहे युवराज ने कहा, मैं ईश्वर का शुक्रगुजार हूं कि मेरी जिंदगी उन्होंने वापिस दी। मैं खुश हूं कि आम आदमी की तरह खा पी सकता हूं। बाहर से बैठकर टीम को खेलते देखने पर दुख होता है कि मैं खेल नहीं पा रहा। लेकिन अभी कम से कम दो महीने तक तो वापसी के बारे में सोच नहीं सकता। युवराज ने अपनी मां शबनम को पिछले कुछ महीने में अपना सबसे बड़ा संबल बताया। उन्होंने कहा, मेरा सबसे बड़ा सहारा मेरी मां थी। मुझे नहीं लगता कि उनके बिना मैं इस दौर का सामना कर सकता। महान साइकिलिस्ट लांस आर्मस्ट्रांग से भी प्रेरणा मिली। पांच छह साल पहले मैं उनकी किताब पढ़ रहा था और किसी कारण से बीच में छोड़ दी। शायद इसी रूप में मुझे उसे पूरा करना था।
युवराज ने कहा कि जब पहली बार पिछले साल अक्टूबर में उन्हें कैंसर होने का पता चला तो इसे पचाना काफी मुश्किल था। उन्होंने कहा, मेरे लिए यह काफी कठिन था। छह महीने तो यह पता करने में निकल गए कि मुझे कैंसर है। मुझे विश्व कप के दौरान सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी। काफी बलगम भी था जिसमें से खून आता था। उन्होंने कहा, मैंने किसी को नहीं बताया। मैंने कभी नहीं बताया कि मेरे भीतर क्या हो रहा है। मैं हमेशा हंसता रहता था लेकिन भीतर से मुझे पता था कि कोई गंभीर समस्या है और मुझे किसी तरह इससे उबरना होगा। युवराज ने कहा कि कैंसर जैसी बीमारी से निपटना कठिन होने के बावजूद वह हमेशा आशावादी रहे। उन्होंने कहा, मानसिक रूप से मुझे मजबूत होना जरूरी था। मेरे भीतर काफी प्रसन्नता है। मैं काफी आशावादी हूं। बीमारी के दौर के बारे में उन्होंने कहा कि वह क्रिकेट नहीं देखते थे क्योंकि इससे उन्हें निराशा होती थी।
उन्होंने कहा, मैं क्रिकेट नहीं खेलता था क्योंकि जब भी मैच देखता था तो निराशा होती थी। मैं घर में ही रहता था, फिल्में देखता और वीडियो गेम खेलता था। मेरी मां मेरे लिए खाना पकाती थी और उन्होंने मुझे मटर वाले चावल बनाना सिखाया। मैं हफ्ते में एकाध बार मॉल चले जाता था। आर्मस्ट्रांग से तुलना के बारे में उन्होंने कहा, मैं उनसे कोई तुलना नहीं कर सकता। मेरे लिए वह असली जिंदगी के हीरो हैं। वह महान खिलाड़ी हैं और उनकी उपलब्धियां लाजवाब हैं। मेरे लिए वापसी करना ही सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। अपने भीतर आए बदलाव के बारे में युवराज ने कहा कि दस साल के करियर में उन्होंने काफी तनाव लिया लेकिन अब वह तनावमुक्त होकर खेलेंगे। उन्होंने कहा, करियर के दस साल में हमेशा यह चुनौती रही कि आलोचकों को कैसे गलत साबित किया जाए। बीमारी के दौरान अहसास हुआ कि परिवार, दोस्त, खुशी और स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण है। अब खेलते समय वह तनाव नहीं रहेगा और मुझे यकीन है कि मैं अच्छा प्रदर्शन कर सकूंगा। अपनी मां के बारे में युवराज ने कहा कि वह हमेशा रो पड़ता था लेकिन उनकी मां मजबूत बनी रही। उन्होंने कहा, पिछले दो महीने में मेरी मां एक बार भी नहीं रोई। सुबह चार बजे या आधी रात को भी मुझे छींक आती थी तो वह उठ जाती थी। कई बार मैं बच्चों की तरह रोता था तो वह मुझे तसल्ली देती थी। वह मुझसे अधिक मजबूत है। युवराज अपने अनुभव और जीवन में आए बदलाव पर एक किताब लिखने की भी सोच रहे हैं। उन्होंने कहा, मैं इस पर लिखने की सोच रहा हूं। यह किताब जल्दी ही आएगी। मेरी जिंदगी बदल गई है और मुझे अहसास हुआ है कि सबसे अहम खुशी है। पैसा जरूरी है लेकिन सबसे अहम खुश होना है। यह पूछने पर कि बीमारी के दौरान भी वह ट्विटर पर सक्रिय क्यों थे, उन्होंने कहा कि वह अपनी बीमारी को लेकर किसी तरह की अटकलबाजी से बचना चाहते थे और खुद अपने प्रशंसकों को ताजा जानकारी दे रहे थे।
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