भारतीय ने श्रीलंका के तट पर बनाई भगवान बुद्ध की दुनिया में सबसे लंबी प्रतिमा
बालू की कलाकृतियां बनाकर शोहरत कमाने वाले मशहूर सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने श्रीलंका में भगवान बुद्ध की एक बालू की प्रतिमा बनाई है, जिसे विश्व में सबसे बड़ी बालू की प्रतिमा माना जा रहा है।
श्रीलंका के अंतरराष्ट्रीय समारोह में बनाई प्रतिमा
सुदर्शन पटनायक की बनाई रेत की यह बुद्ध प्रतिमा लगभग चालीस फीट लंबी है। इसे इसी साल 10 मई को कोलंबो में संसद के पास स्थापित किया गया था। इस प्रतिमा को बनाने के लिए पिछले दिनों भारतीय उच्चायुक्त ने सुदर्शन को श्रीलंका सरकार द्वारा आयोजित 14 वें अंतरराष्ट्रीय वेसाक दिवस में शिरकत करने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया था। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल हुए थे।
कौन हैं सुदर्शन पटनायक
सुदर्शन का जन्म ओडिशा के पुरी में हुआ था। उन्होंने सात साल की छोटी उम्र से ही रेत पर कलाकृतियों बनाना शुरू कर दिया था। अब सुदर्शन तक रेत की सैकड़ों प्रतिमाएं बना चुके हैं। पटनायक ने द गोल्डन सैंड आर्ट इंस्टीट्यूट के नाम से रेत से मूर्तियां बनाने की कला सिखाने के लिए स्कूल भी शुरू किया है। यह अपने किस्म का भारत का ऐसा पहला स्कूल है। सुदर्शन की ज्यादातर कलाकृतियां पर्यावरण समस्या, त्योहारों, राष्ट्रीय एकता और धार्मिक सहिष्णुता पर आधारित होती हैं।
गरीबी में हौंसले का सफर
अपने बारे में बताते हुए सुदर्शन पटनायक ने कहा था कि उनका बचपन बहुत गरीबी में बीता। वे छोटे थे तो कभी चाय की दुकान, कभी पान की दुकान पर काम करते थे। उन्हें उसी समय से पेंटिंग बनाने का बहुत शौक था लेकिन इतने पैसे नहीं थी कि वो अपना शौक पूरा करने के लिए रंग, ब्रश और कैनवास खरीद पाते। इस मुश्किल को भी वे ब्लेसिंग ही मानते हैं और कहते हैं की उनकी अच्छी किस्मत थी कि वे पुरी में रहते थे। क्योंकि समुद्र तट पर बसी पुरी में रेत की बहुतायत ने ही उन्हें इतने कमाल का सैंड आर्टिस्ट बना दिया।
सम्मान ही सम्मान
सुदर्शन अब तक भारत को 50 अंतर्राष्ट्रीय रेत मूर्तिकला चैंपियनशिप में रिप्रजेंट कर चुके हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 27 प्रतियोगिताएं जीत चुके हैं। साल 2013 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित 12वीं अंतर्राष्ट्रीय रेत मूर्तिकला प्रतियोगिता में उन्हें फर्स्ट प्राइज मिला था इसके साथ ही वे 10वें मास्को सेंड आर्ट चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। इसी साल उन्होंने डेनमार्क में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय रेत मूर्तिकला प्रतियोगिता में डैनिश ग्रांड प्राइज और रूस में मॉस्को म्यूजियम प्राइज भी जीता। उन्होंने पुरी के समंदर तट पर रेत के सबसे बड़े सांता क्लॉज बना कर लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में नाम दर्ज करवाया। वे अब तक 9 बार सैंड आर्ट के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। सुदर्शन पटनायक की अभूतपूर्व कला के लिए साल 2014 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से नवाजा जा चुका है।