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आदमी का दिमाग बड़ा लेकिन महिला का तेज ज्‍यादा

महिलाओं का दिमाग पुरुषों से तेज चलता है। साइंटिस्‍ट ने इस बात का प्रमाण भी दिया है कि पुरुषों का दिमाग आकार में भले ही बड़ा हो लेकिन महिलाओं के दिमाग से तेज नहीं चलता।

By abhishek.tiwariEdited By: Published: Sat, 06 May 2017 04:08 PM (IST)Updated: Sat, 06 May 2017 04:08 PM (IST)
आदमी का दिमाग बड़ा लेकिन महिला का तेज ज्‍यादा
आदमी का दिमाग बड़ा लेकिन महिला का तेज ज्‍यादा

औरतों का दिमाग 14 फीसदी होता है छोटा

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वैज्ञानिक तौर पर यह सच है कि पुरुषों की अपेक्षा औरतों का दिमाग छोटा होता है। हालांकि औरतें छोटे दिमाग होने के बावजूद पुरुषों के बराबर और कभी-कभी उनसे बेहतर रिजल्ट प्राप्त कर लेती हैं। पुरुष के तुलना में औरतों का दिमाग 14 फीसदी छोटा है। छोटे दिमाग पर वैज्ञानिकों का कहना है कि पुरुषों के पास ब्रेन सेल्स की तादाद ज्यादा है। जबकि महिलाओं के पास ब्रेन सेल्स की तादाद पुरुषों के मुकाबले कम है। ब्रेन सेल्स की उपलब्धता ही किसी व्यक्ति के दिमाग का साइज बताती है।

महिलाओं में निर्णय क्षमता बेहतर

वैज्ञानिक अध्ययन में ये बात सामने आई है कि भले ही औरत-मर्द को मनोवैज्ञानिक रूप से अलग कर पाना अभी तक बहुत मुश्किल था, लेकिन ब्रेन के आकार को लेकर दोनों के मनोविज्ञान के बारे में पता लगाया जा सकता है।औरतों में कम दिमाग होने के वाबजूद वे पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा कुशलता से दिमाग का प्रयोग करती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पुरुषों के पास भले ही ब्रेन सेल्स का भंडार हो, लेकिन औरतों के पास रीजनिंग और न्यूरॉन के बीच बेहतर कनेक्शन होता है। यानी कि दिमाग में कम सेल्स होने के बावजूद औरतें जल्द डिसीजन और बेहतर निर्णय क्षमता का परिचय देती हैं।

पुरुष बड़े दिमाग का नहीं उठा पाते फायदा

नीदरलैंड की इरेसमस यूनिवर्सिटी में न्यूरोलॉजिस्ट टीम ने यह नया अध्ययन किया है जिससे औरतों को मायूसी के साथ साथ खुशी भी मिली है। इस टीम ने यह जानने की कोशिश की कि मर्दो की अपेक्षा छोटा दिमाग होने के बावजूद महिलाओं के भीतर उनके समान बुद्धिमत्ता कैसे है ।टीम ने दिमाग के उस हिस्से पर फोकस किया जिसे 'हिप्पोकैंपस' कहते हैं। यह हिस्सा जरूरी मैमोरी और भावों को संजो कर रखता है। पुरुषों के दिमाग का 'हिप्पोकैंपस' महिलाओं की तुलना में ज्यादा बड़ा है। इसके साथ ही न्यूरल पॉवर भी ज्यादा है। जबकि महिलाओं के दिमाग का ये हिस्सा छोटा होने के बावजूद अच्छी तरह से व्यवस्थित और बेहतर रिजल्ट देने वाला होता है। इस टीम की प्रारंभिक सफलता से यह साबित हो चुका है कि महिलाएं कुदरती देन में कमी होने के बावजूद बेहतर रिजल्ट देती हैं, जबकि पुरुष कुदरती मेहरबानी का पूर्ण उपयोग कर पाने में असफल रहे हैं।


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