चल गया पता, बिना ऑक्सीजन कैसे जिंदा रहती है गोल्डफिश
इंसान और ज्यादातर जानवर बिना ऑक्सीजन के चंद मिनट भी जिंदा नहीं रह सकते। जबकि गोल्डफिश जानिए कैसे बिना ऑक्सीजन जिंदा रहने में सक्षम है।
लंदन, पीटीआई। वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को सुलझा लिया है कि गोल्डफिश बिना ऑक्सीजन के कैसे लंबे समय तक जिंदा रहती है। इसी खासियत के चलते लोग इस मछली को एक्वेरियम में रखना पसंद करते हैं। देखने में यह सुनहरी मछली बेहद आकर्षक लगती है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, इंसान और ज्यादातर जानवर बिना ऑक्सीजन के चंद मिनट भी जिंदा नहीं रह सकते। जबकि गोल्डफिश और कृसियन कार्प जैसी मछलियां जमी झील की तलहटी में बिना ऑक्सीजन वाले पानी में कई दिन ही नहीं बल्कि महीनों तक जीवित रह सकती हैं। दरअसल, इस दौरान यह मछली लेक्टिक एसिड को एथनॉल में तब्दील करने में सक्षम होती है और अपने गलफड़ों से इसे आसपास के पानी में फैला देती है। इससे वह अपने शरीर में खतरनाक लेक्टिक एसिड की बढ़ोतरी से खुद को बचा लेती है।
नार्वे की ओस्लो यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन की लिवरपूल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया कि इस अप्रत्याशित क्षमता के पीछे एक खास तरह का अणु संबंधी तंत्र काम करता है। रीढ़ वाले पशुओं में इस तरह की क्षमता अद्वितीय है। उन्होंने पाया कि गोल्डफिश और कृसियन कार्प की मांसपेशियों में एक नहीं बल्कि प्रोटीन के दो सेट पाए जाते हैं। प्रोटीन का एक सेट दूसरी प्रजातियों के समान ही होता है जबकि दूसरा सेट ऑक्सीजन की गैरमौजूदगी में मजबूती से सक्रिय हो जाता है।
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