न नरसिंह जाएंगे न सुशील जाएंगे रियो
डोपिंग के चक्रव्यूह में फंसे पहलवान नरसिंह यादव का अगले महीने होने वाले रियो ओलंपिक में जाने का सपना तो टूट ही गया है।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। डोपिंग के चक्रव्यूह में फंसे पहलवान नरसिंह यादव का अगले महीने होने वाले रियो ओलंपिक में जाने का सपना तो टूट ही गया है, लेकिन उनकी जगह सुशील कुमार या कोई और पहलवान भी नहीं जा पाएगा।
दोनों नमूने फेल हो गए हैं जिसकी खेल मंत्रालय और भारतीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने पुष्टि भी कर दी है। हालांकि नरसिंह ने कहा है कि उन्हें फंसाया गया है। उनके खाने में किसी ने धोखे से कुछ ऐसा मिलाया है जिससे उनके ओलंपिक में जाने का रास्ता बंद हो जाए। नरसिंह ने साजिश की लिखित शिकायत कुश्ती महासंघ से भी की है।
इस प्रकरण के सामने आने के बाद खेल मंत्रालय, भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ), भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआइ) सहित पूरा भारतीय खेल जगत सदमे में है। साइ के एक अधिकारी ने कहा कि अब नरसिंह ओलंपिक नहीं जाएंगे और उसके स्थान पर भी किसी का जाना भी मुश्किल है। अब ये मामला डब्ल्यूएफआइ और आइओए के हाथ से निकल गया है और सब कुछ अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद (आइओसी) और अंतरराष्ट्रीय कुश्ती संघ पर निर्भर करेगा।
वहीं, डब्ल्यूएफआइ के भी एक अधिकारी ने कहा कि जहां तक किसी और के जाने का सवाल है तो नाम बदलने की तिथि भी 18 जुलाई थी, जो बीत गई। अगर किसी का नाम बदला जाता है तो उसके पीछे मेडिकल ग्राउंड होना चाहिए। खेल सचिव राजीव यादव और आइओए अध्यक्ष एन रामचंद्रन ने भी नरसिंह की जगह किसी दूसरे पहलवान को रियो भेजने की संभावना को नकार दिया।
पीएमओ तक जाएंगे ब्रजभूषण
सूत्रों के मुताबिक नरसिंह की शिकायत की जांच कराने पर कुश्ती महासंघ अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उन्हें भी साजिश की आशंका है। इसलिए जांच के लिए अगर उन्हें गृहमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक जाना पड़ा तो भी वह जाएंगे।
तुलसी यादव भी फंसे डोप में
नरसिंह के डोप टेस्ट में फेल होने में साजिश की आशंका को इसलिए भी देखा जा रहा है, क्योंकि उनके साथ अभ्यास करने और खाना खाने वाले एक अन्य पहलवान संदीप तुलसी यादव भी डोप टेस्ट में फेल हो गए हैं। डब्ल्यूएफआइ के एक अधिकारी ने कहा कि संदीप ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई भी नहीं किया था तो वह डोपिंग क्यों करेगा। वह भी नरसिंह के साथ रहते और खाना खाते थे, इसलिए वह भी डोप में फंस गए। यानी जो साजिश नरसिंह के खिलाफ रची जा रही थी उसका शिकार संदीप भी हो गए।
महिला अधिकारी कठघरे में
डब्ल्यूएफआइ के अधिकारी ने कहा कि एक वरिष्ठ महिला अधिकारी को लेकर नरसिंह ने पहले भी कुछ बातें बताईं थीं। डोप टेस्ट के बाद भी नरसिंह ने बताया कि उस अधिकारी के कई बड़े पहलवानों से अच्छे संबंध हैं, इसलिए वह परेशान करती थीं। नरसिंह सोनीपत स्थित साइ केंद्र में अभ्यास कर रहे थे। वहां के कोच और अन्य लोगों ने भी नरसिंह की बात की पुष्टि की है।
एक माह में तीसरी बार टेस्ट
डब्ल्यूएफआइ के अधिकारी के मुताबिक, नरसिंह ने अगर डोपिंग की होती तो वह हाल ही में स्पेन में टूर्नामेंट में भाग लेने क्यों जाते? अमूमन किसी पहलवान का महीने में एक बार डोप टेस्ट होता है, लेकिन नरसिंह का तो तीन बार टेस्ट लिया गया। पहले दो जून, फिर 25 जून और उसके बाद पांच जुलाई। ये सब शक को बढ़ाते हैं। यही नहीं जब मई में यहां कैंप लगा था तब हरियाणा सीआइडी की रिपोर्ट के आधार पर नरसिंह पर हमले की आशंका जताई थी।
कोर्ट से जीते, डोप से हारे
पिछले साल विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाले नरसिंह का रियो ओलंपिक के लिए भारतीय कुश्ती दल में चयन विवादित हालात में हुआ था। ओलंपिक में दो पदक जीतने वाले सुशील ने भी 74 किलो वर्ग में दावेदारी ठोकी थी। चूंकि नरसिंह ने विश्व चैंपियनशिप के जरिये कोटा हासिल किया था तो डब्ल्यूएफआइ और दिल्ली हाई कोर्ट ने सुशील की मांग खारिज कर दी। हालांकि इसके लिए नरसिंह को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी थी।
"मैंने कभी भी प्रतिबंधित चीजों का प्रयोग नहीं किया। मेरा पूरा रिकॉर्ड पाक-साफ रहा है।" -नरसिंह यादव
"सम्मान उनके लिए होता है जो इसे कमाते हैं, उनके लिए नहीं जो मांगते हैं।"-सुशील कुमार