मां की पुकार सुन कोमा से बाहर आया बेटा
एक बार फिर मां की ममता जीत गयी। बीजिंग केहुबई प्रांत में एक आश्चर्यजनक घटना देखने को मिली, एक युवक छह महीनों से कोमा में था। डॉक्टर लगातार उसे ठीक करने की कोशिश करने के बाद अब हार मान चुके थे। लेकिन आखिरकार मां की ममता ही उस युवक को
एक बार फिर मां की ममता जीत गयी। बीजिंग केहुबई प्रांत में एक आश्चर्यजनक घटना देखने को मिली, एक युवक छह महीनों से कोमा में था। डॉक्टर लगातार उसे ठीक करने की कोशिश करने के बाद अब हार मान चुके थे।
लेकिन आखिरकार मां की ममता ही उस युवक को कोमा से बाहर निकालने में कामयाब हुई। उसकी मां रोजाना अपने बेटे के पास बैठकर उससे बातें किया करती थी और उसे उठने के लिए प्रेरित करती थी।
मां की कोशिश ने हार नही मानी और उसका बेटा कोमा से बाहर आने में कामयाब हो गया। कॉलेज के सेकंड ईयर में पढऩे वाले यू पिंजिया के दिमाग में रक्तस्त्राव हुआ और वह कोमा में चला गया था। तीन अस्पतालों के डॉक्टरों ने एक्यूपंक्चर और ऑक्सीजन चैंबर से उसका इलाज किया, लेकिन वे उसे कोमा से बाहर नहीं ला सके। युवक के पांच ऑपरेशन भी हुए लेकिन वह कोमा से बाहर नहीं आ सका। चिकित्सक उसके कोमा से बाहर आने की उम्मीद छोड़ चुके थे। मां हुओ लिंग को अपनी ममता पर पूरा भरोसा था। वह रोज उससे बात किया करती थी। एक दिन मां की बातें सुनकर यू ने धीरे से आंख खोली और उठ बैठा। मां अपने बेटे को कोमा से बाहर होश में देखकर रोने लगी। उसकी आंखों से खुशी के आंसू रुकने का नाम नही ले रहे थे।